Blog: प्रहलाद चा, वही ‘पंचायत’ वाले ऑफ कैमरा भी दिल जीत लेते हैं


प्रहलाद चा न्यूज रूम में आए. न्यूज रूम में फिल्मी सितारों का आना कोई खास बात नहीं है. आते ही रहते हैं. उन्हें प्रचार चाहिए और हमें दर्शक और पाठक, लेकिन वेब सीरीज ‘पंचायत’ में प्रहलाद चा का रोल करने वाले फैसल मलिक से मिलना कुछ अलग ही लगा. ‘पंचायत’ अपनी खूबियों की वजह से घर-घर में है. हां, बेव सीरीज ही. मिर्च मसाले के बगैर दर्शकों को गांव की हरी-भरी ऑर्गेनिक राजनीति में ले जाने वाली कहानी. अपने बीच के लगने वाले कैरेक्टर्स. ऐसा अकड़ू दामाद जो हर गांव में एक दो होता ही है. सब कुछ तो था इस सीरीज में.

‘पंचायत’ सीजन 1 में कई हीरो दिखे थे. 2 में भी कई कैरेक्टरों ने लोगों के मन पर अपनी छाप छोड़ी, लेकिन सीजन 3 में तो प्रहलाद चा हीरो ही लगे. ज्यादातर लोगों के मुंह से इस कैरेक्टर की तारीफ सुनने को मिली. न्यूज फ्लोर पर वे आए तो बहुत सारे लोग उन्हें पहचान भी नहीं पाए. सीरीज में उनकी जो बट बॉडी थी, उसकी तुलना में थोड़ा हल्के लगे.

इंटरव्यू होता देख पूछने पर पता चला कि वे तो ‘पंचायत’ के प्रहलाद चा है. इंटरव्यू करने वाले साथी प्रतीक शेखर ने भी पहला सवाल यही पूछा- ‘आपको कोई फैसल मलिक के नाम से जानता है? हंस पड़े. कहा- ‘सही कह रहे हैं. सब प्रहलाद चा के नाम से ही जानते हैं.’ उमर भी ऐसी नहीं है कि चाचा कहा जा सके. फिर भी खुशमिजाज और बिल्कुल जमीनी आदमी की तरह.

आमतौर पर न्यूज रूम में कम से कम पंद्रह बीस साल की पत्रकारिता कर चुके साथी किसी के साथ फोटो खिंचवाने नहीं जाते. मुझे तो वे दिन भी याद है जब पूजा भट्ट अपनी जवानी के दिनों में प्रेस क्लब आई थीं. पिता महेश भट्ट भी साथ में थे. शाम बहुत गहराई भी नहीं थे. मतलब पत्रकार साथियों ने अभी एक दो ही लगाए थे, लेकिन किसी की कोई रुचि पूजा या महेश भट्ट के साथ फोटो खिंचवाने में नहीं थी. शायद प्रेस क्लब के ही किसी पदाधिकारी ने बुलाया था. फोटोग्राफर भी बुलाया था. जब किसी ने कोई तब्बजो नहीं दी तो क्लब के ही कुछ पदाधिकारियों ने उन्हें ही साथ लेकर आए और बहुत से लोगों के साथ उनकी फोटो खिंचवाई. उसमें मैं भी शामिल था.

ऐसे में फैसल या कहा जाए प्रहलाद चा के साथ फोटो खिंचवाने के लिए तकरीबन पूरा फ्लोर एक-एक करके आता दिखा. फैसल भी सबके साथ बड़ी ही सहजता से फोटो खिंचवा रहे थे. एक दफा सलीम खान साहब ने कहा था कि किसी की एंट्री देखकर ही पता लग जाता है कि उसकी फिल्म हिट हुई या पिट गई. बिल्कुल लॉजिकल लगी थी उनकी बात. उन्होंने उसी तरह हाथ हिला कर दिखाया भी था कि हिट हो चुका स्टार कैसे एंट्री करते ही हाथ हिला कर पूरी गेदरिंग पर एक साथ नजर डालता है. जैसे बिना नजरें मिलाए देख कर, सब पर मेहरबानी कर रहा हो. फैसल भी एक्टिग में हिट हो चुके हैं, लेकिन हरेक से ऐसे मिल रहे थे जैसे बिल्कुल आम आदमी हों.

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किसी ने वीडियो संदेश देने को कहा वो भी फोन पर रिकॉर्ड कर दिया. किसी ने सेल्फी ली, किसी ने फोटो बनवाई. हाल में ही प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम में अनू मलिक आए हुए थे. कार्यक्रम खत्म हुआ तो अन्नू मलिक भागते हुए जा रहे थे. लग रहा था कि लोग उन्हें घेर कर सेल्फी लेंगे. समझ में नहीं आया. ऐसा भी हो सकता है. दिखा भी नहीं कि कोई पत्रकार उनके पीछे लगा हो. मैंने कहा भी अन्नू साहब आराम से…. हालांकि पता न उन्होंने सुना कि नहीं, लेकिन वे निकल गए. शायद उन्हें स्टारडम ने ये आदत दे दी हो.

ये भी कहा जा सकता है कि फैसल मलिक को अभी वैसा स्टारडम न हासिल हुआ हो, लेकिन ‘पंचायत’ के प्रहलाद चा के तौर पर वे हिंदी दर्शकों के दिलों को जीत ही चुके हैं.

Tags: Panchayat, Web Series



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