जान की तो कीमत ही नहीं! ब्‍लैक लिस्‍टेड कंपनी को ही दे दिया रोपवे बनाने का काम


हाइलाइट्स

डीआरआईएल के प्रोजेक्‍ट पर 2022 में बड़ा हादसा हुआ था. झारखंड के देवघर में हुए इस हादसे में 3 लोगों की मौत हुई थी. अब इसकी अनुषंगी कंपनी को राजस्‍थान में ठेका मिल गया है.

नई दिल्‍ली. इन्‍फ्रा परियोजनाओं के निर्माण में ठेके देने को लेकर किस तरह सुरक्षा मानकों की अनदेखी हो रही, इसकी बानगी हाल में एक कंपनी को मिले रोपवे बनाने के ठेके से पता चलती है. इस कंपनी का हादसों से पुराना नाता रहा है और 2 साल पहले तो झारखंड के देवघर में हुए हादसे में 40 घंटे तक सेना को रेस्‍क्‍यू अभियान चलाना पड़ा था. इसके बाद सरकार ने इसे 5 साल के लिए ब्‍लैक लिस्‍ट कर दिया. अब इसकी अनुषंगी कंपनी को राजस्‍थान में फिर एक बार रोपवे बनाने का काम सौंप दिया गया है. हालांकि, इसका ठेका रद्द किए जाने की मांग भी लगातार उठ रही है.

दरअसल, राजस्‍थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ माता मंदिर में रोपवे बनाने का काम दामोदर रोपवे एंड इंफ्रा लिमिटेड (डीआरआईएल) की SPV कंपनी चौथ माता केबल कार प्राइवेट लिमिटेड को मिला है. कंपनी के पिछले प्रोजेक्ट्स में कई घातक दुर्घटनाएं घट चुकीं हैं. इस पर प्रतिद्वंदी कंपनी और रोपवे ऑपरेटर उषा ब्रेको (यूबीएल) ने विरोध जताते हुए ठेका रद्द करने की मांग की है.

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6 बार हादसे की शिकार
उष ब्रेको का कहना है कि पिछले कुछ सालों में डीआरआईएल के प्रोजेक्‍ट पर लगभग छह रोपवे दुर्घटनाएं घट चुकी हैं. इसमें झारखंड के देवघर जिले के त्रिकुट हिल्स पर 22 अप्रैल, 2022 को हुआ भयानक हादसा भी शामिल है. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 60 से अधिक पर्यटक 40 घंटे से अधिक समय तक हवा में फंसे रहे. इन लोगों को एनडीआरएफ, सेना, वायुसेना और जिला प्रशासन ने रेस्‍क्‍यू अभियान से बचाया था. उसके दो साल बाद राज्य पर्यटन विभाग ने डीआरआईएल को पांच साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था. साथ ही 9 करोड़ का जुर्माना भी लगा.

बार-बार मानकों की अनदेखी
यूबीएल ने आरोप लगाया कि डीआरआईएल के प्रोजेक्‍ट में सबसे बड़ी खामी मानकों की अनदेखी रही है. 20 जनवरी, 2019 को जम्मू कश्मीर स्थित महामाया पार्क टर्मिनल स्टेशन के पास कुछ कर्मचारी रोपवे का काम कर रहे थे. तभी बचाव ट्रॉली अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गई और दो लोगों की मौत के अलावा चार अन्य घायल हो गए. जांच में पता चला कि ट्रॉली पर मौजूद छह लोगों में से किसी ने भी हेलमेट और सुरक्षा रस्सी जैसे अनिवार्य गियर नहीं पहने थे. कंपनी की ओर से उन्हें ये प्रदान नहीं किए गए थे, इसकी पुष्टि सीसीटीवी कैमरों से भी हो गई थी. साथ ही ट्रॉली में सिर्फ 2 लोगों को रहने की अनुमति थी, जबकि इस पर 6 लोग सवार थे.

टेंडर रद्द करने की मांग
यूबीएल ने कहा कि लाखों तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ब्‍लैक लिस्‍टेड कंपनी से यह ठेका वापस ले लिया जाए. कंपनी का दावा है कि वह साल 1969 से ही देश में रोपवे संचालन का काम देख रही है और अभी तक भारत व एशिया सहित 29 रोपवे का निर्माण कर चुकी है. यह कंपनी देश में 9 यात्री रोपवे का संचालन कर रही है.

Tags: Business news, Infrastructure Projects



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