PM मोदी से पहले 45 साल पहले कौन प्रधानमंत्री गए थे पोलैंड? सेकेंड वर्ल्ड वॉर से है बड़ा कनेक्शन


Polland India Relations: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूक्रेन की ओर जाते हुए बुधवार 21 अगस्त को पोलैंड में होंहे जहां वह वारसॉ में पोलिश राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा और पीए डोनाल्ड टस्क के साथ बातचीत करेंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि करीब पांच दशकों में यह पहली बार है जब भारत की ओर से कोई प्रधानमंत्री पोलैंड की यात्रा पर जाएगा. कौन गया था पीएम मोदी से पहले पोलैंड विजिट पर? भारत और पोलैंड के बीच राजनयिक संबंध 1954 में स्थापित हुए लेकिन फिर भी इस बार इतना लंबे समय का गैप कैसे आया? जबकि सच तो यह है कि दोनों के बीच दशकों पुराना दिल का मार्मिक रिश्ता है, जिसके बारे में आग आपको विस्तार से बताएंगे.

साथ ही यह जानना दिलचस्प है कि पीएम मोदी की इस यात्रा से पहले भारत की ओर से पोलैंड की यात्रा किन्होंने की थी? बता दें कि 1977 से 1979 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई ने 1979 में वारसॉ का दौरा किया था. 1979 में मोरारजी देसाई की यात्रा के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली पोलैंड यात्रा होगी. उनसे पहले जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी दोनों ने इस देश का दौरा किया था.

दोनों देशों के संबंधों की नींव रखे जाते ही 1957 में वारसॉ में भारतीय दूतावास और 1954 में नई दिल्ली में पोलिश दूतावास खोला गया था. अब इन संबंधों को आगे बढ़ाते हुए पीएम अपने समकक्षों से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का फोकस रक्षा और रणनीतिक होगा. प्रधानमंत्री जामनगर और कोल्हापुर के महाराजाओं के स्मारकों का दौरा करेंगे.

सेकेंड वर्ल्ड वार में भारत ने दी थी पोलैंडवासियों को शरण…
एक जानकारी के मुताबिक, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, 1942 और 1948 के बीच, 6,000 से अधिक पोलिश महिलाओं और बच्चों को भारत की दो रियासतों: जामनगर और कोल्हापुर में शरण दी गई थी. नवानगर के जाम साहब दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी जडेजा ने अपने राज्य में एक हजार से ज्यादा पोलिश बच्चों को शरण दी. कई अन्य बच्चों को कोल्हापुर के एक बड़े शिविर में शरण मिली. पोलिश राज्य और भारत में अपना बचपन बिताने वाले लोगों ने इस संबंध को बहुत अच्छे से याद होगा. दोनों देशों को यह दौर बखूबी जोड़ता है.

पोलैंड के विद्धानों ने किया संस्कृत का अनुवाद…
पोलैंड में इंडोलॉजिकल स्टडी की एक पुरानी और मजबूत परंपरा है. पोलिश विद्वानों ने 19वीं शताब्दी की शुरुआत में ही संस्कृत का पोलिश भाषा में अनुवाद कर लिया था. 1860-61 से क्राको में 600 साल पुराने जगियेलोनियन विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्ययन किया जा रहा है जहां पर 1893 में संस्कृत की एक चेयर स्थापित की गई थी.

पोलैंड और भारत के बीच है अरबों डॉलर के कारोबारी संबंध
दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध आज भी काफी मजबूत हैं. पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक और निवेश साझेदार है. 2023-2024 में दोनों देशों के बीच व्यापार 5.72 बिलियन डॉलर था, जिसमें भारत ने 3.96 बिलियन डॉलर का निर्यात और 1.76 बिलियन डॉलर का आयात किया. जानकारों के मुताबिक, व्यापार संतुलन काफी हद तक भारत के पक्ष में रहा है जो 2010 में 650 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2022 में 2.6 बिलियन डॉलर हो गया है. पोलैंड को भारत चाय, कॉफी, मसाले, तिलहन फसलें, समुद्री भोजन, अनाज और सब्जियां निर्यात करता है.

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