झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) छोड़कर चंपई सोरेन का भाजपा की ओर मुखातिब होना चौंकाता है. जेएमएम के संस्थापक गुरुजी के नाम से मशहूर शिबू सोरेन के पुराने साथियों में चंपई सोरेन शुमार किए जाते हैं. भरोसेमंद भी माने जाते रहे हैं. यहां तक तो बात बिल्कुल सही है. पर, क्या उनके पार्टी छोड़कर विरोधी खेमे में जाने से सच में भाजपा को मजबूती मिलेगी? यह सवाल इसलिए उठता है कि राजनीतिक करियर में चंपई सोरेन के खाते में ऐसी कोई उपलब्धि नहीं दिखती है, जो यह साबित कर सके कि वे हेमंत सोरेन को चुनौती दे सकते हैं.
उन्हें समय-समय पर मंत्री से लेकर सीएम तक किसी ने बनाया तो वह हेमंत सोरेन ही थे. सोशल मीडिया पर जारी उनके पत्र से यह संकेत तो साफ है कि वे अपनी पार्टी जेएमएम के नेतृत्व से बेहद खफा हैं, पर वे भाजपा का दामन थामेंगे, इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है. इस सस्पेंस का राज क्या है, यह जानने से पहले इस बात की चर्चा प्रासंगिक होगी कि अब तक भाजपा के साथ जाने वालों का क्या हश्र हुआ.
सीता और गीता का नहीं दिखा था कमाल
इस साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने शिबू सोरेन की बड़ी बहू और जेएमएम की विधायक सीता सोरेन और उनकी बेटी को तोड़ लिया. उन्हें दुमका में अपने सीटिंग सांसद सुनील सोरेन की जगह सीता को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया. अव्वल तो दुमका भाजपा की सीट थी. दूसरे, सीता सोरेन शिबू सोरेन की बहू थीं. तीसरा कि संथाल परगना इलाके की ही जामा सीट से विधायक निर्वाचित होती रही थीं. चौथा, भाजपा जैसी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी की उम्मीदवार थीं और पांचवां उन्हें नरेंद्र मोदी जैसे व्यक्ति का नेतृत्व हासिल था. इसके बावजूद वे चुनाव हार गईं. अब उनका क्या होगा, शायद उन्हें भी पता न हो. इसी तरह पूर्व सीएम मधु कोड़ा की सांसद पत्नी गीता कोड़ा को भी भाजपा ने कांग्रेस से अलग कर अपने साथ लिया. उन्हें जेएमएम की जोबा मांझी ने हरा दिया. वे अब विधानसभा का चुनाव लड़ेंगी या लोकसभा चुनाव के लिए पांच साल इंतजार करेंगी, यह भाजपा के हाथ में है. यानी इंडिया ब्लॉक छोड़कर भाजपा के साथ जाने पर दोनों की दुर्गति हो गई.
हेमंत सोरेन के पक्ष में 2019 से ही है हवा
वर्ष 2019 में भाजपा की लहर के बावजूद जेएमएम ने 30 सीटें जीत लीं. पांच साल सरकार में रहने का कोई लाभ भाजपा को नहीं मिला. उसे 26 सीटों से ही संतोष करना पड़ा. हेमंत सोरेन अपनी पार्टी और कांग्रेस-आरजेडी के गठबंधन के लिए इकलौते स्टार प्रचारक थे. जनता उनके साथ खड़ी हुई. खासकर आदिवासी समाज ने उनका साथ दिया. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीटों में महज दो सीटें ही भाजपा की झोली में गईं. बाकी पर जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कब्जा जमा लिया. सरकार गठबंधन की बनी और हेमंत सोरेन सीएम बने. तब से हवा उनके पक्ष में बनी हुई है.
हेमंत सोरेन का जेल जाना बन गया वरदान
इस बीच ईडी ने जमीन घोटाले में हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया. भाजपा को उम्मीद थी कि उन्हें भ्रष्टाचारी बताकर वह लोकसभा चुनाव में अपना परचम आसानी से लहरा देगी. पर, हुआ इसके उलट. आदिवासी समाज जेएमएम के साथ बुलंदी से खड़ा रहा. लोकसभा की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सभी पांच सीटें जेएमएम ने जीत लीं. इन्हीं पांच संसदीय सीटों के अंतर्गत विधानसभा की 28 सीटें आती है. ऐसा तब हुआ, जब हेमंत जेल में थे. उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी. वे खुद भी उस दौरान विधानसभा का उपचुनाव लड़ रही थीं. यानी हेमंत सोरेन का जेल जाना जेएमएम के लिए वरदान बन गया.
चंपई सोरेन का बीजेपी कर रही है इस्तेमाल
चंपई सोरेन के भाजपा ज्वॉइन करने के औपचारिक ऐलान में भले विलंब हो रहा है, पर उनका जाना तय है. अलबत्ता इसका समय क्या होगा, सिर्फ यह किसी को पता नहीं. माना जा रहा है कि भाजपा की रणनीति के तहत ही उन्होंने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट डाला. पत्र जारी करने के समय पर गौर करें तो भाजपा की रणनीति स्पष्ट हो जाती है. दरअसल रक्षाबंधन के दिन सीएम हेमंत सोरेन मईयां योजना के तहत वादे के मुताबिक 81 हजार बहनों के खाते में एक-एक हजार रुपए ट्रांसफर करने वाले थे. यह हेमंत सोरेन की महत्वाकांक्षी योजना है और इसका महिला मतदाताओं पर गहरा असर होने की संभावना है.
अभी तक 21 से 50 साल आयु वर्ग की 41 लाख आवेदनों को स्वीकृति मिल चुकी है. इस योजना के तहत हर महीने एक हजार रुपए देने की बात है. मीडिया के लिए इससे बड़ी खबर बनाने के गरज से ही चंपई सोरेन का पत्र एक दिन पहले जारी कराया गया. ऐसा ही हुआ भी. मीडिया में चंपई के नाराज होने की खबर सुर्खी बन गई, जबकि मईयां योजना की खबर सेकेंडरी हो गई.
ओमप्रकाश अश्क
प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने बांधे रखा. अब रांची में रह कर लेखन सृजन कर रहे हैं.