महबूबा मुफ्ती ने क्यों किया अटल बिहारी का जिक्र, जमात-ए-इस्लामी पर बड़ा बयान


श्रीनगर. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने रविवार को कहा कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) का जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताना एक अच्छा कदम है, लेकिन संगठन पर प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए. मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा, “यह अच्छी बात है. मैं चाहती हूं कि भारत सरकार जेईआई से प्रतिबंध हटाए.”

उन्होंने कहा कि सरकार देश में जहर फैलाने वाले, रैलियां निकालने वाले, मस्जिदों पर पथराव करने वाले, मुसलमानों की पीट-पीट कर हत्या करने वाले सांप्रदायिक संगठनों पर प्रतिबंध नहीं लगाती है तो जेईआई पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है? पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जेईआई ने शिक्षा क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है और 2014 की बाढ़ और कोविड के दौरान लोगों की मदद की है.

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, जमात के पूर्व नेता जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ने पर विचार कर रहे हैं. पीडीपी प्रमुख ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी. उन्होंने कहा, “हमने उम्मीदवारों का ऐलान लगभग कर दिया है. कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अब तक घोषणा नहीं की है, लेकिन हमने पहले ही ऐलान कर दिया है.”

अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर मुफ्ती ने कहा, “पीडीपी का एजेंडा स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर का समाधान इस तरह से होना चाहिए कि यहां के लोग सम्मान के साथ जी सकें और अपना सिर ऊंचा रख सकें. अनुच्छेद 370 को हटाए जाने से यह मुद्दा और जटिल हो गया है और जब भी जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का समाधान होगा, तो इसकी शुरुआत अनुच्छेद 370 (की बहाली) से होगी.”

उन्होंने दावा किया कि उत्तर कश्मीर के लोगों ने जेल में बंद शेख अब्दुल रशीद उर्फ ​​इंजीनियर रशीद को चुनकर लोकसभा चुनाव में ”जनमत संग्रह की भावना” के आधार पर मतदान किया. उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा की पूर्ववर्ती लंगेट सीट से दो बार विधायक रहे रशीद ने जम्मू-कश्मीर के लिए जनमत संग्रह का समर्थन किया था.

मुफ्ती ने कहा, “यह वही भाजपा है, जिसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने माना था कि कश्मीर एक मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने पाकिस्तान और यहां के अलगाववादी नेताओं से बात की थी. इसका मतलब था कि यहां एक मुद्दा है.”

उन्होंने कहा, “अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर और देश के बीच एक सेतु था. अब उन्होंने उस सेतु को तोड़ दिया है और उन्हें इसका असर संसदीय चुनावों में देखने को मिला, जब उत्तर कश्मीर के लोगों ने जनमत संग्रह की भावना के आधार पर मतदान किया, जिसके बारे में उन्होंने (केंद्र ने) सोचा था कि शायद वह खत्म हो चुका है.”

Tags: Jammu kashmir, Jammu kashmir election 2024, Mehbooba mufti



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