सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अपने फैसलों और बातों को लेकर अक्सर ही सुर्खियों में रहते हैं. सीजेआई चंद्रचूड़ की कई टिप्पणियां तुरंत ही खबरों में छा जाती है. ऐसा ही कुछ शनिवार को सामने आया, जहां सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने जज बनाने की कहानी बताई.
देश की अदालतों में टेक्नॉलजी के इस्तेमाल पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘1998 में जब मुझे बॉम्बे हाईकोर्ट में जज बनने के लिए आमंत्रित किया गया था. तब मैं इसे लेकर आशंका में था और मैंने बहुत से जानकार लोगों से सलाह ली थी कि क्या मुझे इसे स्वीकार करना चाहिए या नहीं’.
‘जज और वकील में फर्क होता है…’
इसके साथ ही उन्होंने बताया, ‘मैंने जिन जानकार लोगों से संपर्क किया उनमें से एक थे जस्टिस एपी सेन, जिन्होंने ADM जबलपुर का फैसला लिखा था. उन्होंने मुझे अपने नागपुर आवास पर आमंत्रित किया. उन्होंने मुझसे कहा कि एक जज और एक वकील में फर्क होता है. एक जज हमेशा रेत पर अपने निशान छोड़ता है और वे निशान आपके द्वारा लिखे गए शब्द होते हैं. वकील चाहे कितने ही शानदार तर्क दें, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए खो जाते हैं…’
वहीं CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘यह एक अनोखा सम्मेलन है जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित टेक्नॉलजी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए आयोजित किया गया है. देशभर के जज यहां आए हैं और मुझे लगता है कि आम नागरिकों तक न्याय की पहुंच के भारतीय न्यायपालिका के संदेश को ले जाने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहल होगी…’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इसके साथ ही कहा, ‘टेक्नोलॉजी ‘न्याय सब के द्वार’ सुनिश्चित करने का एक माध्यम होना चाहिए… ई-कोर्ट का तीसरा चरण अब शुरू हो रहा है, केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को लगभग 7,000 करोड़ रुपये दिए हैं, जो मुझे लगता है कि सूचना के बुनियादी ढांचे को फिर से मजबूत करेगा…’
इस दौरान पत्रकारों ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ से तीन नए आपराधिक कानूनों पर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों के खिलाफ चुनौती सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, मेरे लिए इसके बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.’
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FIRST PUBLISHED : August 10, 2024, 14:26 IST