सितारों से घिरे, चेहरे पर बड़ी मुस्कान, मौत से 10 दिन पहले ऐसे बीता था श्याम बेनेगल का खास दिन


Shyam Benegal

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सितारों से घिरे श्याम बेनेगल।

भारतीय समानांतर सिनेमा के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक दिग्गज फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल का लंबी बीमारी के बाद 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। दिग्गज निर्देशक ने 14 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन सादगी से मनाया था, अब अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जिसने भारतीय सिनेमा को बदल दिया। फिल्म निर्माण में बेनेगल का योगदान बेमिसाल है और उनका काम फिल्म निर्माताओं और दर्शकों को समान रूप से प्रेरित करता है। 14 दिसंबर, 1934 को हैदराबाद में जन्मे श्याम बेनेगल ने अपने समय के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में गहरी दिलचस्पी के साथ सिनेमा में अपनी यात्रा शुरू की। वे भारत में समानांतर सिनेमा आंदोलन के पितामह भी कहे जाते हैं। 

वायरल हो रहीं तस्वीरें

1970 और 1980 के दशक में मुख्यधारा की फिल्मों के बीच उन्होंने बॉलीवुड में आर्ट सिनेमा से छाप छोड़ी। उनकी फिल्मों में यथार्थवाद और सामाजिक टिप्पणियों का एक मजबूत लेबल था और समाज में हाशिए के समुदायों के चरित्रों को दिखाया गया था। नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, स्मित पाटिल, रजत कपूर, अमोल पालेकर, गिरीश कर्नाड जौसे कई सितारों को उन्होंने अपनी फिल्मों से पहचान दी। श्याम बेनेगल दिग्गज एक्टर और फिल्म मेकर गुरु दत्त के चचेरे भाई थे। हाल में श्याम बेनेगल ने फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के साथ ही अपना जन्मदिन सेलिब्रेट किया था। अब इस सेलिब्रेशन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं। 

शबाना आजमी ने दिखा थी सेलिब्रेशन की झलक

इस खास मौके पर फिल्मी दुनिया के कई दिग्गज उन्हें बधाई देने के लिए सेलिब्रेशन में शामिल हुए। एक्ट्रेस शबाना आजमी ने इसकी झलक भी अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर साझा की है। शबाना आजमी के अलावा नसीरुद्दीन शाह, रजत कपूर, कुनाल कपूर, दिव्या दत्ता, कुलभूषण खरबंदा जैसे कई सितारे शामिल हुए। इन तस्वीरों मे श्याम बेनेगल शबाना आजमी के बगल कुर्सी पर बैठे नजर आए। उनके चारों ओर उनके करीबी फिल्मी सितारे देखने को मिल रहे हैं। उनके ठीक पीछे नसीरुद्दीन शाह भी खड़े दिख रहे हैं। सितारों से घिरे बेनेगल ते चेहरे पर बड़ी मुस्कान है। 

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इन फिल्मों की कहानी थी समय से आगे

बता दें, श्याम बेनेगल ने फिल्मी दुनिया में 1973 में आई फिल्म ‘अंकुर’ से कदम रखा। यह फिल्म गावों में होने वाले शोषण  पर आधारित थी। इसने बॉक्स ऑफिस सफलता, क्रिटिक्स की तारीफ और पुरस्कार तीनों हासिल किए। निशांत (1975), मंथन (1976), और भूमिका (1977) उनकी सबसे दमदार फिल्म कहलाईं। इन कहानियों ने जटिल सामाजिक मुद्दों को तीव्रता और गहराई से प्रस्तुत किया।

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