गजवा ए हिंद प्लान के लिए बिहार के दरभंगा, फुलवारी शरीफ, चंपारण और सीमांचल तक टेरर नेटवर्क. भारत इस्लामिक राष्ट्र के लिए अलकायदा PFI का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश कनेक्शन.
पटना. गजवा-ए-हिन्द…का नाम तो आपने खूब सुना होगा, लेकिन इसका पूर्ण मतलब शायद न भी जानते हों. जानकार बताते हैं कि इसका मतलब है कि भारत में सभी गैर-मुस्लिमों पर इस्लामिक शरिया लागू करना जिसके लिए या तो इनको मार कर खत्म कर दिया जाएगा या फिर गैर मुस्लिमों को इस्लाम स्वीकार करवाया जाएगा, या फिर उन्हें तब तक जिंदा रखा जाएगा जब तक ये अपनी कमाई का एक हिस्सा ‘जजिया कर’ के रूप में इस्लामिक सरकार को देते रहें. गजवा-ए-हिन्द का अंतिम लक्ष्य कम समय में अधिक से अधिक काफिरों यानी गैर-मुस्लिम मर्दो को मौत के घाट उतारना होता है. भारत के खिलाफ भी ऐसी साजिशें रची जा रही हैं और इसके इंटरनेशनल नेटवर्क में अलकायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन भी देश में अपना नेटवर्क फैला चुके हैं. प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के बारे में पहले कई खुलासे हो चुके हैं. इसी क्रम में भारत को इस्लामी देश बनाने की मंशा लिए झारखंड के डॉ इश्तियाक सहित 9 लोगों को सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ा है. खास बात यह कि आतंकवाद के अलकायदा इंडिया मॉड्यूल का कनेक्शन झारखंड, उत्तर प्रदेश और झारखंड तक फैला है और गजवा ए हिन्द प्लान का एक सिरा बिहार से भी जुड़ता है.
ताजा कार्रवाई में झारखंड सहित पूरे देश से कुल 14 आरोपियों को पकड़ा गया है. लेकिन, यह तो पूरी कड़ी की एक दो लड़ी भर कही जा सकती है. दरअसल, बिहार की राजधानी पटना, दरभंगा, चंपारण से लेकर केरल और कर्नाटक तक इसके कनेक्शन निकलते रहे हैं. नाम भले ही अलग-अलग हों लेकिन, ऐसे नेटवर्क से जुड़े सभी आतंकवादियों का उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है और इसकी साजिशें बड़ी गहरी नजर आ रही हैं. दरअसल, बिहार की राजधानी पटना सहित मिथिलांचल, चंपारण और सीमांचल का क्षेत्र इन आतंकवादियों की एक्टिविटी के लिए बड़ी मुफीद मानी जा रही है. खास तौर पर 2010 के बाद मिथिलांचल क्षेत्र में यासीन भटकल ने जो आंतक का जहर घोला उसके बाद दरभंगा से लगा यह इलाका दहशतगर्दों का ठिकाना बनता गया. इसका उदाहरण वर्ष 2022 को तब सामने आया था जब दरभंगा में NIA की टीम ने उर्दू मोहल्ला में नुरुद्दीन जंगी के घर को खंगाला और उसके परिजनों से बंद कमरे में पूछताछ की. यहां प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI के सदस्य सनाउल्लाह उर्फ आकिब और मुस्तकीम के घरों में टीम ने रेड मारी गई. इसके बाद तो जो खुलासे हुए इसे जानकर सुरक्षा एजेंसियां भी सन्न रह गईं.
फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल का दरभंगा तक नेटवर्क
दरअसल, 2022 के जुलाई में फुलवारी शरीफ टेरर माड्यूल का भी खुलासा हुआ था. इसके बाद 26 नामजद आरोपियों में दरभंगा का नुरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह उर्फ आकिब और मुस्तकीम का नाम शामिल था. नुरुद्दीन जंगी पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के पूर्व सदस्यों को जेल से छुड़वाने के लिए कानूनी मदद देने का आरोप था. वह PFI का एक्टिव मेंबर है. वह PFI के हर मीटिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होता था.
दरभंगा टेरर मॉड्यूल का यासीन भटकल ने बनाया
इससे पहले भी दरभंगा आतंक का फुलवारीशरीफ टेरर मॉड्यूल से पहले इंडियन मुजाहिदीन का दरभंगा मॉड्यूल चर्चा में रहा है. दरभंगा कभी इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक यासीन भटकल का पनाहगार था. भटकल ने यहां आतंक की जौ पौध लगाई थी वह अब वृक्ष बनकर नुरुद्दीन जंगी, सनाउल्लाह, मुस्तकीम और अरमान मलिक के रूप में सामने आया. जानकारी तो यह भी है कि इंडियन मुजाहिदीन की शुरुआत यासीन भटकल ने दरभंगा से ही की थी. उसने होमिपैथी डॉक्टर के रूप में बड़ी चालाकी से दरभंगा के युवाओं को आतंक का पाठ पढ़ा कर इसकी तरफ धकेला था.
साइकिल पंचर बनाने वाले की बेटी से निकाह
किस होशियारी से अपनी साजिशों को अंजाम देने के लिए उसने कादिराबाद में एक साइकिल पंचर बनाने वाले मो. कफील के घर में अपना दवाखाना खोला था और लोगों का वह मुफ्त इलाज किया करता था. वह होमियोपैथी की मीठी गोली के साथ लोगों के दिल में नफरत का बीच भी बो रहा था. इसके बाद उसने पंचर बनाने वाले मो. कफील की बेटी से निकाह कर यहां के लोगों से संबघ स्थापित किया. मुफ्त इलाज और निकाह के बाद इलाके में उसकी पैठ बन गई. जब लोग उसपर विश्वास करने लगे तो उसने आतंक का तार बिछाना शुरू कर दिया.
भारत-नेपाल सीमा से अरेस्ट हुआ था यासीन भटकल
दरभंगा के केवटी, जाले, सिंहवाड़ा, हायाघाट और समस्तीपुर जिले के कई इलाकों से उसने युवकों को इंडियन मुजाहिदीन में भर्ती किया. इसके बाद देश के कई हिस्सों में बम ब्लास्ट हुए जिसका तार दरभंगा से जुड़ा. बंगलुरु, चेन्नई, वाराणसी और दिल्ली जैसे शहरों में हुए धमाकों में इंडियन मुजाहिदीन का नाम आया तब इंटेलिजेंस एजेंसियों के कान खड़े हुए और फिर एक के बाद एक दरभंगा से कई गिरफ्तारियां हुई. खूंखार आंतकी यासीन भटकल को इसी इलाके से भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था.
गजवा ए हिंद की साजिश राजधानी पटना से रची गई थी
इसके बाद एकबार फिर PFI के जरिए आतंकी साजिश रच रहे हैं. जिसका खुलासा फुलवारी शरीफ टेरर माड्यूल में हुआ है. बता दें कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का केस पटना पुलिस के सामने 11 जुलाई 2022 को आया था. इस मामले में 12 जुलाई 2022 को FIR दर्ज की गई थी, जिसमें अतहर परवेज, मो. जलालुद्दीन, अरमान मलिक और एडवोकेट नुरुद्दीन जंगी को गिरफ्तार किया गया था. इसके ठीक दो दिन बाद 14 जुलाई को बिहार ATS ने फुलवारी शरीफ से ही गजवा ए हिंद से जुड़े मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर को गिरफ्तार किया था.
तत्कालीन एसएसपी ने इंटरनेशल कनेक्शन की बात कही
ATS के बयान पर ही फुलवारी शरीफ थाने में FIR दर्ज की गई थी. तब पटना के तत्कालीन एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लो के अनुसार दोनों ही केस में इंटरनेशनल कनेक्शन सामने आया है, जिसके ठोस सबूत हैं. इसलिए उनकी तरफ से दोनों ही केस की जांच ATS जैसे प्रोफेशनल एजेंसी से कराने के लिए लेटर लिखा गया था. 2022 के जुलाई में फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल खुलासे के बाद मामले में NIA ने बिहार के 6 शहरों में एक साथ छापेमारी की कार्रवाई शुरू की थी.
झारखंड पुलिस का रिटायर्ड एसआई भी निकला आतंकवादी
इसके बाद जांच एजेंसियों ने बिहार के छपरा, अररिया, औरंगाबाद, किशनगंज, नालंदा, कटिहार, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और जहानाबाद तक में इसके नेटवर्क पकड़े गए. फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल मामले में संदिग्ध झारखंड पुलिस के रिटायर्ड SI मोहम्मद जलालुद्दीन भी था. दरभंगा के नुरुद्दीन जंगी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से अपना संबंध कबूल किया था. इसी जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के टारगेट पर बिहार का सीमांचल इलाका था.
सीमांचल में मुस्लिम युवाओं का ब्रेन वॉश कर बनाता था कट्टर
जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि पीएफआई की साजिश सीमांचल के बेरोजगार और अशिक्षित और मुस्लिम युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें PFI से जोड़ने की थी. संगठन से जोड़ने के बाद इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की भी प्लानिंग थी. इस बात का खुलासा रिमांड के दौरान फुलवारी शरीफ से गिरफ्तार अतहर परवेज ने किया था. पूछताछ में उसने यह भी बताया था कि पूर्णिया, अररिया, फारबिसगंज, किशनगंज, मधुबनी और दरभंगा में रहने वाले मुस्लिम युवा उनकी प्राथमिकता में शामिल थे.
पूर्णिया के वनभाग इलाके से ऑपरेट किया जाना था नेटवर्क
पूछताछ के दौरान अतहर परवेज ने दूसरा बड़ा खुलासा भी किया था कि सीमांचल के पूर्णिया को PFI अपना हेडक्वार्टर बनाना चाहता था. यहां वनभाग इलाके में इसके लिए 3 मंजिला बिल्डिंग भी खोज ली गई थी, जिसका किराया 40 हजार रुपये महीना था. पूर्णिया में हेडक्वार्टर बनाने के पीछे 2 मुख्य मकसद थे. पहला मकसद यह कि यहां से सीमांचल इलाके में अपना कब्जा जमाने में PFI को आसानी होती. दूसरा मकसद यह कि अगर कुछ गड़बड़ी हुई तो वहां से नेपाल या बांग्लादेश भागने में आसानी होती. मतलब साफ है कि एक फुलप्रूफ प्लान के तहत सबकुछ चल रहा था.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश कनेक्शन का खुलासा
इसके साथ ही पटना टेरर मामले में गिरफ्तान मरगूब अहमद दानिश उर्फ ताहिर का इंटरनेशनल कनेक्शन समाने आया था. ताहिर व्हाट्सएप के जरिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में था. ताहिर ने स्वीकार किया था कि वह अपने साथियों के साथ मिलकर भारत में अशांति फैलाने के साथ ही विध्वंस फैलाना चाहता था. इसके लिए उसने पूरी साजिश रच रखी थी. ताहिर का इंटरनेशनल कनेक्शन आने के बाद भारतीय जांच और खुफिया एजेंसियां भी हरकत में आ गई थीं खुफिया एजेंसियों तब यह भी खुलासा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों के निशाने पर हैं. इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई वरिष्ठ नेताओं को भी उनसे खतरा है.
मुसमानों को धर्म के नाम पर उकसाने और भड़काने की साजिश
उस वक्त एटीएस की तफ्तीश में फुलवारी शरीफ के मुसलमानों को धर्म के नाम पर उकसाने और भड़काने की बात सामने आई थी. यहां रहने वाले मुसलमान असली मुसलमान कब बनेंगे इस बात का उनसे सबूत मांगा जा रहा था. उन्हें यह कह कर उकसाने की कोशिश हो रही थी कि नबी की शान पर सारी दुनिया के मुसलमान आवाज उठा रहे हैं, तुम आवाज कब उठाओगे. इन सब भड़काऊ बातों को लिखकर एक पम्पलेट छपवाया गया था जिसे व्हाट्एसप और दूसरे सोशल नेटवर्क के जरिए फुलवारी शरीफ में रहने वाले मुसलमानों के मोबाइल फोन पर भेजा जा रहा था.
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FIRST PUBLISHED : August 23, 2024, 14:05 IST