Opinion: मोदी सरकार ने दिखा दी भारत की कूटनीतिक ताकत, रूस का साथ लेकिन उक्रेन दुश्मन नहीं, चीन को भी दी बड़ी चुनौती


कूटनीतिक में सबसे बड़ी बात जिसे सभी मानते है कि इसमें राष्ट्रहित सर्वोपरि होता है. कोई भी देश अपनी विदेश नीति किसी सिद्धांत को ध्यान में रख करके बनता है. भारत में दुनिया के सभी देश कि अगर विदेश नीति का सूक्ष्म विश्लेषण किया जाए तो सभी देशों के लिए राष्ट्र हित ही सबसे होता है. भारत की विदेश नीति में एक बात जो निरंतर से है कि वह किसी भी गुट में नहीं रहता और सभी गुट भारत को अपने पाले में रखना चाहते हैं . भीम नरेंद्र मोदी की पिछले लगभग 11 साल के कार्यकाल में भारत की विदेश नीति में और प्रखरता आई है और सभी गुट भारत को अपने पक्ष में करना चाहते हैं. इसके साथ ही साथ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बाद एक दूसरे के विरोधी देश और खेमा दोनों ही सुनता है. रूस यूक्रेन जंग के संदर्भ में पीएम नरेंद्र मोदी की वैश्विक प्रासंगिकता और उनकी कूटनीति को दुनिया ने देखा है. . कुछ ही महीनो के अंतराल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस और यूक्रेन का दौरान करना पीएम नरेंद्र मोदी और भारत की वैश्विक महत्ता और उनकी वैश्विक नेता के तौर पर उभरने को दर्शाता है. इसके साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे में किसी भी मामले की शांतिपूर्ण समाधान की वकालत को दोहराना उनकी स्पष्ट विदेश नीति को बताता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को पोलैंड के साथ रास्ते यूक्रेन जाने वाले हैं. पीएम मोदी रेल फोर्स वन नाम की ट्रेन से यूक्रेन की राजधानी कीव जाएंगे. यूक्रेन की धरती पर 30 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कदम रखने वाला है. जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन से भी शांति की अपील करेंगे और मामले की शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करेंगे. रूस और यूक्रेन आज दुनिया के दो अलग-अलग खेमे में है. लेकिन दोनों ही राष्ट्र भारत के मित्र है. इससे साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया को साफ तौर पर संदेश देना चाहते हैं कि रूस उनका पुराना दोस्त है लेकिन यूक्रेन भारत का दुश्मन नहीं .

चीन को लेकर भी भारत की नीति स्पष्ट

भारत में की चीन को लेकर के विदेश नीति भी साफ है और इसे पीएम नरेंद्र मोदी के साथ-साथ विदेश मंत्री के समझा लिया बयानों से समझा जा सकता है. कूटनीति में एक कहावत यह भी है कि दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है. चीन के साथ विभिन्न राष्ट्रो के संबंध को इसी पृष्ठभूमि में समझा जा सकता है. चीन को घेरने के ल‍िए जापान, फिलीपींस, मलेश‍िया, दक्ष‍िण कोर‍िया, वियतनाम सब साथ आ रहे हैं. एक दिन पहले फिलीपींस ने चीन को चेतावनी दी. अब जापान के रक्षामंत्री मिनोरू किहारा और विदेश मंत्री कामिकावा योको टू प्लस टू वार्ता के ल‍िए भारत में हैं. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मीटिंग में चीन से निपटने का प्‍लान तैयार होगा.

चीन से निपटने का यह है मेगा प्लान

1. भारत-जापान टू प्‍लस टू वार्ता का एजेंडा साफ है. दोनों देश चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव को देखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे.
2. भारत-जापान मिल‍िट्री ड्रील में और तेजी लाने की तैयारी कर रहे हैं. इसे और अत्‍याधुन‍िक बनाया जाएगा, ज्‍यादा हथ‍ियारों का इस्‍तेमाल होगा.
3. दोनों देश चाहते हैं क‍ि हिंद-प्रशांत क्षेत्र स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हो. इस इलाके से मुक्‍त व्‍यापार हो सके. क‍िसी की दावेदारी न हो.
4. चंद दिनों पहले फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर जापान पहुंचे. वहां चीन को घेरने की रणनीत‍ि बनाई गई. तय हुआ क‍ि दोनों देशों की सेनाएं चीन के मंसूबे कामयाब करेंगी.
5. जापान और फिलीपींस कोस्‍ट गार्ड के ल‍िए अत्‍याधुन‍िक सबसे बड़े जहाज बना रहा है, जिसे दक्ष‍िणी चीन सागर में तैनात क‍िया जाएगा. यह चीन को सीधी चुनौती देने जैसा है.
6. जापान इटली और ब्रिटेन के साथ मिलकर एडवांस लड़ाकू जेट विमान तैयार कर रहा है. इन्‍हें फिलीपींस, मलेशिया को भी देने की तैयारी है, ताक‍ि वे चीन का मुकाबला कर सकें.
7. हाल ही में जापान के कोस्‍ट गार्ड ने साउथ चाइना सी में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के साथ ज्‍वाइंट नेवल एक्‍सरसाइज की है. इसमें लड़ाकू विमान भी उतारे गए थे.

इन सभी कमाई दो से एक बात तो स्पष्ट है की हालिया दिनों में भारत की वैश्विक धमक बढ़ी है और पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने देश हित को सर्वोपरि रखा है.

Tags: Modi government, PM Modi



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