नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कपिल सिब्बल ने तीस्ता सीतलवाड़ की तरफ से याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी क्लाइंट को विदेश यात्रा की अनुमति दी जाए. सिब्बल ने बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ को 31 अगस्त से 10 सितंबर तक मलेशिया के सेलंगोर में ट्रैवल करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कोर्ट का बताया कि इस टूर का उद्देश्य नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में भाग लेना है.
इस मामले में जस्टिस बी.आर. गवई और के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने दो शर्तों के साथ तीस्ता को विदेश जाने की अनुमति दे दी. सुप्रीम कोर्ट की पहली शर्ते उन्हें एक शपथ-पत्र देना था जिसमें बताया जाए वह कम तक भारत वापस लौट आएंगी. दूसरी, 10 लाख रुपये की सॉल्वेंट सिक्योरिटी भी जरूरी है. इसके अलावा, सम्मेलन के खत्म होने के बाद पासपोर्ट वापस करना होगा. गुजरात दंगों से जुड़े मामले में सीतलवाड फिलहाल जमानत पर हैं. वो एक कॉन्फ्रेंस के लिए मलेशिया जाना चाहती थी. अब कोर्ट ने कहा है कि वो जांच एजेंसी को अपने दौरे से जुड़ी जानकारी देंगी और वापस आने पर पासपोर्ट भी सौंप देंगी.
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर कोर्ट उन्हें जाने को अनुमति देता है तो सख़्त शर्ते लगाई जानी चाहिए. ताकि उनकी देश वापसी सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि हमें गंभीर आशंकाएं हैं कि जाकिर नाइक भी वहीं रहता है. सुप्रीम कोर्ट पहले 25 हजार की सिक्योरिटी लगाने की बात कर रहा था, जिसे बाद में सॉलीसिटर जनरल के कहने के बाद दस लाख किया गया. सीतलवाड़ पर 2002 के गुजरात दंगों में कई लोगों को बदनाम करने की साजिश के आरोपों से जुड़े एक आपराधिक मामले में जमानत पर हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए जुलाई 2023 में उनकी जमानत याचिका को मंजूरी दी थी.
जाकिर नाइक भी वहीं रहता है: एसजी की दलील
सीतलवाड़ की ओर से कपिल सिब्बल ने बेंच से कहा कि मैं अपने क्लाइंट के लिए शर्त में ढील चाहता हूं कि मुझे अपना पासपोर्ट जमा करना होगा. यह एक सम्मानित संगठन है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुझाव दिया कि यदि उन्हें विदेश यात्रा की अनुमति दी जा रही है, तो ऐसी शर्तें लगाई जानी चाहिए ताकि सीतलवाड़ की भारत वापसी भी सुनिश्चित हो सके. मेहता ने कहा कि उन्हें सम्मेलन से जुड़ी जानकारी और अपने टूर के उद्देश्य के बारे में भी बताना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि जस्टिस लंबित मुकदमों का सामना करने के लिए वापसी सुनिश्चित करने के लिए शर्तें जोड़ सकते हैं. हमें गंभीर आशंका है. जाकिर नाइक (आतंकवादी आरोपी, भारतीय कानून से भगोड़ा) वहीं रहता है.
इसके बाद कोर्ट ने सीतलवाड़ की याचिका को स्वीकार करते हुए उनसे ₹10 लाख की जमानत राशि जमा करने और सम्मेलन समाप्त होने के बाद अपना पासपोर्ट वापस करने को कहा है. कोर्ट ने शुरू में जमानत राशि लगभग ₹25,000 निर्धारित करने के लिए इच्छुक था. हालांकि, एसजी मेहता की आपत्ति के बाद इसने राशि बढ़ा दी, जिन्होंने कहा कि 25,000 रुपये उनके लिए कुछ भी नहीं होंगे. इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि सीतलवाड़ के खाते अभी भी फ्रीज हैं. फिर भी, सुप्रीम कोर्ट ने एसजी की चिंताओं को दूर करने के लिए जमानत राशि बढ़ाने का आदेश दिया.
तीस्ता केस में कब क्या हुआ?
आपको बता दें कि साल 2023 में, 2002 के दंगों के मामलों में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में गुजरात पुलिस के मामले में सीतलवाड़ को नियमित जमानत दी गई थी. न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार किया गया था. जमानत के लिए लगाई गई शर्तों में से एक यह थी कि सीतलवाड़ का पासपोर्ट सत्र न्यायालय के पास रहेगा.
हाल की याचिका में सीतलवाड़ ने तर्क दिया है कि उन्हें पुसत कोमास द्वारा आयोजित नस्लवाद विरोधी राष्ट्रीय ‘गैर-भेदभाव पर 12वें राष्ट्रीय सम्मेलन’ के लिए पैनलिस्ट के रूप में निमंत्रण मिला है. गुजरात पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आवेदन का विरोध किया.
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FIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 17:31 IST