नई दिल्ली. आजकल कोर्ट के मामलों में लगातार देखने को मिल रहा है कि अक्सर किसी आरोपी, जो जेल में जेल में कैद है या जिसका केस कोर्ट में विचाराधीन है, बेल मिलने पर ऐसे जश्न मनाता है, मानों अदालत ने उसे केस से बरी कर दिया हो. अक्सर ऐसे मामले हाई प्रोफाइल केस में आजकल कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है. गुरुवार को एक ऐसा ही मामला महाराष्ट्र में देखने को मिला. कोर्ट से जमानत मिलने के बाद एक आरोपी रोड पर अपने समर्थकों के साथ जश्न मनाया.
ऐसे लगातार मामले आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को चेतावनी जारी की है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि जमानत मिलने को बरी न समझे लें. आपका यह कृत्य गवाहों के डराने के लिए काफी है.
दरअसल यह मामला महाराष्ट्र का है. सोपन गाडे नाम के अपराधिक प्रवृति का शख्स 2013 के एक हत्या के मामले में पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसकी जमानत खारिज कर दी थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दे दी. वह पिछले 10 साल से अधिक समय से जेल में बंद था. लेकिन, वह जेल से निकलने की खुशी रोड-शो कर दिया, जिससे आने जाने वालों की भारी मशक्कत करनी पड़ी.
सोपान के इस रोड-शो में 100 से 150 फोर व्हीलर गाड़ियां और 70-80 बाइक्स थे. इसके सेलिब्रेशन की वजह से सड़कों पर आने जाने वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इस मामले में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई. शिकायतकार्ता आसिफ खान का मामला जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच के सामने पहुंचा. खान ने कहा कि सोपान के रोड-शो की वजह से हाइवे 5-6 से घंटों तक जाम रहा.
पूरा मामला सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने काफी नराजगी जताई. जस्टिस ने कहा कि कोर्ट से जमानत मिलने के समर्थकों के साथ रैली निकालने की आदत हो गई. जब जज ने सोपान के वकील से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जूलूस हमने नहीं बल्कि समर्थकों ने निकाली थी. इस पर बेंच ने हिदायत देते हुए कहा कि पहले तो आप माफी मांगे. और लिखित में दें कि भविष्य में ऐसा नहीं करेंगे.
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FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 14:10 IST