एनपीएस में पेंशन कम बनती है, लेकिन फंड वापस मिल जाता है. यूपीएस में आपका फंड वापस करने का प्रावधान नहीं किया गया है. एनपीएस में मिले फंड को आप एफडी कराकर और लाभ ले सकते हैं.
नई दिल्ली. सरकार ने देश के लाखों कर्मचारियों का विरोध शांत करने और उन्हें रिटायरमेंट के बाद बुढ़ापे की मजबूत लाठी यानी पेंशन देने के लिए नया फॉर्मूला पेश किया है. यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को सरकार ने एनपीएस से बेहतर बताया और कहा कि इसमें रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन मिलेगी. वहीं, कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यूपीएस तो एनपीएस से भी गई गुजरी स्कीम है, क्योंकि इसमें कर्मचारी की सालों जमा की रकम को ही सरकार हजम कर ले रही है.
कर्मचारियों के इस दावे को हम बाकायदा उदाहरण और कैलकुलेशन के साथ आपके सामने पेश कर रहे हैं. इसे देखकर आपको खुद पता चल जाएगा कि किसके दावे में कितना सच है. इससे पहले हम आपको एक बात क्लीयर कर दें कि सरकार ने रिटायरमेंट पर कुल जमा रकम देने के बजाए लमसम अमाउंट देने का एक फॉर्मूला तय कर दिया है. बस यही इस स्कीम का सबसे बड़ा झोल है और कर्मचारी इसी बात का विरोध कर रहे. ऑल टीचर्स इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) के यूपी प्रदेश सलाहकार डॉ आनंदवीर सिंह कहा कहना है कि हमारा खुद का जमा किया पैसा ही हमें क्यों वापस नहीं दिया जा रहा.
एक केस पर करेंगे सारे कैलकुलेशन
एनपीएस और यूपीएस से मिलने वाले लाभ और नुकसान को लेकर हम एक केस के साथ पूरा कैलकुलेशन करेंगे. मान लीजिए किसी कर्मचारी ने 25 साल नौकरी की. इसी अवधि पर हम एनपीएस और यूपीएस में किए गए अंशदान और सरकार की ओर से डाले गए अंशदान के साथ दोनों ही योजनाओं में मिलने वाली पेंशन और हाथ में आने वाली रकम पर गणना करेंगे. मान लेते हैं कि किसी कर्मचारी का 25 साल में औसत सैलरी 80 हजार रुपये है तो इसी आधार पर पूरी गणना करते हैं.
एनपीएस में कितना बनेगा फंड
ऊपर बताए गए आंकड़े पर ही कैलकुलेशन करें तो एनपीएस में सैलरी का 10 फीसदी कर्मचारी देता है और 14 फीसदी सरकार देती है. इस लिहाज से हर महीने सैलरी का 24 फीसदी एनपीएस में जमा किया जाता है. जैसा ऊपर बताया है कि किसी कर्मचारी की 25 साल में औसत सैलरी 80 हजार है तो एनपीएस में उसका हर महीने योगदान 19,200 रुपये होगा. अगर सरकार पीएफ पर 8.25 फीसदी ब्याज दे रही तो मान लेते हैं कि एनपीएस में 9 फीसदी का ही रिटर्न मिल रहा. इस लिहाज से 25 साल में कुल निवेश 57.60 लाख रुपये होगा, जिस पर रिटर्न जोड़कर 2,16,86,983 रुपये का फंड बनेगा.
यूपीएस में कितना बनेगा फंड
इस स्कीम में कर्मचारी का अंशदान तो 10 फीसदी रहेगा, लेकिन सरकार का बढ़कर 18.5 फीसदी हो गया है. इस तरह सैलरी का 28.5 फीसदी हर महीने यूपीएस में अंशदान किया जाएगा. इस लिहाज से 80 हजार का 28.5 फीसदी यानी 22,800 रुपये हर महीने यूपीएस में जमा होगा. इस लिहाज से 25 साल में 68.40 लाख का निवेश होगा. इस पर एनपीएस जितना यानी 9 फीसदी ब्याज लगा लें तो कुल फंड 2,57,53,292 रुपये हो जाएगा.
किसमें कितनी मिलेगी एकमुश्त राशि और पेंशन
अगर एनपीएस की बात करें तो रिटायरमेंट पर आपको 60 फीसदी यानी 1,30,12,190 रुपये वापस कर दिए जाएंगे और शेष राशि से एन्युटी खरीदी जाएगी जिस पर 6 फीसदी सालाना ब्याज के हिसाब से हर महीने 43,374 रुपये की पेंशन मिलेगी. वहीं, यूपीएस में यह पूरा फंड सरकार के पास रहेगा. इसके बदले कर्मचारी को हर 6 महीने की सर्विस पूरी होने पर सैलरी का 10 फीसदी जोड़कर दिया जाएगा. 25 साल में 50 छमाही हुई और हमने औसत सैलरी हर महीने 80 हजार रखी है तो हर छमाही 48 हजार रुपये बनेंगे. इस तरह, 50 छमाही के बाद कुल 24 लाख रुपये एकमुश्त दिए जाएंगे. पेंशन आखिरी बेसिक सेलरी की 50 फीसदी बनेगी. हम मान लें कि बेसिक सैलरी आखिर में 1 लाख भी है तो पेंशन होगी 50 हजार रुपये महीने.
फिर क्यों बेहतर है एनपीएस
अटेवा के यूपी प्रदेश सलाहकार डॉ आनंदवीर सिंह का कहना है कि ऊपर दिए कैलकुलेशन को ही लेकर चलें तो हमें एनपीएस में 43 हजार से ज्यादा की पेंशन मिल रही, जबकि एकमुश्त राशि के तौर पर करीब 2.17 करोड़ रुपये का फंड भी मिल रहा है. वहीं, यूपीएस में सिर्फ 24 लाख का एकमुश्त फंड मिल रहा और शेष करीब 2.33 करोड़ रुपये सरकार अपने पास रख लेगी और बदले में हमें एनपीएस से महज 7 हजार रुपये ज्यादा पेंशन देगी. ऐसे में किस लिहाज से यूपीएस पहले दी गई एनपीएस से बेहतर है. जाहिर है कि यूपीएस तो एनपीएस से भी कहीं ज्यादा खराब स्कीम है.
डॉ आनंदवीर सिंह ने आगे बताया कि अगर एनपीएस में हमने एकमुश्त मिली 1.30 करोड़ की राशि को एफडी में डाल दिया जिस पर 6 फीसदी ब्याज मिल रहा है तो भी हर महीने 65 हजार रुपये मिल जाएंगे. इसमें एन्युटी से मिली 43 हजार की राशि को जोड़ दें तो हमारी हर महीने की पेंशन 1.08 लाख रुपये हो जाएगी, जो यूपीएस के 50 हजार से कहीं ज्यादा है. मान लें हम यूपीएस की 24 लाख रुपये की भी एफडी करा दें तो 6 फीसदी ब्याज के लिहाज से हर महीने 12 हजार मिलेंगे. इसे पेंशन में मिला दें तो 62 हजार रुपये हुए, जबकि एनपीएस में यही रकम 46 हजार रुपये ज्यादा रहेगी. ऊपर से हमारा करोड़ों का फंड भी बना रहेगा, जो यूपीएस में छीन लिया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 13:12 IST