आरबीआई गाइडलाइन के तहत टाटा संस को सितंबर में लिस्ट होना था. कंपनी की ओर से करीब 55 हजार करोड़ का आईपीओ लाया जाना था. कंपनी ने इससे बचने के लिए 20 हजार करोड़ का लोन चुका दिया है.
नई दिल्ली. देश का सबसे मजबूत और भरोसेमंद ब्रांड माना जाने वाला टाटा समूह अब सबसे बड़ा आईपीओ उतारने की भी तैयारी कर रहा है. इसका आकार अभी देश में सबसे बड़े आईपीओ के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो टाटा समूह को अगले महीने यानी सितंबर, 2025 तक शेयर बाजार में खुद को लिस्ट कराना है. इस बार में रिजर्व बैंक की ओर से गाइडलाइन भी जारी हो चुकी है और अब सभी की निगाहें आरबीआई की ओर टिकी हैं. हालांकि, इस बीच खबर आ रही कि कंपनी ने 20 हजार करोड़ का कर्ज चुका दिया है और अब बाजार में लिस्ट होने से बच सकती है.
दरअसल, आरबीआई के एसबीआर यानी स्केल बेस्ड रेगुलेशन के नियमों के आधार पर टाटा संस को अगले साल सितंबर तक शेयर बाजार में लिस्ट होना था. आरबीआई ने सितंबर, 2022 में इस गाइडलाइंस को शुरू किया था और तीन साल के अंदर अपर लेयर की एनबीएफसी को इसके तहत बाजार में लिस्ट होना है. हालांकि, टाटा संस ने इस लिस्टिंग से छूट के लिए आरबीआई के पास अपील की थी, जिस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है और सभी की निगाहें आरबीआई पर टिकी हुई हैं. इस बीच कंपनी ने 20 हजार करोड़ का कर्ज चुकाकर खुद को लिस्ट न करने की तरफ बड़ा कदम बढ़ा दिया है.
55 हजार करोड़ का आना था आईपीओ
मीडिया रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि टाटा संस आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से 55,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही थी. हाल में इस खबर के बाद टाटा समूह की कंपनियों के शेयर की कीमतें बढ़ गई थीं. टाटा केमिकल्स, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील सहित इन कंपनियों के पास टाटा संस में पर्याप्त इक्विटी है और भारी लाभ उठाया गया है. हालांकि, छूट का अनुरोध करने के टाटा संस के फैसले से उनके शेयर की कीमतों में गिरावट आई है.
आरबीआई ने क्यों दिया था निर्देश
देश में प्रमुख एनबीएफसी आईएलएंडएफएस के पतन के बाद कॉर्पोरेट गनर्वेंस को बढ़ाने और जोखिमों को कम करने के लिए आरबीआई द्वारा एसबीआर की शुरुआत की गई थी. यह नियामक ढांचा अपर लेयर की एनबीएफसी के लिए लिस्टिंग को अनिवार्य करता है, जिसका लक्ष्य जवाबदेही सुनिश्चित करना और एकाग्रता जोखिमों को कम करना है. इस नियम से टाटा संस के छूट की अपील के पीछे एक संभावित कारण उसके मालिकों को मिलने वाले प्रफरेंशियल ट्रीटमेंट का खुलासा करने की चिंता हो सकती है. टाटा संस को सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्टों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो ऐसी स्वामित्व संरचनाओं को प्रतिबंधित करने वाले ट्रस्ट कानूनों के साथ टकराव हो सकता है. इसके अतिरिक्त, टाटा संस के एसोसिएशन ऑफ आर्टिकल्स टाटा ट्रस्ट को बोर्ड निर्णयों पर महत्वपूर्ण नियंत्रण प्रदान करते हैं. सूचीबद्ध कंपनियों में इसकी अनुमति नहीं है.
कौन-कौन सी कंपनियां कर रहीं पालन
बजाज हाउसिंग फाइनेंस, आदित्य बिड़ला फाइनेंस और एलएंडटी फाइनेंस सहित अन्य सभी अपर लेयर की एनबीएफसी आरबीआई द्वारा निर्धारित लिस्टिंग नियमों का अनुपालन कर रही हैं. टाटा संस को छूट देने से एक परेशान करने वाली मिसाल कायम हो सकती है. इससे नियामक ढांचे को कमजोर किया जा सकता है और भारत के पूंजी बाजारों में समान अवसर को विकृत किया जा सकता है. देश का इक्विटी मार्केट कैप 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर है.
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FIRST PUBLISHED : August 26, 2024, 18:58 IST