सरोज खान कड़क लहजे में ही क्यों करती थीं बात? टेरेंस लुईस ने बताई बड़ी वजह


Saroj Khan- India TV Hindi

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सरोज खान पर बोले टेरेंस लुईस।

फेमस कोरियोग्राफर सरोज खान अब इस दुनिया में नहीं हैं। 4 साल पहले उनका निधन हो गया था, लेकिन आज भी जब डांस के बारे में बात होती है तो सरोज खान का जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। सरोज खान ने अपने 40 साल से ज्यादा के करियर में, भारतीय सिनेमा में वो योगदान दिया, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। हालांकि, दिवंगत कोरियोग्राफर को इंडस्ट्री के ही कई लोगों ने ‘कठोर’ और ‘सख्त व्यवहार वाली’ का टैग दे दिया और अक्सर उनके कठोर व्यवहार के बारे में किस्से शेयर किए। हाल ही में जाने-माने कोरियोग्राफर  टेरेंस लुईस ने भी उनके बारे में बात की और खुलासा किया कि वो आखिर कड़क मिजाज की क्यों थीं?

माधुरी से लेकर करीना तक को सिखाया डांस

सरोज खान बॉलीवुड की सबसे फेमस और पसंदीदा कोरियोग्राफर में से थीं और माधुरी दीक्षित, करीना कपूर से लेकर शाहरुख खान जैसे सितारों को अपने इशारों पर नचाया है। लेकिन, सरोज खान को लेकर ये भी कहा जाता है कि दिवंगत कोरियोग्राफर अपने काम को लेकर जितनी सीरियस थीं उतनी ही सख्त भी थीं। अब टेरेंस लुईस ने उनके मिजाज को लेकर खुलकर बात की है।

इतनी सख्त क्यों थीं सरोज खान?

भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पॉडकास्ट पर सरोज खान को याद करते हुए टेरेंस ने कहा- ‘जो लोग पूछते हैं कि वह गाली क्यों देती थीं या इतना रूड व्यवहार क्यों करती थीं? उन्हें यह जानना जरूरी है कि इस मेल डोमिनेटेड इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए काम करना कितना कठिन है।’ टेरेंस आगे कहते हैं कि ये इंडस्ट्री आज भी पुरुष प्रधान ही है। इस इंडस्ट्री में महिलाओं के लिए काम करना बेहद मुश्किल है। इस इंडस्ट्री में महिलाओं को रफ और स्ट्रॉन्ग बनना पड़ता है, इंडस्ट्री की निर्दयता उनके अंदर की महिला को मार देती है। इसलिए महिलाओं को इस इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए पुरुषों जैसा कठोर बनना पड़ता है।’

सरोज खान को लेकर और क्या बोले टेरेंस?

टेरेंस आगे कहते हैं- “मुझे नहीं पता कि आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया या नहीं, लेकिन इस इंडस्ट्री में पुरुष कोरियोग्राफर महिलाओं की तुलना में ज्यादा शांत होते हैं। महिला कोरियोग्राफर पुरुषों की तुलना में ज्यादा गाली-गलौज करती हैं। मैं आपको बताऊंगा कि ऐसा क्यों है। उन्हें बार-बार साबित करना पड़ता है ‘मुझे हल्के में मत लो, मैं तुम्हें सबक सिखा दूंगी। मगर हम पुरुषों को ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती। मगर एक महिला के रूप में, इस पुरुष-प्रधान इंडस्ट्री में आपको ऐसा करना पड़ता है। ये दुखद है, लेकिन लोग उनके अंदर की महिलाओं को मार देते हैं। इसीलिए वे पुरुषों की तरह व्यवहार करने लगती हैं, उनकी तरह चलती हैं और बात करती हैं।’

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