पीआर श्रीजेश के शानदार डिफेंस और हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व के दम पर भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओंलपिक में इतिहास रच दिया। भारतीय टीम 52 साल बाद बैक टू बैक ओलंपिक में पोडियम फिनिश करने में सफल रही। भारत ने हॉकी में लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीता। इससे पहले भारतीय टीम ने 1968 और 1972 ओलंपिक में लगातार 2 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए थे। हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम की शानदार कप्तानी की और 11 गोल के साथ टॉप स्कोरर रहे। भारतीय टीम को जब-जब पेनल्टी कॉर्नर मिला तो सरंपच के नाम से मशहूर कप्तान हरमन ने गोल करने का जिम्मा उठाया और ज्यादातर मौकों पर टीम के लिए गोल अर्जित किया।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद हरमनप्रीत ने देशवासियों का सपोर्ट के लिए शुक्रिया अदा किया और हॉकी को ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करने की अपील की। कप्तान ने कहा, “मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि कृपया हॉकी को ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट करें। मैं हर भारतीय से वादा करता हूं कि हम कड़ी मेहनत करेंगे और अगले ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करेंगे।”
मैच का पूरा हाल
भारत और स्पेन के बीच खेले गए इस ब्रॉन्ज मेडल मुकाबलें की बात करें तो पहले 15 मिनट में दोनों ही टीमें अपना खाता नहीं खोल पाईं। दूसरे क्वार्टर में स्पेन को 18वें मिनट में पेनल्टी स्ट्रोक मिला जिस पर मिरालेस ने अपनी टीम का खाता खोला। भारत को मैच का पहला पेनल्टी कॉर्नर 28वें मिनट में मिला लेकिन हरमन बराबरी दिलाने से चूक गए। हाफटाइम खत्म होने ही वाा था कि कुछ सेकंड पहले भारत को पेनल्टी कॉर्नर मिल गया जिसका फायदा उठाते हुए कप्तान साहब ने गोल करके भारत को बराबरी दिलाई।
पहले हाफ के भारतीय टीम ने तेजी से अटैक करना शुरु किया और तीसरे ही मिनट में पेनल्टी कॉर्नर हासिल कर लिया। इस बार भी हरमनप्रीत ने कमाल किया और भारत को 2-1 से आगे कर दिया। इसके बाद स्पेन ने वापसी की पूरी कोशिश की लेकिन दिग्गज पीआर श्रीजेश की दीवार को नहीं भेद पाई और भारत की झोली में हॉकी का ब्रॉन्ज मेडल आ गया।
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