कोलकाता के आरजी अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ, बहुत भयानक है. सुन कर हम लोगों का मन भी भर आता है. धरती के देवता डॉक्टर के साथ ये सब करने वाले राक्षस को सजा मिलनी ही चाहिए. आपका गुस्सा बहुत जायज है. आखिर आपकी हिफाजत होनी ही चाहिए. ऐसा इंतजाम भी होने चाहिए कि आगे कोई किसी डॉक्टर को आंख दिखाते भी डरे. लेकिन दोहाई है डॉक्टर साहेब. हड़ताल को लंबा मत करिए. सुना है आने वाले दिनों में आप लोग अपना आंदोलन और तेज करने वाले हैं. हम गरीब लोग तो आपके साथ है. हमारे पास और कुछ नहीं है. बस कुदरत की दी हुई ये शरीर भर है. निरोग रहेगी तो दो जून की रोटी कमा लेंगे. बच्चों का पेट भरेगा. बस आपसे ही आस है. आपने देख भर लिया तो ठीक हो जाएंगे. रोजी-रोटी कमाने लायक बन जाएंगे.
गरीब मरीजों का आसार
दुहाई है… हड़ताल को टाल दीजिए. रुखसाना एम्स में फुट पाथ पर पड़ीं हैं. रोज कमाने, रोज खाने वाले परिवार की हैं. आप ही लोगों की वजह से 8 साल से किडनी का इलाज हो रहा है. किडनी खराब हो गई है. अभी तो डॉयलिसिस पर जिंदा हैं. महज आप लोगों के सरकारी अस्पताल के भरोसे. प्राइवेट अस्पताल तो जाने का सोच ही नहीं सकतीं. बहुत दर्द हो रहा है. उसे गार्ड भैया ने बताया कि आप लोग हड़ताल पर हैं. इस वजह से कुछ नहीं हो सकता. कुछ कीजिए!
झारखंड के महतो जी ( बदला सरनेम) ने अपना नाम नहीं बताया. वे मीडिया में अपना परिचय नहीं देना चाहते. फोटो भी नहीं खिचवाया. उनकी फूल सी डेढ़ साल की बेटी को दिखता ही नहीं है. प्यारी सी बच्ची है,लगता है फूल सी बेटी का नाम फूलवा होगा. वो भी उन्होंने नहीं बताया. अपने बूते भर रांची तक दिखा लिया. अलग-अलग डॉक्टरों ने अलग अलग राय दी. अब बहुत उम्मीद लेकर एम्स आए थे. यहां उन्हें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है.
फिर आ पाना मुमकिन नहीं
ग्वालियर के दिनेश सलूजा के पैरों में गैंगरीन हो गया है. बहुत परेशान होने के बाद उन्हें पता चला कि एम्स में ही सलीके से इसे काट कर गैंगरीन से निजात मिल पाएगी. लंबी लाइन से होकर उसे टाइम मिला. साधारण परिवार के दिनेश के लिए बीमारी की हालत में एम्स पहुंच पाना आसान नहीं था. जैसे तैसे पहुंच सका तो उसे भी रुखसाना वाला ही जवाब गार्ड भैया ने दे दिया. अब दुबारा एम्स आ पाना उसके बस की बात नहीं है.
बच्ची के दिल में छेद है
बरेली का एक परिवार बदहवास दिख रहा है. उसकी दो महीने की बिटिया के दिल में छेद है. साफ और गंदा खून दोनो मिल जा रहा है. बरेली के डॉक्टरों ने कहा है कि सिर्फ एम्स ही इस बीमारी में मदद कर सकता है. यहां उन्हें 16 को आने को कहा गया. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण आज भी उनको कोई राहत नहीं मिल पाई होगी.
एम्स का नाम आपकी ही वजह से बन पाया है. आप लोगों को कई बार काम करते देखा है. देखा है कि आप लोग समय की परवाह किए बिना दूसरों को ठीक करने में 24 में से 16-16 घंटे लगे रहते हैं. गरीब और अमीर में फर्क नहीं समझते. लगता है सेवा ही आपका मकसद है. बहुत श्रद्धा होती है आप जैसे बहुत सारे डॉक्टरों को देख कर.
हड़ताल चली तो मरीजों की परेशानी और बढ़ जाएगी.
ये बात सिर्फ एम्स के ही लिए ही नहीं है. एम्स की तो बस मिसाल भर दी है. ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में गरीबों को बहुत सी सुविधाएं मिल जाती है. छिट-फुट घटनाओं को छोड़ दिया जाय तो आप लोगों के भरोसे ही कम कमाई वाले और बगैर मेडिकल इंश्योरेंस वाले भी अपना और अपने परिवार वालों का इलाज करा पाते हैं.
ये भी पढ़ें : ‘वाम और राम का काम’, फिर यूपी हाथरस का नाम, कौन भटक रहा है, कौन भटका रहा है ममता दीदी!
अब तक तो जूनियर और रेजीडेंट डॉक्टर ही हड़ताल पर थे. अब सुनने में आ रहा है कि डॉक्टरों की बड़ा संगठन इंडियन मेडिकल काउंसिल ने भी हड़ाताल पर जाने की बात की है. आईएमए अगर हड़ताल पर चला गया तो किसी को इलाज नहीं मिल पाएगा.आखिरकार प्राइवेट अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर भी तो इसके मेंबर हैं ही. आईएमए के कुल मेंबरों की संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा है. हाहाकार मच जाएगा. अगर सारे डॉक्टर हड़ताल पर चले गए तो त्राहि-त्राहि मच जाएगी. एक बार और सोचिए. आंदोलन की कोई दूसरी राह निकालिए. हम सब गरीबों की हाथ जोड़ कर प्रार्थना है. हम सब आपके साथ है. हमारा कोई कसूर नहीं है, लेकिन हम सजा पा जाएंगे. आखिर कुदरत की बनाई इस शरीर का इलाज आप ही कर सकते हैं. न तो कोई आईएएस इसका इलाज कर सकता है न कोई मंत्री. इस शरीर में जो भी गड़बड़ है उसे ठीक करने का शिफा सिर्फ आपके ही पास है.
Tags: Doctor murder, Junior Doctors Strike
FIRST PUBLISHED : August 16, 2024, 16:43 IST