OnePlus ने हाल ही में भारत में 6,000 करोड़ रुपये निवेश करने का फैसला किया है। कंपनी का यह फैसला देश के लाखों वनप्लस स्मार्टफोन यूजर्स को फायदा पहुंचाने के साथ-साथ देश के इकोनॉमी पर भी असर डालेगा। OnePlus के बाद अन्य चीनी कंपनियां Xiaomi, Vivo और Oppo भी भारत में बड़ा निवेश करने की तैयारी में हैं। भारत और चीन के रिश्तों में आई तल्खी कम होने के बाद कंपनियां भारत में अपना बिजनेस और एक्सपेंड करने वाली हैं।
2020 में बढ़ा तनाव
2020 में कोरोना आने के बाद भारत और चीन की सीमा पर तनाव काफी बढ़ गया था। इसके बाद से चीनी कंपनियों पर निगरानी भी बढ़ा दी गई थी। कई चीनी कंपनियों के एक्जक्यूटिव पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स की धांधली के चार्ज लगे। यही नहीं, इन कंपनियों की संपत्ति भी बड़ी मात्रा में सीज की गई। इसके बाद से चीनी ब्रांड्स ने भारत में निवेश पर ब्रेक सा लगा दिया था।
ET की रिपोर्ट के मुताबिक, अब चीनी कंपनियां वनप्लस, वीवो, शाओमी और ओप्पो भारत में नए मार्केटिंग हेड्स, और एक्जीक्यूटिव्स की तलाश कर रही हैं। यही नहीं, ये कंपनियां भारत में अपना डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क बेहतर बनाने के लिए बड़ी मात्रा में निवेश करने वाली हैं। खास तौर पर गांवों और कस्बों में कई ब्रांड्स का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क नहीं है, जिसकी वजह से लाखों यूजर्स को ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के भरोसे रहना पड़ता है।
डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर जोर
आए दिन हो रहे स्कैम ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के जरिए इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम मंगाना ग्राहकों के लिए सिरदर्दी बनता जा रहा है, जिसकी वजह से कंपनियां एक बार फिर से लोकल डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर जोर देना चाह रही हैं। शाओमी इंडिया के चीफ अनुज शर्मा ने कहा है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधारने के लिए सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, जिसकी वजह से इसका फायदा होने वाला है।
वनप्लस के अलावा अन्य चीनी कंपनियां भी भारत में बड़े निवेश पर जोर डाल सकती हैं। इसका फायदा देश के इकोनॉमी के साथ-साथ फोन खरीदने वाले ग्राहकों को भी होगा।
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