भारत के SCBA ने बांग्लादेश से पूछा यक्ष प्रश्न, “क्या शेख हसीना ने किया था प्रत्यर्पण योग्य अपराध?…हिंदुओं को निशाना न बनाने की नसीहत भी दी


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बांग्लादेश में हिंसा।

नई दिल्लीः बांग्लादेश में भारी हिंसा के बाद हुए तख्तापलट के बीच अब भारत के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने ढाका से यक्ष पक्ष पूछ लिया है। एससीबीए के निवर्तमान अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आदिश सी.अग्रवाल ने बांग्लादेश की शीर्ष अदालत के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर जानकारी मांगी है कि क्या देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कोई ‘‘प्रत्यर्पण योग्य अपराध’’ किया था। अग्रवाल ने बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से यह भी अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि पड़ोसी देश में अशांति के दौरान हिंदुओं को जानबूझकर निशाना न बनाया जाये।

ए.एम.महबूब उद्दीन खोकोन को संबोधित पत्र में कहा गया है कि दोनों देशों का कानूनी समुदाय मिलकर काम करता है। पत्र में कहा गया, ‘‘मैंने खबरों में पढ़ा कि बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष की हैसियत से आपने आग्रह किया है कि भारत को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना को गिरफ्तार कर बांग्लादेश वापस भेज देना चाहिए।’’ इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच 2013 की प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, यह अनिवार्य है कि कोई ‘‘प्रत्यर्पण योग्य अपराध’’ हो। पत्र में कहा गया है, ‘‘ऐसी कोई खबर नहीं है कि शेख हसीना और उनकी बहन पर किसी आपराधिक मामले में आरोप लगाया गया है।

जानबूझकर न बनाएं हिंदुओं को निशाना

उन्होंने कहा कि अगर आप दावा करते हैं कि शेख हसीना और उनकी बहन पर किसी अपराध का आरोप लगाया गया है और अगर बांग्लादेश सरकार ने भारत सरकार से प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है, तो कृपया मुझे तुरंत उक्त जानकारी प्रदान करें, ताकि हम भारत सरकार पर उन्हें बांग्लादेश को प्रत्यर्पित करने के लिए दबाव डाल सकें।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘बार मानवाधिकारों का हिमायती है। खबरों में कहा गया है कि बांग्लादेश में जारी अशांति के दौरान हिंदुओं के घरों और व्यवसायों के साथ-साथ मंदिरों को भी निशाना बनाया गया, लूटा गया और क्षतिग्रस्त किया गया। मैं इस मौके पर आपसे यह भी अनुरोध करना चाहता हूं कि आप यह सुनिश्चित करें कि बांग्लादेश में हिंदुओं को जानबूझकर निशाना न बनाया जाए।’’  (भाषा) 

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