ताइपे: ताइवान में शुक्रवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.3 मापी गई। मौसम विभाग के मुताबिक ताइवान के पूर्वी शहर हुलिएन से 34 किमी दूर भूकंप आया है। भूकंप से नुकसान की फिलहाल कोई कोई रिपोर्ट नहीं है। मौसम विभाग के मुताबिक 24 घंटे में ताइवान में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। बृहस्पतिवार (15 अगस्त) को पूर्वोत्तर ताइवान में 5.4 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप के झटके से ताइपे में इमारतें हिल गईं।
बता दें कि, ताइवान के हुलिएन में 3 अप्रैल को 7.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें करीब 14 लोगों की मौत हो गई थी। इसका केंद्र धरती से 34 किलोमीटर नीचे था। इसके बाद 22 अप्रैल को ताइवान में फिर से भूकंप आया था।
सेंसिटिव जोन है ताइवान
भूकंप के लिहाज से ताइवान सेंसिटिव जोन है और यहां अक्सर भूकंप के झटके महसूस किए जाते है। ताइवान सरकम-पैसेफिक सेस्मिक जोन में आता है, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि यह दो टेक्टोनिक प्लेट्स के करीब स्थित है। ऐसे में यहां पर भूकंप आना सामान्य बात है। सेंट्रल वेदर ब्यूरो की तरफ से एक रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 1900 से 1991 तक देश में हर साल करीब 2200 भूकंप आए और इनमें से 214 खतरनाक थे। साल 1991 से 2004 तक भूकंप के 18,649 झटके आए। साल 1999 में सबसे ज्यादा बार भूकंप आया और 49,919 बार धरती कांपी। ताइवान में साल 1900 से अब तक 96 बार जानलेवा भूकंप आ चुके हैं।
1999 में आया था विनाशकारी भूकंप
ताइवान में हाल के वर्षों में 21 सितंबर 1999 को सबसे भयानक भूकंप आया था जिसकी तीव्रता 7.7 थी। इसमें 2400 लोगों की मौत हो गई थी और करीब एक लाख लोग जख्मी हो गए थे। हजारों इमारतें नष्ट हो गई थीं और भारी नुकसान हुआ था। साल 2016 में भी ताइवान में बड़ा भूकंप आया था जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
ऐसे निर्धारित होती है कैटेगरी
यहां यह भी जानना जरूरी है कि भूकंप को तीव्रता के लिहाज से अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है। 2.5 से 5.4 तीव्रता वाले भूकंप माइनर कैटेगरी में होते हैं। 5.5 से 6 तीव्रता वाले भूकंप को हल्का खतरनाक भूकंप माना जाता है, इसमें मामूली नुकसान होने की संभावना रहती है। अगर 6 से 7 तीव्रता का भूकंप आता है तो नुकसान होने की संभावना भी बढ़ जाती है। 7 से 7.9 के भूकंप को खतरनाक माना जाता है। इस तीव्रता के भूकंप से इमारतों में दरार या उनके गिरने की आशंका रहती है। इससे ऊपर की तीव्रता वाले सभी भूकंप को बेहद खतरनाक कैटेगरी में रखा जाता है।
क्यों आते हैं भूकंप
पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
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