7 AUG 1947: हिंद फौज को लेकर आया आदेश, अंग्रेज अफसर ने कर दी बगावत, बोला…


78th Independence Day: आर्मी हेडक्वार्टर स्थित अपने ऑफिस में बैठे कमांड-इन-चीफ क्लाउड जॉन औचिनलेक एक नोटशीट को बड़े ध्‍यान से पढ़ रहे हैं. ज्‍यों’-ज्‍यों नोटशीट में लिखी इबारत उनके आंखों के सामने से गुजर रही है, उनके माथे के नस की फड़कन उसी रफ्तार से बढ़ती जा रही है. एक पल ऐसा आता है कि क्लाउड जॉन औचिनलेक गुस्‍से में इस नोटशीट को अपनी हथेलियों के बीच भींच लेते हैं.

दरअसल, यह नोटशीट उन सभी भारतीयों को रिहा करने का आदेश था, जिन्‍हें अंग्रेज हुकूमत ने जेलों में कैद कर रखा था. क्लाउड जॉन औचिनलेक को इस बात से ऐतराज नहीं था कि उसे जेल में कैद भारतीयों को छोड़ने के लिए कहा जा रहा है, बल्कि गुस्‍सा इस बात पर ज्‍यादा था कि इस आदेश में लिखे ‘सभी भारतीय’ शब्‍द की वजह से उसे आजाद हिंद फौज के सेनानियों को भी जेल से रिहा करना पड़ेगा.

औचिनलेक ने आदेश मानने से किया इंकार
कमांडर-इन-चीफ क्लाउड जॉन औचिनलेक इस बात के लिए बिल्‍कुल भी तैयार नहीं था. रह-रह कर क्लाउड जॉन औचिनलेक को वह पल याद आ रहे थे, जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फौज ने अंग्रेजों को गहरी चोट दी थी. बार-बार चुनौती बनने वाली आजाद हिंद फौज के सेनानियों को छोड़ना क्लाउड जॉन औचिनलेक के लिए खुद के मुंह पर तमाचा मारने जैसा हो गया था. आखिर में, औचिनलेक ने एक निर्णय लिया.

मंजूर नहीं बोस के एक भी सिपाही को छोड़ना
और यह निर्णय अपनी ही हुकूमत के फैसले के खिलाफ जाने का था. क्लाउड जॉन औचिनलेक ने स्‍टेनो को बुलाकर नोटशीट का जवाब लिखवाना शुरू किया. इस जवाब में उसने लिखवाया कि भारतीय जेलों में कैद भारतीय राजनीतिक बंदियों को रिहा करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन, सुभाश चंद्र बोस की अगुवाई में बनी आजाद हिंद फौज के एक भी सिपाही को छोड़ना मुझे बिल्‍कुल भी मंजूर नहीं है.

आजादी के बाद ही रिहा हो सके नेताजी के सेनानी
आखिर में, क्लाउड जॉन औचिनलेक के लिखा कि फिलहाल 15 अगस्‍त तक भारत में ब्रिटिश राज है और तब तक वह एक भी आजाद हिंद फौज के सिपाही को जेल से रिहा नहीं करेगा. क्लाउड जॉन औचिनलेक के इस जवाब के बाद यह तय हो गया था कि नेताजी सुभाष चंद बोस के नेतृत्‍व में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीर सेनानियों को 15 अगस्‍त के बाद ही जेल से रिहा किया जा सकेगा.

FIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:31 IST



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