Nalnda University: जब तीन महीने धूं-धूं कर जलता रहा विश्वविद्यालय, जला दी गईं थीं लाखों किताबें…


Nalnda University: इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने अपने भाषण में जिस नालंदा विश्वविद्यालय, का जिक्र किया उसकी दास्‍तां काफी दर्द भरी है. प्राचीन काल के इस विश्वविद्यालय ने जहां देश दुनिया से आने वाले स्टूडेंट्स को देखा, वहीं नालंदा विश्वविद्यालय को वह दिन भी देखना पड़ा, जब मुगल आक्रमणकारियों ने उसे क्षत विक्षत कर दिया. न केवल उसको खंडहर बना दिया, बल्कि इसकी लाइब्रेरी में भी आग लगा दी. यहां की लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें जलती रहीं बताया जाता है कि लगभग तीन महीने तक यह विश्वविद्यालय धूं-धूं कर जलता रहा

चीन, जापान के स्टूडेंट्स भी आते थे पढ़ने
गुप्‍त वंश के काल में नालंदा विश्वविद्यालय की ख्‍याति दुनिया भर के देशों तक पहुंच गई थी. जब गुप्‍त वंश के शासक कुमारगुप्त ने 425 ईसवी से 470 ईसवी के बीच इसकी स्‍थापना की, उसके बाद यहां चीन जापान कोरिया तिब्‍बत समेत कई देशों के विद्यार्थी यहां अध्‍ययन के लिए आते थे. मीडिल ईस्‍ट के कई देशों के स्टूडेंट्स भी अपनी पढ़ाई के लिए यहीं आते थे. गुप्‍त वंश के पतन के बाद भी यह विश्वविद्यालय देश दुनिया में अध्‍ययन केंद्र के रूप में विख्‍यात रहा. हर्षवर्धन के काल में भी यहां पठन पाठन सुचारू रूप से चलता रहा.

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300 कमरे, 3 लाख से अधिक किताबें
नालंदा विश्वविद्यालय की भव्‍यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस विश्वविद्यालय में तकरीबन 300 कमरे हुआ करते थे. इसके अलावा इसके परिसर में 7 बड़े बड़े सभागार थे. बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी काफी समृद्ध थी इसकी लाइब्रेरी में लगभग 3 लाख से भी ज्यादा पुस्तकें रखी गई थीं.

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आक्रमणकारियों ने कर दिया तहस-नहस
इतिहास में दर्ज जानकारी के मुताबिक जब 13वीं सदी में मुगल शासकों में से खिलजी वंश ने भारत पर आक्रमण किया. तब देश की तमाम ऐतिहासिक धरोहरों को तहस नहस किया गया. इससे नालंदा विश्वविद्यालय भी अछूता नहीं रहा. उस समय तुर्क आक्रमणकारी बख्‍तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय पर हमला किया और इसे काफी नुकसान पहुंचाया. यहां पर ईमारतों को तो क्षतिग्रस्‍त किया ही गया, बौद्ध भिक्षुओं को भी मौत के घाट उतार दिया गया. आक्रमणकारियों ने विश्वविद्यालय में आग लगा दी. यहां रखीं लाखों किताबें जलकर खाक हो गईं चूंकि यहां पुस्‍तकों की संख्‍या इतनी अधिक थी कि नालंदा विश्वविद्यालय में तीन माह तक आग की लपटें उठती रहीं और इस तरह धूं धूं कर विश्वविद्यालय जलता रहा.

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