लगातार 17 ब्लॉकबस्टर देने वाला पहला सुपरस्टार, जिसकी दीवानी थीं लड़कियां, चूमकर गुलाबी कर देती थीं सफेद कार


rajesh khanna

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राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल खन्ना एक ही दिन जन्मदिन मनाते हैं।

बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए दर्शकों के दिलों में आज भी जिंदा हैं। 1960 और 70 के दशक के दौरान फैंस के बीच राजेश खन्ना की दीवानगी का अलग ही आलम था। अपने शानदार करियर के दौरान, उन्होंने 150 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और भारतीय सिनेमा में अपनी ऐसी जगह बनाई जो कभी कोई कलाकार नहीं ले सका। आज राजेश खन्ना का जन्मदिवस है। 29 दिसंबर, 1942 को जतिन खन्ना के रूप में जन्मे राजेश खन्ना ने इंडस्ट्री में और अपने फैंस के बीच ‘काका’ के नाम से मशहूर हुए।

3 साल में 17 ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं

एक दौर था जब राजेश खन्ना का इंडस्ट्री में अलग ही कद था। उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्म में काम किया और 1969 से 1971 के बीच यानी 3 साल में लगातार 17 ब्लॉकबस्टर फिल्में देकर सबको हैरान कर दिया और इसी के साथ इंडस्ट्री के पहले सुपरस्टार कहलाए। राजेश खन्ना ने अपने करियर में जो स्टारडम देखा, वो गिने-चुने सुपरस्टार्स के हाथ ही लगता है।

राजेश खन्ना की डेब्यू फिल्म

राजेश खन्ना ने चेतन आनंद की फिल्म ‘आखिरी खत’ से अपना डेब्यू किया था, जो 1966 में रिलीज हुई थी। एक वक्त था, जब राजेश खन्ना को सबसे भरोसेमंद सुपरस्टार माना जाता था। उनका होना यानी फिल्म का सफल होना तय था। इसके बाद वह ‘राज’, ‘औरत’, ‘बहारों के सपने’, ‘इत्तेफाक’ और ‘डोली’ जैसी फिल्मों में नजर आए। लेकिन, स्टारडम की बात करें तो उन्हें शक्ति सामंत की ‘आराधना’ ने एक अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया। इसी फिल्म के साथ उनके स्टारडम की भी शुरुआत हुई।

आराधना से शुरू हुआ स्टारडम का सफर

आराधना को फिल्मफेयर का बेस्ट फिल्म अवॉर्ड मिला और इसके बाद राजेश खन्ना ने लगातार 17 सफल फिल्में देकर इतिहास रच दिया। फिर राजेश खन्ना ने राज खोसली की ‘दो रास्ते’ ने भी दर्शकों का मनोरंजन किया, जिसके बाद काका यानी राजेश खन्ना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राजेश खन्ना फिल्मों में अपनी रोमांटिक भूमिकाओं के लिए बेहद मशहूर थे। एक समय था, जब महिलाओं के बीच उनकी दीवानगी का वो आलम था कि लड़कियां उनकी सफेद कार को चूम-चूमकर गुलाबी कर देती थीं।

बावर्ची में कॉमिक टाइमिंग से सबको हंसाया

कई रोमांटिक फिल्मों में काम करने के चलते एक समय पर कहा जाने लगा कि राजेश खन्ना सिर्फ रोमांटिक भूमिकाएं ही निभा सकते हैं। ऐसे में निर्माता-निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने काका की इस छवि को तोड़ने का फैसला अपने हाथ में ले लिया और 1972 में ‘बावर्ची’ जैसी कॉमेडी से भरपूर फिल्म के साथ राजेश खन्ना ने सबको हैरानी में डाल दिया। वहीं 1972 में ही रिलीज हुई ‘आनंद’ में उन्होंने अभिनय को जो नया रंग दिखाया, उसे देखने के बाद हर कोई आश्चर्यचकित रह गया।

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