संसद से लेकर सड़क तक हर जगह अलग-थलग पड़ी 'आप', क्या सबसे बुरे दौर में हैं अरविंद केजरीवाल?


आम आदमी पार्टी (आप) वैसे तो एक नई नवेली पार्टी है लेकिन वह इस वक्त अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. खासकर लोकसभा चुनाव के बाद. लोकसभा चुनाव के दौरान वह विपक्षी इंडिया गठबंधन में शामिल थी. यहां तक कि दिल्ली में उसने कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन दिल्ली की सातों सीटों पर इस गठबंधन को हार मिली. लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी एक साथ कई मोर्चों पर लड़ रही है. उसका शीर्ष नेतृत्व जेल में हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल जमानत के लिए अपील पर अपील किए जा रहे हैं लेकिन उनको कोई राहत नहीं मिली रही है. यही हाल पार्टी के दूसरे नेताओं के साथ भी है.

सर्वदलीय बैठक का नहीं मिला आमंत्रण
इस बीच मंगलवार को उसे एक और झटका लगा है. बांग्लादेश के लेकर भारत सरकार ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई. इस बैठक में आप को नहीं बुलाया गया. इससे पार्टी भड़क गई. आप का कहना है कि वह 13 सांसदों वाली एक राष्ट्रीय पार्टी है. आप पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला इसपर निर्भर नहीं करता कि प्रधानमंत्री किससे खुश या नाराज हैं. इस महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक में 13 सांसदों वाली राष्ट्रीय पार्टी आम आदमी पार्टी को ना बुलाना सरकार की ओछी मानसिकता और अगंभीरता को दर्शाता है.’

बाद में पीटीआई से भी बातचीत में सिंह ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उच्च सदन को पड़ोसी देश की स्थिति के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, ‘ऐसी परिस्थितियों में हमें सरकार का समर्थन करना चाहिए. यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. हमने कोई सवाल नहीं उठाया और पूरे विपक्ष ने उनका बयान सुना. लेकिन दुख की बात यह है कि क्या राजनीति राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर हावी हो जाएगी?’ वहीं, दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह गलत है कि उनकी पार्टी को इस महत्वपूर्ण बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘यह दुखद है. अगर प्रधानमंत्री को कोई पार्टी पसंद नहीं है, तो उस पार्टी को सर्वदलीय बैठक में नहीं बुलाया जाता है. यह गलत है.’

सोमवार को भी लगा था झटका
एक दिन पहले सोमवार को भी सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की केजरीवाल सरकार को झटका लगा था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में दिल्ली के उपराज्यपाल को दिल्ली नगर निगम में एल्डरमेन की नियुक्ति का अधिकार दे दिया था. इस नियुक्ति में उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह मानने को बाध्य नहीं होंगे. इस फैसले पर आप ने निराशा जताई लेकिन यहां भी उसे विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला.

Tags: AAP Politics, Arvind kejriwal



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