नई दिल्ली: मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब घोटाला केस में तिहाड़ जेल में बंद हैं. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं. वह सुप्रीम कोर्ट से जमानत की मांग कर रहे हैं. आज का दिन मनीष सिसोदिया के लिए काफी अहम है. उन्हें जमानत मिलेगी या नहीं, आज तय हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट आज मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी पर फैसला सुनाएगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मनीष सिसोदिाय की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सिसोदिया ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत की गुहार लगाई है.
मनीष सिसोदिया की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी और ईडी-सीबीआई की ओर से एएसजी राजू ने दलीलें रखी थीं. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में मंगलवार कोशराब घोटाला केस में ‘सुरंग के अंत’ को लेकर सीबीआई और ईडी से सवाल किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों मामलों में कुल 493 गवाह हैं. जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने सीबीआई और ईडी से पूछा कि आखिर सुनवाई पूरी होने में कितना समय लगेगा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जांच एजेंसियों की ओर से पेश हो रहे एएसजी यानी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा, ‘493 गवाह हैं. अगर आप इनमें से 50 फीसदी को भी छोड़ देते हैं, तो भी करीब 250 बचते हैं. यथार्थवादी बनिए और हमें बताइए कि आपको ‘सुरंग का अंत’ कब दिख रहा है?’ इसके बाद एएसजी राजू ने कहा कि सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में आठ-आठ अहम गवाह हैं. इस पर बेंच ने पूछा, ‘सुनवाई कब शुरू हो सकती है?’ इसके बाद राजू ने जवाब दिया, ‘आरोप तय होने के एक महीने के भीतर ही इन (आठ) गवाहों से पूछताछ की जा सकती है.’ उन्होंने दलील दी कि कुछ गवाहों को इन मामलों के कुछ अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा धमकी दी गई थी.
राजू ने सिसोदिया को क्यों घेरा?
एएसजी राजू ने कहा कि मनीष सिसोदिया का यह दावा सही नहीं है कि इन मामलों में देरी के लिए जांच एजेंसियां जिम्मेदार हैं. एएसजी राजू ने कहा, ‘ट्रायल शुरू हो सकती थी. हमारी आगे की जांच किसी और चीज के लिए थी. उनके (सिसोदिया) खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. इसलिए ट्रायल आगे बढ़ सकती थी.’ उन्होंने यह भी कहा कि सिसोदिया ने इन मामलों में डिस्चार्ज की मांग को लेकर कोई अर्जी दाखिल नहीं की है.
राजू ने मनीष सिसोदिया को जिम्मेदार ठहराया
एएसजी राजू ने कहा कि इन मामलों की प्रगति में देरी इसलिए हुई क्योंकि मनीष सिसोदिया और अन्य आरोपियों ने निचली अदालत के सामने कई अर्जियां दायर कर उन दस्तावेजों की मांग की थी, जिनपर अभियोजन पक्ष ने भरोसा नहीं किया था. इस पर बेंच ने कहा कि अदालत ने किसी भी अर्जी को तुच्छ या मुकदमे में देरी करने के इरादे से दायर बताकर खारिज नहीं किया है. मनीष सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसियों ने पहले कभी सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका नहीं जताई थी. इस पर बेंच ने कहा, ‘हमें पता है कि जमानत के हर मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाया जाता है.’
सिंघवी ने क्या दलील दी?
सिंघवी ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा दी गई दलीलें पूरी तरह से “दिखावा” थीं और पहले कभी उच्च न्यायालय या निचली अदालत के सामने नहीं उठाई गई थीं. उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया की रिहाई को रोकने के लिए मंगलवार को शीर्ष अदालत के सामने इस तरह की दलीलें दी गईं. बता दें कि 2021-22 की अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में अनियमितताओं में कथित संलिप्तता के लिए मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. ईडी ने उन्हें सीबीआई की प्राथमिकी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 9 मार्च, 2023 को गिरफ्तार किया था. उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
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FIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 06:52 IST