फुलवारी शरीफ में धूमधाम से मनाई गई खप्पड़ पूजा. 200 वर्षों से चली आ रही है खप्पड़ पूजा की परंपरा. खप्पड़ पूजा परिक्रमा में हजारों भक्त होते हैं शामिल.
पटना. बिहार की राजधानी पटना के फुलवारी में आस्था की दौड़ लगती है. लोग हाथों में तलवार, लाठी और भला लिए तेजी से आगे बढ़ते हैं और इस आस से खप्पड़ के पीछे दौड़ लगाते है, ताकि कोई भी धर्म और समाज का लोग किसी महामारी से प्रभावित ना हों. बिल्कुल इसी तरह से यहां लोग बीते 206 वर्षों से पूजा करते आ रहे हैं. मां काली और माता दुर्गा में अपार श्रद्धा रखने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में खप्पड़ पूजा के मौके पर निकलते हैं. फुलवारीशरीफ में एकता और सद्भावना के साथ-साथ यहां रहने वाले हिन्दू, मुस्लिम, सिख और इसाई को किसी प्रकार की महामारी से खतरा ना हो, इसलिए आस्था की यह दौड़ लगाई जाती है.
बता दें कि महामारी के खतरे से बचाने के लिए ही फुलवारी के संगत पर मोहल्ले से हर वर्ष सावन की अमावस्या से पूजा शुरू होती है और नौ दिनों तक चलती है. पूरे नौ दिनों तक श्रद्धालु फलाहार पर रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि 206 वर्ष पहले फुलवारी क्षेत्र मे महामारी फैली थी. लोग इस बीमारी से मर रहे थे तो यहां के पुजारी झमेली बाबा के स्वप्न में माता आईं और मां काली की खप्पड पूजा करने की सलाह दी. उसी समय से लोग खप्पड़ में आग डालकर मां दुर्गा और काली की परिक्रमा कर पूरे फ़ुलवारी शरीफ इलाके में घुमाया गया. मान्यता है कि तब से यहां कभी महामारी नहीं फैली. इसी परम्परा को 1818 से अब तक लोग उसी श्रद्वा से निभा रहे हैं.
श्रावणी पूजा में लगभग 25 हजार से ज्यादा लोग शामिल होते हैं और सभी के हाथों में लाठी, तलवार, भला और बरछी होता है. इस लिहाज से पुलिस अपनी तरफ से सुरक्षा का इन्तजाम भी पुख्ता रखती है ताकि कोई कानून व्यवस्था की समस्या न हो जाय. पुलिस इस पूजा को देखते हुए हर पहलू से सुरक्षा का इंतजाम पहले से तो करता ही है, साथ ही जब मां की खप्पड़ डाली निकलती है तो उस समय भी जवान आगे पीछे मजूद रहते हैं. इसकी सुरक्षा में पटना की पूरी प्रशासनिक टीम लगी रहती है. वाहनों का परिचालन भी एक घंटा के लिए बंद कर दिया जाता है.
यहा पुरुषों की संख्या से महिलाओं की संख्या भी कम नहीं होती. महिलाएं सात दिन पहले से ही गाना बजाना मंदिर में करती हैं. डाली खप्पड़ पूजा के दिन पूरे जोशो खरोश से भक्ति में लीन हजारों महिलाएं नजर आती हैं. मान्यता है कि यहां जो भी आते हैं और मनोकामना मांगते हैं, सबों की मनोकामना पूरी होती है. माता के दरबार में आज के दिन कोई राजा और ना कोई रंक होता है. माता के दरबार में सब भक्ति रस में सराबोर रहते हैं. यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल भी पहुंचकर माता के दरबार में माथा टेकते हैं और आशीर्वाद लेते हैं. बता दें कि खप्पड़ श्रावणी पूजा बिहार में केवल दो ही स्थानों पर मनाई जाती है. एक फ़ुलवारीशरीर और दूसरा करौटा में. लेकिन, इस पूजा की महिमा बिहार में ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने से इस पूजा मे शामिल होने के लिये भक्त आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 12:51 IST