बेंगलुरु की महिला ने उत्तर भारतीय फ्रूट सेलर को जमकर फटकार लगाई.महिला इस बात से नाराज थी कि उसे कन्नड़ भाषा नहीं आती है.यह पोस्ट सोशल मीडिया पर इस वक्त तेजी से वायरल हो रहा है.
नई दिल्ली. सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरु शहर को देश के सबसे बड़े आइटी हब के तौर पर जाना जाता है. यही वजह है कि रोजगार की तलाश में शहर में देश के कोने-कोने से लोग आकर बस रहे हैं. ऐसे में कन्नड़ भाषी बनाम उत्तर भाषी की लड़ाई भी बेंगलुरु में काफी ज्यादा देखने को मिल रही है. एक ऐसा ही मामला बेंगलोर शहर में हाल ही में देखने को मिला. इस घटना का गवाह बने कन्नड़वासी एक शख्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट पर स्थानीय लोगों को बाहर से आने वाले लोगों के प्रति नरम रुख अख्तियार करने की अपील की.
दरअसल, उत्तर भारत का रहने वाला एक शख्स सात दिन पहले ही बेंगलुरु पहुंचा और फल सब्जी बेचने का काम करने लगा. उसने इसरो लेआउट नामक जगह पर अपना ठेला लगाया हुआ था. उसके ठेले पर एक स्थानीय महिला अनानास खरीदने के लिए आई. महिला ने अनानास की कीमत पूछी. शख्स ने जवाब दिया, “40 का एक [एक टुकड़े के लिए 40 रुपये]” और “100 का 3 [तीन टुकड़ों के लिए 100 रुपये].” भाषा नहीं आने के कारण स्थानीय महिला उसकी बात को समझ नहीं पाई. कई बार दोहराने पर भी बात नहीं बनी.
मैं भाषा सीख लूंगा…
इसके बाद रेडिट पर इस पोस्ट को डालने वाले शख्स ने महिला को कन्नड़ में समझाया कि ठेले वाला क्या कह रहा है. गुस्साई महिला ने कन्नड़ न जानने के लिए इस युवक को फटकार लगाई. जवाब में उत्तर भारतीय शख्स ने बेहद विनम्रता दिखाते हुए कहा कि मैं शहर में सिर्फ एक सप्ताह पहले आया हूं. लिहाजा जल्द ही भाषा सीख लूंगा.
गरीब ठेले वाला क्या करेगा…
पोस्ट शेयर करने वाले शख्स ने शख्स ने स्थानीय लोगों से अपील की कि हिंदी भाषी क्षेत्रों से आने वाले लोगों के प्रति दयालु रहें. देखते ही देखते यह पोस्ट वायरल हो गया. जिसपर एक युवक ने लिखा एक व्यक्ति ने कहा, “आजकल बैंगलोर में हर कोई असंवेदनशील होता जा रहा है. एक गरीब ठेले वाला क्या करेगा. उनके पास नई भाषा सीखने का साधन नहीं है. कम से कम विशेषाधिकार प्राप्त उत्तर भारतीय तो सीख ही सकते हैं. यह एक विशिष्ट उच्च वर्गीय मनमानी व्यवहार जैसा लगता है.”