श्रीनगर. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को उस समय विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने कहा कि सेना देश में घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों के साथ मिली हुई है. वरिष्ठ राजनेता ने आरोप लगाया कि सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मिलीभगत है और यही कारण है कि सीमाओं पर भारी तैनाती के बावजूद दहशतगर्द भारत में प्रवेश करने में कामयाब हो रहे हैं.
अब्दुल्ला ने कहा. “हमारी सीमाओं पर बड़े पैमाने पर सैन्य तैनाती है, जो यकीनन दुनिया में सबसे बड़ी है. फिर भी, इस व्यापक उपस्थिति के बावजूद, आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे हैं. नशीली दवाओं की तस्करी की जाती है. सेना की बड़ी तैनाती के बाद भी बॉर्डर पर ऐसा कैसे हो सकता है? ये सब मिले हुए हैं.”
अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. अपनी टिप्पणी पर बवाल मचने के बाद अब्दुल्ला ने सफाई देते हुए कहा कि वह केवल इस बात का जवाब चाहते थे कि सैकड़ों की संख्या में ड्रग्स और आतंकवादी देश में कैसे प्रवेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “किसी की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए. सीमा केंद्र सरकार का विषय है और हमारे गृह मंत्री और रक्षा मंत्री को बोलना चाहिए.”
उन्होंने बाद में समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “आतंकवादी, जो लगभग 200-300 हैं, कैसे आए? वे कहां से आए हैं? कोई ज़िम्मेदार है? कौन किसे धोखा दे रहा है? कौन मर रहा है – हमारे कर्नल, मेजर और सैनिक. यह सब कैसे हो रहा है? केंद्र सरकार को पूरे देश को जवाब देना चाहिए.”
इस बीच, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) ने फारूक अब्दुल्ला की टिप्पणी पर आपत्ति जताई और कहा कि एनसी प्रमुख द्वारा लगाए गए आरोप “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” थे. डीपीएपी के प्रवक्ता अश्वनी हांडा ने कहा, “फारूक अब्दुल्ला एक बहुत वरिष्ठ राजनेता हैं और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी पर सवाल उठाया है. यह भारतीय सेना के उन बहादुर सैनिकों के बलिदान पर सवाल उठाने जैसा है जो देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देते हैं.”
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FIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 22:43 IST