सुप्रीम कोर्ट की 'टिप्पणी' को केजरीवाल के लिए सिंघवी बनाएंगे हथियार


स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक बार लोगों की आजादी के पक्ष में टिप्पणी की है. देश में धरती की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि जमानत लोगों का अधिकार है और जेल अपवाद. मायने ये है कि जहां तक संभव हो सके अदालतें आरोपियों को जमानत दें, न कि उन्हें जेल भेजें. इस टिप्पणी का असर जल्द ही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में दिख सकता है. कोर्ट के सामने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका सुनवाई के लिए है. बुधवार को तो केजरीवाल को कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दी. लेकिन आगे इस मामले पर उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट की टिप्पणियों का इस्तेमाल अचूक हथियारों की तरह कर सकते हैं.

क्या है सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी पीएमएलए मामले में एक बर्खास्त सिपाही को जमानत देने के दौरान की थी. पीएमएलए के मामले संगीन माने जाते हैं. साथ ही इस सिपाही पर आंतकी संगठन के एक व्यक्ति को शरण देने का भी आरोप था. कोर्ट ने ये भी कहा कि अभियोजन पक्ष क्या सिर्फ अपनी धारणाओं के आधार पर किसी व्यक्ति को खतरनाक मान कर उसे जेल में रखना चाहती है. ये दलील केजरीवाल के बारे में भी दी जा सकती है. आखिरकार केजरीवाल साक्ष्यों से कैसे छेड़छाड़ कर सकते हैं. मामले पर कैसे और कितना असर डाल सकते हैं ये अभियोजन पक्ष को अदालत में बताना पड़ सकता है.

CJI का भाषण भी याद है?
यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड ने एक लेक्चर में कहा था कि निचली अदालतें जमानत देते हुए जोखिम लेने से बचती हैं. उनके शब्द थे कि ‘सेफप्ले करती हैं’. उनका भी मकसद यही था कि निचली अदालतों से ही जमानत मिल जाय तो जेलों का बोझ कम होगा. इस समय देश की कुल जेलों में जितने कैदी रखे जाने की क्षमता है उससे भी ज्यादा विचाराधीन कैदी बंद हैं.

जेले विचाराधीन कैदियों से ठसाठस हैं
एक अनाधिकारिक आंकड़े के मुताबिक देश में कुल विचाराधीन कैदियों की संख्या लगभग 4 लाख 30 बजार से ज्यादा है. ये संख्या जेल में बंद कुल कैदियों का 76 फीसदी बनता है. अब अगर जेलों की कुल क्षमता की बात की जाय इसी तरह के आंकड़ों के मुताबिक इस समय देश में कुल 3 लाख 66 हजार कैदियों को रखा जा सकता है. यानी विचाराधीन कैदियों की ही संख्या जेलों की कुल क्षमता से ज्यादा है.

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यहां ये भी ध्यान रखने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर अभियोजन पक्ष की ओर किए जा रही प्रक्रिया के कारण ट्रायल में देर की जा रही हो तो जमानत मिलना कैदी का अधिकार है. अगर सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों को लागू कर दिया जाय तो उसका बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है.

Tags: Chief Minister Arvind Kejriwal, Supreme court of india



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