India vs Australia Test Series: भारत में क्रिकेट को लेकर एक ऐसा जुनून है, जो शायद ही पूरी दुनिया में और कहीं देखने को मिलता हो। यहां क्रिकेट को एक धर्म माना जाता है। जब भारतीय टीम मुकाबला जीतती है, तो सभी भारतवासी खुशी से झूम उठते हैं और हर देशवासी का मस्तक हिमालय जितना ऊंचा हो जाता है। क्रिकेट पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है और जोड़ने का काम करता है। जिस समय आप क्रिकेट देख रहे हों और जब भारतीय खिलाड़ी बाउंड्री लगाता है, तो सभी फैंस एक जैसा ही महसूस करते हैं। फिर आप किसी भी धर्म के हों ये मायने नहीं रखता। वहां पर टीम की जीत ही सर्वोपरी होती है। क्रिकेट से भारतवासियों को अपनेपन का अहसास होता है। पिछले कुछ सालों में जब भी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुकाबला होता है, तो फैंस बहुत ही ज्यादा उत्साहित होते हैं। दोनों टीमों की प्रतिद्वंद्विता एक अलग ही स्तर पर पहुंच चुकी है। ब्रॉडकास्टर्स से लेकर मीडिया कवरेज भी खूब होती है। स्टेडियम फैंस से खचाखच भरा होता है। उत्साह और उमंग की एक लहर स्टेडियम में होती है, जो टीम को सिर्फ जीतते देखना चाहती है। भारतीय टीम नवंबर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी।
1947 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था पहला टेस्ट
टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला मुकाबला 1947 में खेला, जिसमें टीम इंडिया को हार झेलनी पड़ी। ऑस्ट्रेलिया से हमेशा ही टीम इंडिया को कड़ी टक्कर मिली। पहला टेस्ट मैच खेलने के बाद भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत 12 साल बाद साल 1959 में गुलाबराय रामचंद की कप्तानी में मिली थी। तब कानपुर के मैदान पर भारत ने 119 रनों से मुकाबला जीता था। भले ही टीम इंडिया मैच जीत गई थी, लेकिन सीरीज जीतने के लिए उसे लंबा इंतजार करना पड़ा।
भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे। उस समय भारतीय खिलाड़ी तेज गेंदबाजों को खेलने में माहिर नहीं थे। इसी वजह से घर से बाहर जीतने में टीम इंडिया को परेशानी का सामना करना पड़ता था। टीम इंडिया के पास ऐसे फास्ट बॉलर्स भी नहीं थे, जो विदेशों में कहर बरपा सकें। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय टीम को पहली टेस्ट सीरीज जीतने का मौका साल 1979 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में हाथ लगा। जब ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत दौरे पर आई थी। उसे सीरीज के तीसरे और छठे मैच में हार का मुंह देखना पड़ा। भारत के लिए तब कपिल देव और गुंडप्पा विश्वनाथ सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे। इन दोनों ने अपने बेहतरीन क्रिकेट कौशल से टीम को जिताने में अहम भूमिका निभाई।
कपिल देव और गुंडप्पा विश्वनाथ
20वीं सदी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से जीती 3 टेस्ट सीरीज
टीम इंडिया भले ही साल 1979 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज जीत गई, लेकिन 20वीं सदी में ऑस्ट्रेलियाई टीम हमेशा से ही उसके ऊपर भारी रही। ऑस्ट्रेलिया के पास एलन बॉर्डर, मार्क वॉ, स्टीव वॉ, इयान हीली, मार्क टेलर और डेनिस लिली जैसे प्लेयर्स थे, जो विरोधी टीम के जबड़े से जीत छीन लेते थे। ये खिलाड़ी चाहें घर में खेल रहे हों या विदेश में। हर परिस्थिति में टीम के लिए नायक साबित हुए। 20वीं सदी में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिर्फ तीन ही टेस्ट सीरीज जीत पाई। वह भी सचिन तेंदुलकर, मोहम्महद अजहरुद्दीन और सुनील गावस्कर की कप्तानी में। 20वीं सदी में टीम इंडिया का गेंदबाजी आक्रमण कमजोर था, लेकिन भारत के पास स्पिनर्स अच्छे थे। इसी वजह से टीम इंडिया विदेशों में तो अच्छा नहीं कर पाई। लेकिन घर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन टेस्ट सीरीज जरूर जीतने में सफल रही।
20वीं सदी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का रिकॉर्ड
21वीं सदी में टीम इंडिया ने कायम किया दबदबा
जब 21वीं सदी की शुरुआत में ही ऑस्ट्रेलियाई टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने के लिए भारत दौरे पर आई थी। तब ऑस्ट्रेलियाई टीम की कमान स्टीव वॉ के हाथों में थी और टीम में रिकी पोंटिंग, ग्लेन मैक्ग्रा, एडम गिलक्रिस्ट और शेन वॉर्न जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। उस समय ऑस्ट्रेलियाई टीम लगातार 16 टेस्ट जीत चुकी थी और उन्हें हराना लगभग नामुमकिन सा था। उनकी बल्लेबाजी में गहराई थी और गेंदबाजी में धार। ऑस्ट्रेलियाई टीम से पार पाना किसी के लिए भी आसान नहीं था। ऐसे में सभी टीम को उम्मीद थी कि भारतीय टीम बहुत ही आसानी से टेस्ट सीरीज हार जाएगी। सभी की उम्मीदों के अनुरूप टीम इंडिया अपना पहला मुकाबला 10 विकेट से हार गई। उस समय टीम इंडिया के कप्तान सौरव गांगुली थे और टीम बदलाव के दौर से गुजर रही थी। अभी सीरीज के दो मैच बचे हुए थे। पर होनी को कुछ और ही मंजूर था।
21वीं सदी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का रिकॉर्ड
कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई टीम हुई थी चारों खाने चित
दूसरा टेस्ट मुकाबला कोलकाता के ऐतिहासिक ईडन गार्डन्स मैदान पर खेला गया। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 445 रनों का हिमालय जैसा बड़ा स्कोर बनाया। इसके बाद टीम इंडिया के धुरंधर सिर्फ 171 रन ही बना सके। इसके बाद टीम इंडिया की हर जगह आलोचना हुई और भारत को फालोऑन खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारतीय टीम का सिरदर्द तब और बढ़ गया, जब ओपनर शिव सुंदर दास, सदागोपालन रमेश और सचिन तेंदुलकर बड़ी पारियां खेले बिना पवेलियन लौट गए। ऑस्ट्रेलिया ने मैच पर अपना शिकंजा कस दिया और उसकी जीत निश्वित लग रही थी।
लेकिन फिर भारतीय टीम ने वापसी की और ऐसी वापसी की, जिसकी मिसाल आज तक दी जाती है। भारत के लिए वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने 376 रनों की साझेदारी करके टीम को संकट से उबार लिया। लक्ष्मण (281 रन) और द्रविड़ (180 रन) की वजह से ही भारतीय टीम ने 657 रनों का भारी भरकम स्कोर बनाया और ऑस्ट्रेलिया को जीतने के लिए 384 रनों का टारगेट दिया, जिसके जवाब में धाकड़ बल्लेबाजों से सजी ऑस्ट्रेलियाई टीम सिर्फ 212 रनों पर सिमट गई और टीम इंडिया ने मुकाबला 171 रनों से अपने नाम किया और सीरीज में 1-1 से बराबरी भी कर ली।
सौरव गांगुली की कप्तानी में तोड़ा था ऑस्ट्रेलिया का ‘घमंड’
इसके बाद तीसरा टेस्ट मैच चेन्नई के मैदान पर खेला गया था, जिसमें भारतीय टीम ने 2 विकेट से जीत हासिल की और मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम को 20वीं सदी में पहली बार टेस्ट सीरीज में मात दी। हरभजन सिंह ने पूरी सीरीज में कमाल की गेंदबाजी की। उनकी फिरकी के आगे ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज नागिन डांस करते हुए नजर आए। रन बनाना तो दूर उनके आगे बल्लेबाज क्रीज पर टिक ही नहीं पाए। उन्होंने सीरीज में कुल 34 विकेट हासिल किए थे। 20वीं सदी में सौरव गांगुली की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत का जो सिलसिला चला। वह आगे भी जारी रहा। इसके बाद महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में साल 2008/09, 2010/11 और 2013 में टेस्ट सीरीज जीती। 2013 में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलियाई टीम का सीरीज में 4-0 से क्लीन स्वीप किया था।
IND vs AUS के बीच टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज
विदेशों में टीम इंडिया ने गाड़े झंडे
फिर आया साल 2018। भारतीय टीम बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी खेलने के लिए ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई थी। भारत ने पहले मुकाबले में ही ऑस्ट्रेलिया को 31 रनों से शिकस्त देकर क्रिकेट जगत में हड़कंप मचा दिया। तब टीम इंडिया की नई दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने शतक लगाकर भारत को जीत दिलाई थी। पहले मैच में मिली जीत के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम घायल शेर की तरह टीम इंडिया पर झपटी और दमदार पलटवार करते हुए दूसरा टेस्ट 146 रनों से मैच जीत लिया। इससे दोनों टीमें एक बार फिर बराबरी पर आ गईं। फिर तीसरे टेस्ट में टीम इंडिया ने 137 रनों से जीत हासिल की। आखिरी टेस्ट ड्रॉ रहा था। इस तरह से भारत ने ऐतिहासिक कीर्तिमान रचते हुए ऑस्ट्रेलियाई धरती पर पहली बार टेस्ट सीरीज जीती थी। पुजारा पूरी सीरीज में ऑस्ट्रेलियाई प्लेयर्स के सामने किसी मजबूत दीवार की तरह खड़े रहे और सीरीज में 521 रन कूट डाले। उन्हें प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड भी मिला। उनकी दमदार टेक्निक और बल्लेबाजी कौशल की वजह से ही टीम इंडिया सीरीज में कामयाब हुई थी।
IND vs AUS के बीच टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले प्लेयर्स
युवा प्लेयर्स बने जीत में नायक
फिर टीम इंडिया 2020/21 में दोबारा ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर गई और विदेशी धरती पर फिर से टेस्ट सीरीज 2-1 से जीतने में सफल रही। खास बात ये रही है कि पहले टेस्ट मैच में भारतीय टीम को 8 विकेट से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इसी मैच में टीम इंडिया 36 रनों पर ऑलआउट हो गई थी, जो टेस्ट में उनका सबसे कम स्कोर था। इससे टीम इंडिया की हर जगह आलोचना हुई। कोढ़ में खाज ये हुई कि इसके बाद नियमित कप्तान विराट कोहली भी देश लौट आए थे, क्योंकि वह पिता बनने वाले थे। कोहली उस समय अपने चरम पर थे और उनके वापस आने से टीम को तगड़ा झटका लगा। इसके बाद कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली अजिंक्य रहाणे ने।
फिर दूसरे टेस्ट में कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे ने दमदार प्रदर्शन किया और कप्तानी पारी खेलते हुए शतक लगाया। उनकी वजह से ही टीम इंडिया ने 8 विकेट से मुकाबला जीत लिया और सीरीज 1-1 से बराबरी। जो टीम इंडिया सीरीज में पिछड़ गई थी और वह ऑस्ट्रेलिया के साथ बराबरी पर थी। चौथा टेस्ट मैच गाबा के मैदान पर खेला गया। इस मैच में ऋषभ पंत की 89 रनों की खेली गई पारी को आज भी क्रिकेट फैंस याद करते हैं। उनके अलावा शुभमन गिल ने भी 91 रनों की पारी खेली थी। भारतीय युवा टीम ने धुरंधर ऑस्ट्रेलियाई टीम को धूल चटाई थी। खास बात ये थी कि गाबा टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा और जसप्रीत बुमराह जैसे स्टार प्लेयर्स नहीं खेल रहे थे। बल्कि वॉशिंगटन सुंदर, टी नटराजन, मोहम्मद सिराज, गिल, पंत और शार्दुल ठाकुर जैसे युवा प्लेयर्स टीम इंडिया के तारणहार बने थे।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट में हेड टू हेड रिकॉर्ड
BCCI कर चुकी है टेस्ट स्क्वाड का ऐलान
भारतीय टीम नवंबर में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाएगी और ऐसा पहली बार होगा कि दोनों टीमों के बीच BGT में पांच मैचों होंगे। टीम इंडिया लगातार चार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीत चुकी है और उसकी निगाहें पांचवीं ट्रॉफी पर होंगी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए बीसीसीआई ने टेस्ट स्क्वाड का ऐलान भी कर दिया है। कप्तान रोहित शर्मा और उपकप्तानी की जिम्मेदारी जसप्रीत बुमराह को मिली है। ऑस्ट्रेलिया की पिचें हमेशा से ही तेज गेंदबाजों की मददगार होती हैं। इसी वजह से टीम में जसप्रीत बुमराह का साथ देने के लिए मोहम्मद सिराज, आकाशदीप, प्रसिद्ध कृष्णा और हर्षित राणा को मौका मिला है। युवा प्लेयर्स विदेश में छा जाने के लिए बिल्कुल तैयार है। घरेलू क्रिकेट में रनों के पहाड़ खड़े करने वाले अभिमन्यू ईश्वरन को भी स्क्वाड में चांस मिला है। वहीं विराट कोहली, रोहित शर्मा, सरफराज खान, यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल पर भी रन बनाने की जिम्मेदारी होगी। टीम इंडिया एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाने के लिए तैयार है।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुईं कुल 28 टेस्ट सीरीज
टीम इंडिया न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। कीवी टीम के खिलाफ भारतीय टीम दूसरा मुकाबला 113 रनों से हार गई। इसी के साथ टीम इंडिया का पिछले 12 सालों से घरेलू धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने का सिलसिला भी टूट गया। भारत ने घरेलू घरती पर लगातार 18 टेस्ट सीरीज जीती। अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कम से कम तीन टेस्ट मैच जीतने ही होंगे। टीम इंडिया घायल शेर है, जो एक सटीक वार से कंगारुओं के खिलाफ जीतना चाहेगी।