शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर क्यों भागीं, इसके पीछे कई वजह है. लेकिन एक वजह ऐसी है, जिसने छात्रों का गुस्सा भड़का दिया. वे तय करके बैठ गए कि जब तक शेख हसीना सरकार को सत्ता से उखाड़कर फेंक नहीं देंगे, तब तक नहीं मानेंगे. ये घटना थी, एक पानी पिलाने वाले की मौत…आंदोलन कर रहे छात्रों को यह शख्स पानी के बोतल बांटता था. ट्रैफिक कंट्रोल करता था, ताकि आंदोलन में कोई दिक्कत न आए. लेकिन पुलिस की एक चूक ने सारा खेल पलट दिया. हालत यहां तक आ गई कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद छोड़कर देश से भागना पड़ा. आज उस शख्स की जुबां से निकले आखिरी शब्द हर बांग्लादेशी की जुबां पर हैं.
स्टूडेंट्स को पानी पिलाने वाला यह शख्स कोई नहीं, बल्कि बांग्लादेश यूनिवर्सिटी ऑफ प्रोफेशनल्स का छात्र मीर महफूजुर रहमान मुग्धो था. मुग्धो हिंसक झड़पों के बीच प्रदर्शनकारियों को भोजन, पानी और बिस्कुट बांट रहा था, जब 18 जुलाई को उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. सोशल मीडिया में उसके वीडियो खूब वायरल हुए. इसमें मुग्धो हिंंसा के बीच भागते हुए देखा गया. यह देखकर छात्रों का गुस्सा और भड़क उठा. उसी दिन पूरे देश में मुग्धो को श्रद्धांजलि दी गई. छात्रों ने उन्हें सैल्यूट किया.
‘पानी लगबे पानी’… हर शख्स की जुबां पर
‘पानी लगबे पानी’ (पानी ले लो पानी) मुग्धो के अंतिम शब्द थे. आज ये शब्द बांग्लादेश के हर नागरिक की जुबां पर हैं. हर कोई उन्हें इन्हीं शब्दों से याद कर रहा है. स्टूडेंट्स उन्हें नेशनल हीरो की उपाधि दे रहे हैं. उनकी तारीफ के कसीदे गढ़े जा रहे हैं. तेजगांव कॉलेज में मार्केटिंग की पढ़ाई कर रहे रकीब ने कहा, हमारे भाई को प्रदर्शनकारियों को पानी पिलाते समय गोली मार दी गई. हम उनके सम्मान में लोगों को पानी पिला रहे हैं. वे हमारे लिए नेशनल हीरो हैं. ढाका यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट आरिफ कहते हैं, मुग्धो ने जो शुरू किया, हम उसे जारी रखना चाहते हैं. उन्होंने हमें एक जिम्मेदारी सौंपी है, हम उसे भूलना नहीं चाहते.
उनके नाम पर पानी का एक ब्रांड हो
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्राएं भी उनकी मुरीद हैं. मोहनगोर नर्सिंग कॉलेज की छात्रा तहमीना कहती हैं, मुझे लगता है कि मुग्धो को सम्मान देने के लिए देश में उनके नाम पर पानी का एक ब्रांड होना चाहिए. यह उन्हें हमेशा याद रखने और अगली पीढ़ी तक इसे पहुंचाने का एक तरीका हो सकता है. छात्रों की मांग है कि बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियां अपनी कमाई का एक हिस्सा मुग्धो के परिवार को दें. कुछ स्टूडेंट मुग्धो की तरह ही चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे हैं, ताकि वे मुग्धो की यादों को सहेज सकें. आंदोलन के बाद से छात्रा नसीमा सड़क पर रह रही हैं. वे चाहती हैं कि बांग्लादेश को फिर से बनाने के लिए कुछ मदद दें. उन्होंने कहा, हम ऐसा बांग्लादेश सुनिश्चित करें जहां सभी वर्गों के लोग सद्भावना से रह सकें. मुग्धो के लिए इससे बड़ी श्रद्धांजलि और कुछ नहीं हो सकती.
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FIRST PUBLISHED : August 8, 2024, 18:34 IST