नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि सरकार रूसी सेना में भर्ती 69 भारतीय नागरिकों के सेवा से बाहर निकलने का इंतजार कर रही है और कई मामलों में ऐसे संकेत मिले हैं कि भारतीय नागरिकों को गुमराह किया गया था। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष उठाया था। उन्होंने सदन में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए यह भी कहा कि सरकार ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में नागरिकों की साइबर अपराध तस्करी के मुद्दों को गंभीरता से लिया है।
‘मुद्दे को गंभीरता से लिया’
जयशंकर के अनुसार, रूसी सेना में कुल 91 भारतीय नागिरकों के भर्ती होने की जानकारी मिली है जिनमें जिनमें से आठ की मृत्यु हो चुकी, 14 को छुट्टी दे दी गई है या वापस भेज दिया गया है और 69 नागरिकों के रूस की सेना से बाहर आने का इंतजार है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेते हैं। मैंने खुद इसे कई बार रूसी विदेश मंत्री के सामने उठाया है।’’
यह है सबसे बड़ी समस्या
विदेश मंत्री ने सदन को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी पिछले महीने मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी मुलाकात के दौरान इस मुद्दे को उठाया था। मंत्री ने कहा कि समस्या यह है कि रूसी अधिकारियों का कहना है कि इन भारतीय नागरिकों ने रूसी सेना के साथ सेवा के लिए अनुबंध किया है। जयशंकर का कहना था कि कई मामलों में यह संकेत मिलते हैं कि हमारे नागरिकों को गुमराह किया गया था और उन्हें बताया गया था कि वो किसी अन्य नौकरी के लिए जा रहे हैं तथा फिर उन्हें रूसी सेना में भर्ती करवा दिया गया।
राष्ट्रपति पुतिन से मिला है आश्वासन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री को पुतिन से आश्वासन मिला कि जो भी भारतीय नागरिक रूसी सेना की सेवा में है, उसे सेवा से हटाकर बाहर कर दिया जाएगा। भारत का इस पूरे मामले पर रुख पहले से ही स्पष्ट है और रूस के सामने इस मुद्दे को उठाया जा चुका है।
यह भी पढ़ें:
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले को लेकर UN हुआ सख्त, कहा-हम नस्ली आधार पर हिंसा के खिलाफ