Board Exam Analysis: शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी बोर्ड परीक्षाओं की डिटेल जांच से पता चलता है कि परीक्षा के लिए पंजीकरण करने वाले छात्रों और उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या में अंतर है. कक्षा 10वीं के लगभग 33.5 लाख छात्र या तो अनुपस्थित रहने या असफल होने के कारण कक्षा 11वीं में नहीं जा पाए. कक्षा 12वीं में यह समस्या और भी अधिक स्पष्ट है, जहां 32.4 लाख छात्र हायर सेकेंडरी शिक्षा पूरी करने में असफल रहे हैं.
केंद्रीय और राज्य बोर्ड के छात्रों के प्रदर्शन में अंतर भी उल्लेखनीय देखने को मिला है. केंद्रीय बोर्ड के छात्रों की कक्षा 10वीं में असफलता दर 6% और कक्षा 12वीं में 12% थी, जबकि राज्य बोर्ड के छात्रों की दर क्रमशः 16% और 18% थी. 59 परीक्षा बोर्डों को कवर करने वाले विश्लेषण ने विभिन्न बोर्डों, माध्यमों और स्ट्रीमों में छात्रों के परफॉर्मेंस के बारे में जानकारी दी, जिससे भारत के शैक्षिक परिदृश्य में प्रगति और चुनौतियों दोनों का पता चला है.
भारत की वर्ष 2023 की परीक्षा प्रणाली बहुत बड़ी है, जिसमें 59 बोर्ड शामिल हैं, जिनमें तीन नेशनल लेवल के और 56 राज्य स्तर के बोर्ड शामिल हैं. इनमें से 41 बोर्ड सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी दोनों परीक्षाओं का मैनेजमेंट करते हैं, जबकि 18 केवल एक लेवल पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
बोर्डों में अलग-अलग पाठ्यक्रम का होना
अधिकांश बोर्ड NCERT पाठ्यक्रम का पालन करते हैं. वहीं आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित छह बोर्ड अपने स्वयं के पाठ्यक्रम का पालन करना जारी रखते हैं, जो शैक्षिक मानकीकरण के बारे में चल रही बहस को उजागर करता है. परीक्षा अवधि भी व्यापक रूप से भिन्न होती है. कक्षा 10वीं के लिए, परीक्षाएं बिहार में 8 दिनों से लेकर CBSE के तहत 34 दिनों तक हो सकती हैं. कक्षा 12वीं के लिए यह सीमा व्यापक है. बिहार में 10 दिनों से लेकर पंजाब में 63 दिनों तक, जो शैक्षिक बोर्डों में संरचना और संगठन में अंतर को दर्शाता है.
वर्ष 2023 में एक महत्वपूर्ण डेवलपमेंट कर्नाटक का SSLC (सेकेंडरी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) बोर्ड और PU (प्री-यूनिवर्सिटी) बोर्ड को एक इकाई में विलय करने का निर्णय था, जिसका उद्देश्य राज्य में अधिक सुसंगत ढांचा बनाना और सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था. भारत की परीक्षा प्रणाली इस तरह के विविध परिदृश्य में शिक्षा के प्रबंधन की जटिलताओं को दर्शाती है. पाठ्यक्रम, परीक्षा अवधि और बोर्ड संरचनाओं में हाल के बदलावों में अंतर इन चुनौतियों को बताती है.
भाषा के चुनाव ने भी परीक्षा के परफॉर्मेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हिंदी और अंग्रेजी सबसे लोकप्रिय माध्यम थे, जिनमें क्रमशः 66 लाख और 67 लाख से अधिक छात्र थे. मराठी, पंजाबी और बंगाली भाषी छात्रों ने क्रमशः 87.4%, 87.4% और 84.5% के साथ कुछ उच्चतम उत्तीर्ण दरें हासिल कीं हैं. हायर सेकेंडरी परीक्षाओं में हिंदी और अंग्रेजी का दबदबा रहा, हालांकि माध्यमिक परीक्षाओं में कुल उत्तीर्ण दर 84.9% से थोड़ी कम होकर 82.5% हो गई. मराठी और पंजाबी माध्यम के छात्रों ने फिर से मजबूत प्रदर्शन किया, जिसमें उत्तीर्ण दर 85% से अधिक थी.
परफॉर्मेंस में असमानता और एकरूपता का मामला
डेटा ने कई बोर्ड वाले राज्यों के भीतर महत्वपूर्ण असमानताओं को भी उजागर किया है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 10वीं और 11वीं कक्षा के रिजल्टों के बीच का अंतर बढ़ गया, जिससे शैक्षिक मानकों और रिजल्टों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए अधिक एकीकृत पाठ्यक्रम और मूल्यांकन दृष्टिकोण की आवश्यकता का सुझाव मिलता है.
स्ट्रीम सेलेक्शन और लिंग प्रतिनिधित्व
हायर सेकेंडरी शिक्षा में साइंस सबसे लोकप्रिय स्ट्रीम रहा, जिसे 43% छात्रों ने चुना उसके बाद आर्ट्स (39%) और कॉमर्स (13%) का स्थान रहा. जेंडर असमानता स्पष्ट थी, जिसमें अधिक लड़कियों ने आर्ट्स और अधिक लड़कों ने साइंस स्ट्रीम को चुना है. हालांकि लड़कियों ने सभी स्ट्रीम में लड़कों से बेहतर परफॉर्म किया है.
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FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 07:45 IST