नई दिल्ली: बांग्लादेश में खूनी बवाल के बाद सत्ता परिवर्तन हो गया. आरक्षण की आंधी में शेख हसीना को कुर्सी चली गई. उन्हें बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा. अभी वह भारत की शरण में हैं. मगर भारत में भी उनकी मुसीबत उनका साथ नहीं छोड़ रही. बांग्लादेश में उनके खिलाफ लगातार मामले दर्ज हो रहे हैं. अब उनके प्रत्यर्पण की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. सूत्रों की मानें तो बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर विचार कर रही है. इस बीच खालिदा जिया के सिपहसालार ने भारत के खिलाफ जहर उगला है. उसका कहना है कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया है. अब सवाल है कि क्या बांग्लादेश में भारत के खिलाफ साजिश पार्ट-2 की कोई तैयारी तो नहीं हो रही.
दरअसल, बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, ताकि उन पर बांग्लादेश में मुकदमा चलाया जा सके. शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या समेत कई मामले दर्ज हैं. मंगलवार तक उनके खिलाफ दर्ज केसों की संख्या करीब 25 पहुंच चुकी है. बांग्लादेश में 5 अगस्त को छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें करीब 100 लोगों की मौत हो गई थी. उस बवाल के बाद शेख हसीना को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी और 6 अगस्त को वह बांग्लादेश छोड़कर भारत भाग आई थीं.
‘भारत ने यह ठीक नहीं किया’
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा, ‘हमारी भारत से अपील है कि वह शेख हसीना को कानूनी तरीके से बांग्लादेश सरकार को सौंप दे. बांग्लादेश की जनता ने उनके मुकदमे का फैसला सुना दिया है. उन्हें उस मुकदमे का सामना करने दें.’ आलमगीर का कहना है कि शेख हसीना को शरण देकर भारत ने ठीक नहीं किया है. यह लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता के अनुरूप नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि शेख हसीना भारत में रहकर बांग्लादेश में हुई क्रांति को विफल करने के लिए साजिशें रच रही हैं.
आलमगीर ने उगला जहर
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करते हुए आलमगीर ने एक तरह से भारत के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से जहर ही उगला है. शेख हसीना को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैं यह बात दृढ़ता से कह रहा हूं और हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि भारत को बांग्लादेश के लोगों के दुश्मन (शेख हसीना) को पनाह देकर ज्यादा प्यार मिल सकता है, जिसे देश से भागना पड़ा था.’ हालांकि, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने हसीना पर दर्ज मामलों को लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की आलोचना की है. अवामी लीग ने शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामलों को झूठा और राजनीति से प्रेरित बताया है.
भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि
यहां बताना जरूरी है कि भारत और बांग्लादेश के बीच एक प्रत्यर्पण संधि है. नई दिल्ली और ढाका के बीच 2013 में प्रत्यर्पण संधि पर समझौता हुआ था. इस संधि के तहत दोनों देशों को उन लोगों को एक-दूसरे के हवाले करना जरूरी है, जिनके खिलाफ किसी भी अपराध के लिए अदालतों में कार्रवाई शुरू की गई हो. इस संधि के तहत कुछ भगोड़ों को भारत लाया गया है तो कुछ को बांग्लादेश वापस भी भेजा गया है. साल 2016 में इस प्रत्यर्पण संधि में संशोधन किया गया था. इन अपराधों में वित्तीय अपराध भी शामिल हैं, जिनमें एक साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है. बीएनपी का कहना है कि शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और जबरन एक्सटॉर्शन के मामले प्रत्यर्पण वाले कैटेगरी में हैं.
क्या भारत शेख हसीना को वापस सौंपेगा?
मगर अब सवाल है कि क्या शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया जा सकता है? क्या बांग्लादेश की बात मानने को भारत बाध्य है? इस बाबत सूत्रों का कहना है कि भारत बांग्लादेश की मांग को ठुकरा भी सकता है. यह द्विपक्षीय संधि उन मामलों पर लागू नहीं होती है जो ‘राजनीतिक प्रकृति के होते हैं. हालांकि, यह सबकुछ अपराध की प्रकृति पर निर्भर करता है. यह छूट मर्डर जैसे गंभीर अपराधों के आरोपियों के लिए नहीं है. अगर बांग्लादेश शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करता है तो भारत के पास ठुकराने को सॉलिड जवाब हैं. भारत संधि के अनुच्छेद 8 का हवाला देकर शेख हसीना के प्रत्यर्पण के किसी भी मांग को ठुकरा सकता है. यह अनुच्छेद दोनों देशों को उन अनुरोधों को ठुकराने की अनुमति देता है जो ‘ईमानदारी से और न्याय के हित में नहीं’ किए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 09:57 IST