मनीष मंत्री या डिप्टी CM नहीं बन सकते, असली वजह हैं केजरीवाल


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से अपने सहयोगी मनीष सिसोदिया को मंत्री या उप मुख्यमंत्री नहीं बना सकते हैं. हां, अगर वे चाहे तो मनीष को मुख्यमंत्री या कार्यवाहक मुख्यमंत्री बना सकते हैं. मनीष की हैसियत आम आदमी पार्टी में अरविंद के बाद हमेशा नंबर दो की रही है. वे दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे हैं. मनीष को ईडी ने सीएम केजरीवाल से पहले ही जेल भेज दिया था. जेल में तकरीबन 17 महीने रहने के बाद 9 अगस्त को जमानत मिली है. वे 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किए गए थे.

इसके बाद कई बार उनकी जमानत अर्जी और याचिकाएं खारिज होती रहीं. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल पाई. जेल से बाहर आने के बाद सभी को उम्मीद बंध गई थी कि वे अपने पहले वाली स्थिति में दिल्ली सरकार के कार्यवाहक मुख्यमंत्री या उप मुख्यमंत्री बना दिए जाएंगे. वैसे गिरफ्तारी के पहले से ही एक चर्चा ये भी थी कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की राजनीति और सीएम की कुर्सी मनीष को सौंप कर राष्ट्रीय राजनीति में अधिक समय दे सकते हैं. इस लिहाज से भी माना जा रहा था कि ये सही मौका है.

चिट्ठी का चक्कर
अब इनमें से बहुत सी अटकलों पर विराम लग गया है. अब ये साफ हो गया है कि अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री की कुर्सी तो दे सकते हैं, लेकिन जेल में रहते हुए मंत्री नहीं बना सकते. इसकी वजह ये है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जेल से एक चिट्ठी लिख कर दिल्ली के उप राज्यपाल को सूचना दी कि आतिशी उनकी गैरमौजूदगी में राज्य के सरकारी समारोह में झंडा फहराएंगी.

इस चिट्ठी को लेकर जेल अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. जेल अफसरों की तरफ से कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल को विशेषाधिकार दिया गया है कि वे अपने परिवार को व्यक्तिगत पत्र लिख सकते हैं. लेकिन किसी भी तरह से वे सरकारी काम काज संबंधी चिट्ठी नहीं लिख सकते. साथ ही जेल अधिकारियों ने इस तरह की चिट्ठी को अवैध बताया है. हालांकि दिल्ली सरकार के एक मंत्री ने आतिशी के झंडा फहराने के बारे चिट्ठी जारी की है और उसमें सीएम केजरीवाल की चिट्ठी का कोई उल्लेख नहीं किया है.

एलजी भला कहां मानेंगे
बहरहाल, इस पूरे घटनाक्रम से ये साफ हो गया है कि मनीष तभी मंत्री या उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं, जब वे दिल्ली के एलजी को चिट्ठी लिख कर उन्हें मंत्री बनाने की सिफारिश करें. अगर केजरीवाल कोई भी ऐसी चिट्ठी लिखते हैं तो जेल अफसरों के मुताबिक वो अवैध होगी. दिल्ली सरकार के बहुत सारे प्रस्तावों पर रोड़ा अटकाने वाले एलजी किसी भी तरह इस “अवैध चिट्ठी” की सिफारिश को नहीं मानने वाले. यानि वे चिट्ठी को अवैध मान मनीष को मंत्री या उप मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे.

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एक रास्ता है, सीएम का इस्तीफा
हां, अरविंद केजरीवाल अगर चाहें तो ये जरूर कर सकते हैं कि वे मुख्यमंत्री का पद छोड़ दें. यानी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दें. बहुत से मंत्री या दूसरे राजनीतिक व्यक्ति जेल जाने के बाद इस्तीफा देते हैं. उसे जेल अधिकारी अवैध नहीं कह सकते हैं. इस स्थिति में आम आदमी पार्टी विधायक दल नया नेता चुनने को आजाद है. विधायक दल ऐसी स्थिति में मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री चुन सकता है.

Tags: Chief Minister Arvind Kejriwal, Delhi Government, Manish sisodia



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