PM मोदी की कर्मचारियों को बड़ी सौगात, 'UPS' लाकर पेंशन के मामले में किया खुश


नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने देश में 2003 तक चली पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाने का फैसला किया है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों की एक बड़ी मांग को कबूल करते हुए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) शुरू की है. 2003 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पुरानी पेंशन योजना की जगह नई पेंशन योजना शुरू की थी. मनमोहन सिंह सरकार ने इसको जारी रखा. बहरहाल मोदी सरकार ने भी पिछले साल तक इसे जारी रखा. मगर एक साल पहले विभिन्न कर्मचारी संघों की बढ़ती मांगों पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था. कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली को अपने राज्य चुनाव अभियानों का केंद्र-बिंदु बनाया, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में इसका उल्लेख नहीं किया. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को एकीकृत पेंशन योजना को मंजूरी देते हुए कहा कि ‘UPS में OPS और NPS दोनों की खूबियां हैं. यह बाजार की अनिश्चितताओं को दूर करता है और भरोसा देता है.’

यूपीएस में मूल वेतन के 50 फीसदी के बराबर एक सुनिश्चित पेंशन और महंगाई राहत दी जाएगी, जो मुद्रास्फीति सूचकांक से जुड़ी होगी. इसके अलावा 2004 से रिटायर होने वाले हर केंद्रीय सरकारी कर्मचारी को उस समय से ही यूपीएस लाभ मिलेगा, जिसमें उन्हें बकाये का भुगतान किया जाएगा. सभी कर्मचारियों के पास 1 अप्रैल, 2025 से यूपीएस में शामिल होने का विकल्प होगा. यह एक निश्चित प्रस्ताव है क्योंकि इसमें प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं और सरकार खुद इसे एक ‘आकर्षक योजना’ कह रही है. यूपीएस का राजकोष पर असर होगा. 2003 में वाजपेयी सरकार का तर्क था कि सरकारी कर्मचारियों की पेंशन का बोझ काफी अधिक है, इसलिए ओपीएस को खत्म कर दिया जाए. सेनाओं के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना से भी राजकोष पर पेंशन का बोझ कम होने की उम्मीद है.

राजनीतिक असर
कांग्रेस इसे 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद मोदी सरकार के एक और यू-टर्न के रूप में देखेगी. क्योंकि कई भाजपा पदाधिकारियों ने कहा था कि ओपीएस में वापसी का मतलब राजकोषीय घाटा होगा. हालांकि पी चिदंबरम और मोंटेक सिंह अहलूवालिया का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कई कांग्रेस विशेषज्ञ भी ओपीएस की वापसी की वकालत नहीं करते हैं और इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर मतभेद है. लेकिन भाजपा सरकार ने हाल ही में नौकरशाही के लिए लेटरल एंट्री स्कीम को भी वापस ले लिया और कहा कि इसमें भविष्य में आरक्षण शामिल होगा. सरकार ने विपक्ष और अपने सहयोगियों के दबाव में वक्फ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया, साथ ही ब्रॉडकास्ट बिल के मसौदे को भी वापस ले लिया, जिस पर भी आलोचना हुई. हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में महत्वपूर्ण राज्य चुनावों से पहले मोदी सरकार तेजी से कदम उठा रही है. जिसके बाद अगले साल दिल्ली में चुनाव होने हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए कि क्या इस फैसले से पहले भारत के चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी? क्योंकि दो राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू है. मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हालांकि कहा कि यूपीएस के कदम का ‘चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है.’

UPS में 2004 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए क्‍या हैं विकल्प? क्‍या उन्‍हें भी मिलेगा इसका लाभ?

राज्य सरकारें कोई फैसला लेने को आजाद
साफ शब्दों में कहें तो केंद्र के इस फैसले का असर सिर्फ 23 लाख केंद्रीय कर्मचारियों पर ही पड़ेगा, लेकिन राज्य सरकारें भी अब अपनी कीमत पर यूपीएस लागू कर सकती हैं. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पहले ओपीएस की वापसी का ऐलान किया है. वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक समिति बनाने, व्यापक विचार-विमर्श करने और एक ‘सुविचारित फैसला’ लेने का रास्ता अपनाया है. सरकार ने यह भी कहा कि इस योजना के तहत सरकार का योगदान पहले पीएम मोदी के शासनकाल में 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया था और अब इसे बढ़ाकर 18.5 फीसदी कर दिया गया है. सरकार ने कहा कि यूपीएस एक अंशदायी वित्तपोषित योजना होगी. मुद्रास्फीति सूचकांक से जुड़ी सुनिश्चित पेंशन के अलावा यूपीएस रिटायरमेंट पर एकमुश्त राशि भी प्रदान करता है, जो हर छह महीने की सेवा के लिए वेतन और डीए के 10 फीसदी के बराबर होगी. यूपीएस के तहत मौत से ठीक पहले पेंशन के 60 फीसदी के बराबर पारिवारिक पेंशन भी दी जाएगी. न्यूनतम 10 साल की सेवा के बाद 10,000 रुपये प्रति माह की सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी.

Tags: Central government, New Pension Scheme, Pension scheme, Pm narendra modi



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