Explainer: क्या होती है SEBI, कैसे काम करती है, क्यों बनाई गई, कैसे आरोप इस पर लगे हैं


हाइलाइट्स

सेबी का गठन शेयर बाजार घोटालों के बाद 1988 में हुआइसका काम मुख्यतौर पर पूंजी बाजार के तहत आने वाली सारी प्रक्रियाओं और कामों को रेगुलेट करना हैहालांकि सेबी पर भी कई बार आरोप लगे हैं, इसके चेयरमैन इससे नहीं बच पाए हैं

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) अक्सर चर्चाओं में रहता है. इस बार हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर इसकी चेयरमैन माधबी पुरी बुच पर अंगुलियां उठी हैं. विवाद हो रहा है. आखिर सेबी है क्या, किस काम के लिए इसको बनाया गया और ये उसमें कितना खरा उतर पाई. हालांकि सेबी के दामन में विवाद भी कम नहीं रहे हैं. मोटे तौर पर ये जान लीजिए कि भारत में ये सेक्युरिटीज और कमोडिटी बाजार को रेगुलेट करने का काम करती है, जिसमें कंपनियों के शेयर, पूंजी निवेश, म्युचुअल फंड आदि सभी आते हैं. ये इस बाजार की प्रमुख रेगुलेटरी अथारिटी है. इसकी स्थापना निवेशकों के हितों की रक्षा, प्रतिभूति बाजार को रेगुलेट करने के साथ विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई थी.

कब हुई सेबी की स्थापना
सेबी का गठन भारत सरकार द्वारा एक प्रस्ताव के माध्यम से 12 अप्रैल, 1988 को एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में किया गया. ये वो दौर था जबकि हर्षद मेहता के शेयर घोटाले के बाद देश का वित्तीय सेक्टर हिल गया था. शेयर बाजार को लेकर तमाम तरह की बातें कही जाने लगीं थीं. तब शेयर बाजार में काफी गड़बड़ियों, शेयरों में इनसाइड ट्रेडिंग के जरिए असर पैदा करने जैसी खबरें आती थीं.

सेबी अधिनियम, 1992 के लागू होने के बाद 30 जनवरी 1992 को इसे वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ. इस परिवर्तन ने सेबी को अधिक अधिकार और स्वतंत्रता के साथ काम करने की अनुमति दी, जिससे वह शेयर बाजार और पूंजी निवेश सेक्टर को असरदार तरीके से रेगुलेट करने में सक्षम हो सका.

क्या हैं सेबी के उद्देश्य
सेबी के प्राथमिक उद्देश्यों में सबसे बड़ा काम यही है कि पूंजी निवेश का क्षेत्र सुरक्षित और पारदर्शी रहे. इसमें गड़बड़ियां और करप्शन नहीं हो. मुख्य तौर पर इसके उद्देश्य इस तरह हैं
निवेशक सुरक्षा – निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करना.
बाज़ार रेगुलेशन – धोखाधड़ीवाले तौरतरीकों और प्रक्रियाओं को रोकने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों और म्युचुअल फंडों के कामकाज को सही तरीके की प्रक्रिया के तहत लाना और क्रियान्वित करना.
सेक्युरिटी बाजार का विकास – निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देना और बाजार की दक्षता बढ़ाना.

सेबी अधिकार संपन्न एक ऐसा प्राधिकरण करता है, जिसे रेगुलेशन बनाने, रेगुलेट कराने, जांच करने और दंडित करने का अधिकार हासिल है. (न्यूज18)

क्या हैं सेबी के मुख्य काम
सेबी के कामों को तीन मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया है
– इनसाइडर ट्रेडिंग और गलत प्रैक्टिस पर रोक. अंदरूनी व्यापार और कीमत में हेराफेरी पर रोक लगाना, जिसके आरोप अक्सर शेयर बाजार को प्रभावित करने वालों पर हमेशा से लगते रहे हैं. जिसकी वजह से शेयर बाजार में व्यापक तौर पर लोगों ने फायदे उठाए और गड़बड़ियां हुईं.
– निष्पक्ष व्यापारिक तरीको को बढ़ावा देना
– निवेशकों को वित्तीय शिक्षा प्रदान करना

किस तरह ये रेगुलेशन के काम करती है
– दलालों और कंपनियों सहित बाजार सहभागियों के लिए नियम और रेगुलेशन स्थापित करना
– स्टॉक एक्सचेंजों की पूछताछ और ऑडिट करना
– कॉर्पोरेट अधिग्रहण की प्रक्रिया को रेगुलेट करना

और ये क्या काम करती है
– प्रतिभूति बाजार में दलालों को ट्रेनिंग देना
– इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग को सुविधाजनक बनाना और बाज़ार के बुनियादी ढांचे में सुधार करना
– सेबी को नियमों का मसौदा तैयार करने, जांच करने और उनका पालन लागू करने का अधिकार है, जिससे यह एक अर्ध-विधायी, अर्ध-न्यायिक और अर्ध-कार्यकारी निकाय बन जाता है. यानि इसे शेयर बाजार से संबंधित कई विशेषाधिकार हासिल हैं

कैसी होती है सेबी की संरचना
– सेबी भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की प्रशासनिक देखरेख में कार्य करता है. इसके बोर्ड में 09 सदस्य शामिल हैं, जिनमें ये लोग शामिल होते हैं
केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष
वित्त मंत्रालय से दो सदस्य
भारतीय रिज़र्व बैंक से एक सदस्य
पांच अन्य सदस्य केंद्र सरकार द्वारा नामित होते हैं, जिनमें कम से कम तीन पूर्णकालिक सदस्य होते हैं.

क्या है सेबी के कामों की आचारसंहिता
– सेबी वित्तीय मध्यस्थों जैसे अंडरराइटर, ब्रोकर और स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े अन्य लोगों के लिए एक आचार संहिता विकसित करता है. इससे बाज़ार में पेशेवर मानकों और जवाबदेही को बनाए रखने में मदद मिलती है.
– बाज़ार विकास को बढ़ावा देना
– सेबी सुधारों को शुरू करके, नए खिलाड़ियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाकर, नए कामकाज के बेहतर तरीकों को प्रोत्साहित करके और बाजार के बुनियादी ढांचे में सुधार करके शेयर और पूंजी बाजार के विकास और वृद्धि में योगदान देता है.

सेबी से जुड़े हालिया विवाद क्या रहे हैं
अदानी-हिंडनबर्ग विवाद
अगस्त 2024 में, अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति की अडानी समूह से जुड़ी ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी.
हिंडनबर्ग ने दावा किया कि दंपति ने मॉरीशस स्थित आईपीई प्लस फंड 1 में निवेश किया था, जिसे कथित तौर पर अदानी से जुड़े बरमूडा-आधारित फंड से धन प्राप्त हुआ.
सेबी ने स्पष्ट किया कि आईपीई प्लस फंड 1 पूरी तरह से सही और रेगुलेटरी फंड था. बुच की हिस्सेदारी इसमें कुल पूंजी की 1.5% से भी कम थी.

पिछले विवाद
सेबी ने पिछले कुछ वर्षों में कई विवाद देखे हैं. कई पिछले अध्यक्षों को आरोपों और विवादों का सामना करना पड़ा है

हिडनबर्ग का खेल क्या है, क्यों करती है रिपोर्ट जारी
हिंडनबर्ग रिसर्च एक यू.एस.-आधारित फर्म है जो प्रमुख कंपनियों में समस्याओं को उजागर करने के लिए वित्तीय जांच का उपयोग करती है. वे जनता के देखने से पहले ग्राहकों को रिपोर्ट जारी करते हैं, जिससे ग्राहकों को कंपनियों के शेयरों के खिलाफ दांव लगाने की अनुमति मिलती है. जब रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद स्टॉक की कीमतें गिरती हैं, तो हिंडनबर्ग और उसके ग्राहक दोनों पैसा कमाते हैं.

कौन रहे हैं अब सेबी के अध्यक्ष
1 डॉ. एस.ए. दवे 12 अप्रैल 1988 से 23 अगस्त 1990
2 श्री जी.वी. रामकृष्ण 24 अगस्त 1990 से 17 जनवरी 1994 तक
3 श्री एस.एस. नाडकर्णी 17 जनवरी 1994 से 31 जनवरी 1995
4 श्री डी.आर. मेहता 21 फरवरी 1995 से 20 फरवरी 2002 तक
5 श्री जी.एन. बाजपेयी 20 फरवरी 2002 से 18 फरवरी 2005 तक
6 श्री एम. दामोदरन 18 फरवरी 2005 से 18 फरवरी 2008
7 श्री सी.बी. भावे 19 फरवरी 2008 से 17 फरवरी 2011
8 श्री यू.के. सिन्हा 18 फरवरी 2011 से 01 मार्च 2017
9 श्री अजय त्यागी 01 मार्च 2017 से 28 फरवरी 2022 तक
10 माधबी पुरी बुच 28 फरवरी 2022 से

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