ISIS की जड़ जमाना चाहता था रिजवान, 15 अगस्त के लिए बनाया था ये खास प्लान


नई दिल्ली. आईएसआईएस के फरार चल रहे आतंकी रिजवान अली को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शुक्रवार को गिरफ्तार किया था. रिजवान अली आईएसआईएस का आतंकी है, जिस पर एनआईए ने 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया हुआ था. रिजवान करीब एक साल से फरार चल रहा था. अब इस आईएसआईएस आतंकी की गिरफ्तारी के बाद उसके टेरर कनेक्शन और केस का पूरा बैकग्राउंड सामने आ गया है. 2023 में टेरर एंगल की जांच करते हुए सेंट्रल जांच एजेंसी को यूपी, उत्तराखंड, झारखण्ड, महाराष्ट्र में आईएसआईएस नेटर्वक की जानकारी मिली थी. जुलाई 2023 में आईएसआईएस के दो आतंकी इमरान खान और यूनुस सकी को महाराष्ट पुलिस ने पुणे में गिरफ्तार किया, जबकि इनका एक साथी शाहनवाज आलम उर्फ अब्दुल्ला फरार होने में कामयाब हो गया था.

इसके बाद पुणे पुलिस का केस केंद्रीय एजेंसी एनआईए को ट्रांसफर कर दिया गया. एनआईए ने फरार आतंकी शाहनवाज आलम, रिजवान अली पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित किया और उनकी तलाश शुरू की. रिजवान अली अपनी फरारी के दौरान फिर से ISIS को भारत मे खड़ा करने के लिए काम कर रहा था. वह कॉलेज के युवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रहा था. जिसके लिए उसने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसी ऐप का सहारा लिया था, जिससे वो जेहाद के नाम पर दिल्ली-एनसीआर के युवाओं को भड़का कर ISIS ज्वाइन करा सके. ISIS का गिरफ्तार आतंकी रिजवान महज 23 साल की उम्र से ISIS में शामिल हो चुका था. उस वक्त 2018 में 23 साल की उम्र में जामिया इलाके से रिजवान को स्पेशल सेल ने हिरासत में भी लिया था. उस वक्त रिजवान ISIS के एक बड़े आतंकी अबू हुजैफा के लगातार संपर्क में था. लेकिन उस वक्त रिजवान को आतंकवादी बनने से सेंट्रल एजेंसियों ने रोका था. उसे एक मौका दिया गया था और उसे डी-रेडिक्लाइजेश के लिए भेज दिया गया था.

रिजवान को मुख्यधारा से जुड़ने का मौका मिला
उसे मुख्य धारा में जुड़ने का एक मौका दिया गया था. इसकी एक वजह यह भी थी कि रिजवान के पिता दिल्ली के एक बड़े एजुकेशन संस्थान जामिया में सेक्शन ऑफिसर थे. रिजवान काफी पढ़ा-लिखा था और उस वक्त उससे हुई पूछताछ में एजेंसियों को लग रहा था दिल्ली के एक युवा लड़के का ब्रेन वॉश किया गया है. ऐसे में एजेंसियां को लगता था रिजवान आतंकवाद का रास्ता छोड़ सकता है. इसलिए उसे एक मौका देते हुए डी-रेडिक्लाइजेश ज्वाइन करवाया गया था. लेकिन रिजवान ने उस डी-रेडिक्लाइजेश से बाहर आने के बाद भी आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ा और वो लगातार जामिया औऱ दरियागंज इलाके से ISIS के टच में रहा.

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बहरहाल जिस अबू हुजैफा के संपर्क में रिजवान था, वो पाकिस्तान से भारत के युवाओं को ISIS में भर्ती करने का काम कर रहा था. 2019 में अमेरिका के ड्रोन हमले में अबू हुजैफा मारा गया था. रिजवान जिस वक्त पहली बार ISIS के सम्पर्क में आया, उस समय उसने जामिया में एक अरेबिक ढाबा भी खोला था. फिर फायर सेफ्टी से जुड़ी एक कंपनी में जॉब भी किया. आपको बता दें कि भारत सरकार की डी-रेडिक्लाइजेश वो काउंसलिंग है, जिसमें आतंकवाद के प्रति रुझान रखने वाले और सोशल मीडिया के जरिए आतंकवादी बनने की चाह रखने वाले युवाओं का ब्रेन वॉश किया जाता है. भटके हुए नौजवानों को उनके धर्म के धर्मगुरुओं, मनोचिकित्सक की मदद से काउंसलिंग कर मुख्य धारा में लाने का काम किया जाता है.

Tags: Delhi Police Special Cell, ISIS terrorists, Nia raid, Terrorist arrest



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