नई दिल्ली. एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में जिला जजों के पेंशन का मामला उठा है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने जिला जजों को मिलने वाले 12 हजार से 15 हजार की पेंशन पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जिला कोर्ट में जीवन बिताने के बाद उनको (सेशन कोर्ट के जज) 4-5 साल के भी कम समय के लिए हाईकोर्ट का जज बनाया जाता है. लेकिन, जब उनकी रिटारमेंट होती है, तो पेंशन के रूप में इतनी कम रकम दी जाती है, सोचने वाली बात है कि इस महंगाई वाले जमाने में वे अपना गुजर बसर कैसे करते होंगे?
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के सामने यह मामला आया था. कोर्ट के एमिकस क्यूरी (फ्रेंड ऑफ कोर्ट) के. परमेश्वर ने जिला कोर्ट के जजों के पेंशन संबंधी मामला उठाया और इसपर जल्दी समाधान की मांग की. सीजेआई के सामने जब यह मामला सामने आया तो उन्होंने चिंता व्यक्त की और उन्होंने खुद इस मामले को जल्दी सॉल्व करने की वाकालत की.
शीर्ष कोर्ट में जब इस मामले पर बात चल रही थी तब तीन जस्टिस के पीठ के सामने अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणि और सॉलिसिटर (एसजी) जनरल तुषार मेहता दोनों मौजूद थे. सीजेआई चंद्रचूड ने दोनों से भावुक अनुरोध किया कि आप अपने ऊंचे पद का उपयोग करें और इस मामले पर जल्दी समाधान लाने में मदद करें.
सीजेआई के अनुरोध पर, एजी वेंकटरमणि ने कहा कि हमको थोड़ा समय दे दीजिए, क्योंकि यह मुद्दा सरकार पर वित्तीय बोझ से जुड़ा है. इस पर सीजेआई ने कहा, ‘मैं आपकी दुविधा समझ रहा हूं. लेकिन, जिला कोर्ट के उन लोगों के बारे में सोचिए, नौकरी के अंतिम पड़ाव में उनको हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होते हैं, चार से पांच साल से भी कम समय के लिए उनको पद मिलता है, लेकिन रिटायरमेंट के दौरान उनकी पीछे की कार्यकाल को नहीं गिना जाता है और उन्हें 15 हजार-25 हजार रुपये की पेंशन दी जाती है. हमारे पास ऐसे सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीशों की याचिकाओं की भरमार है.’
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FIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 10:21 IST