नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स गठन करने के बाद नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) का पहला बड़ा फैसला आया है. अब देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्सेज में रेजिडेंट डॉक्टरों की संख्या आसानी से बढ़ाई जा सकती हैं. एनएमसी ने इसके लिए अब क्राइट्रिया आसान कर दिया है. इससे मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ जाएंगी. बता दें कि मेडिकल कॉलेजेज लंबे समय से ये मांग कर रहे थे. अब राज्य और मेडिकल क़ॉलेज की जिम्मेदारी होगी कि पीजी स्टूडेंट की संख्या कॉलेज में की कैसे बढ़े.
एनएमसी ने अपने नोटिस में कहा है कि अब कम बेड वाले मेडिकल कॉलेज भी पीजी कोर्सेज सीटों की संख्या बढ़ा सकते हैं. एनएमसी के इस फैसले के बाद नए मेडिकल कॉलेज या मेडिकल पाठ्यक्रमों के पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या में वृद्धि की मंजूरी मिलने से हजारों पीजी स्टूंडेंट को लाभ मिलेगा. मेडिकल पाठ्यक्रमों के पोस्ट ग्रेजुएट सीटों की संख्या में वृद्धि से अब कम सीट वाले भी कॉलेज में स्टूडेंट का दाखिला ले सकेंगे.
क्राइटेरिया हुआ और आसान
आपको बता दें कि पिछले दिनों ही कोलकता के आरजी कार मेडिकल कॉलेज में एक लेडी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद देश में रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. डॉक्टर अपनी कई परेशानियों को लेकर ओपीडी और इमरजेंसी सेवा में काम नहीं कर रहे थे. नेशनल प्रोटेक्शन एक्ट के साथ-साथ डॉक्टरों 24 से 36 घंटे की नौकरी भी एक बड़ा मुद्दा था.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों एक टास्क फोर्स गठन कर इन मेडिकल स्टूडेंट की समस्या को सुलाझाने का वायदा किया था. एनएमसी का यह निर्णय इसी से जोड़कर देखा जा रहा है. पिछले कुछ दिनों से मीडिया में कुछ मेडिकल कॉलेजों में सीट बढ़ने की लगातार खबरें आ रही थीं. मेडिकल कॉलेजों की सीट बढ़ने की खबरों को वायरल होते देख नेशनल मेडिकल कमिशन ने पिछले दिनों नटिस जारी कर कहा था कि ये खबरें फर्जी हैं. लेकिन, आखिरकार अब एनएमसी को यह नोटिस निकालना पड़ा.
FIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 22:11 IST