किसी भी महिला के लिए मां बनना उसके जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है. इस अनुभूति को एक मां के अलावा कोई दूसरा नहीं समझ सकता. यह कहानी भी एक महिला के मां बनने की चाहत की है. महिला का पति अंतिम सांसें गिर रहा है. ऐसे में वह अपने हमसफर के बच्चे की मां बनकर उसकी यादें सजोना चाहती है. लेकिन, समस्या यह है कि गंभीर बीमार होने की वजह से वह नेचुरल तरीके से अपने पति के बच्चे की मां नहीं बन सकती. उसे आधुनिक मेडिकल तरीके अपनाने होंगे. फिर उसने इसके लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट भी सभी कानूनों और नियमों को शिथिल कर एक मां की इच्छा के सामने झुक गया. फिर हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश दिया जिस पर आप यकीन नहीं कर पाएंगे.
यह कहानी केरल की एक दंपति की है. इस दंपति का कोई बच्चा नहीं है. इस बीच पति गंभीर रूप से बीमार हो गया. काफी इलाज के बाद भी उसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ. स्थिति ऐसी हो गई कि पति की अंतिम सांसें गिनी जाने लगी. फिर पत्नी ने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उसने कहा कि वह अपने पति के बच्चे की मां बनना चाहती है.
कानूनी पेंच
इसके लिए उसे अपने पति के स्पर्म को निकलवाने की अनुमति दी जाए. लेकिन, यहां कानूनी पेंच यह है कि ऐसा करने के लिए व्यक्ति की लिखित सहमति जरूरी है. लेकिन, पति की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह कुछ कह सके या अपनी सहमति दे सके. फिर हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता और एक महिला की मां बनने की चाहत का सम्मान करते हुए बीमार पति के स्पर्म निकालने की अनुमति दे दी. पति के स्पर्म से महिला मेडिकल साइंस की सहायता से गर्भवती होना चाहती है.
हाईकोर्ट के जस्टिस वीजी अरुण ने महिला को अंतरिम राहत देते हुए कहा कि फिलहाल के लिए स्पर्म को सुरक्षित रखा जाए. आगे क्या करना है उसके बारे में कोर्ट बाद में फैसला सुनाएगी. होईकोर्ट में महिला के वकील ने कहा कि पति की स्थिति इतनी गंभीर है कि उससे लिखित में सहमति हासिल करना करीब-करीब असंभव है. इसी तर्क पर कोर्ट ने मामले की पहली याचिकाकर्ता महिला को राहत दी.
साथ ही एक अस्पताल को पति के स्पर्म निकालकर सुरक्षित रखने का आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि उसके अंतिम आदेश तक इस स्पर्म को सुरक्षित रखा जाए. इस मामले की अगली सुनवाई नौ सितंबर को होगी.
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FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 17:46 IST