जल जीवन मिशन में महाघोटाला, ED ने पेश की 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट


जयपुर. जल जीवन मिशन के 900 करोड़ रुपये के महाघोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले में 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी है. ईडी ने यह यह चार्जशीट IRCON कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट से टेंडर उठाने को लेकर पेश की है. ED की ओर से यह चार्जशीट ठेकेदार पदमचंद जैन, महेश मित्तल, संजय बढ़ाया, मुकेश पाठक और पीयूष जैन के खिलाफ पेश की है. इस चार्जशीट में अधिकारियों को ठेकेदारों और अन्य व्यक्तियों की तरफ से घूस दिए जाने का कच्चा चिट्ठा खोला गया है.

ED सूत्रों के अनुसार इस केस में फिलहाल पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है. विशेष न्यायालय में पेश की गई 160 पेज की चार्जशीट में महाघोटाले की कड़ी से कड़ी को जोड़कर भ्रष्ट गठबंधन का खुलासा किया गया है. आरोपियों में शामिल मुकेश पाठक IRCON कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का मास्टरमाइंड है. मुकेश पाठक ने फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के लिए मोटी घूस वसूली थी. यह घोटाला गणपति ट्यूबवेल और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के जरिये किया गया था.

संजय बड़ाया को 16 जुलाई को गिरफ्तार किया था
इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट से 900 करोड़ रुपये के श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी और गणपति ट्यूबवैल कंपनी को टेंडर नियम विरुद्ध जारी किए गए. ठेकेदार पदम चंद जैन से रिश्वत लेने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से संजय बड़ाया को 16 जुलाई को गिरफ्तार किया था. इस मामले में संजय बड़ाया के साथ साथ श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी और गणपति ट्यूबवैल कंपनी के संचालक पदम चंद जैन, महेश मित्तल और पीयूष जैन को 12 अगस्त तक जेल में रहने के आदेश दिए गए हैं.

चार्जशीट में किए गए हैं बड़े खुलासे
चार्जशीट में संजय बड़ाया पर श्री श्याम ट्यूबवैल कंपनी के खातों से रिश्वत की राशि अपने परिजनों के बैंक खातों में लेने का खुलासा किया गया है. वहीं संजय बड़ाया और उसकी पत्नि की ओर से 2022 के बाद चमत्कारेश्वर बिल्डर्स एंड डवलपर्स रिएल एस्टेट कंपनी के कारोबार किया जाना भी सामने आया है. प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी में कार्य करने वाला संजय बड़ाया जल जीवन मिशन घोटालों की शुरुआत के साथ ही बड़ा कारोबारी बन गया.

प्रवर्तन निदेशालय के हाथ पुख्ता सबूत लगे हैं
पहली बार भारत सरकार की कंपनी इरकॉन के फर्जी सर्टिफिकेट बनाने के पुख्ता सबूत प्रवर्तन निदेशालय के हाथ लगे हैं. संजय बड़ाया, पदम चंद जैन और महेश मित्तल से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए 900 करोड़ रुपये के टेंडर हासिल किए गए थे. इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट मुकेश पाठक से बनवा गए थे. मुकेश पाठक जलदाय विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष बेनीवाल का बेहद करीबी बताया जा रहा है.

मनीष बेनीवाल ने जारी किया था पहला टेंडर
इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट से पहला टेंडर और सबसे ज्यादा टेंडर तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य अभियंता मनीष बेनीवाल की ओर से ही जारी किए गए थे. प्रवर्तन निदेशालय की जांच में खुलासा हुआ है की तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इरकॉन के फर्जी सर्टिफिकेट की जांच तक नहीं की गई. ठेकेदार पदमचंद जैन की ओर से भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में पूछताछ के दौरान इरकॉन कंपनी के फर्जी सर्टिफिकेट के मामलों की जांच को प्रभावित करने के लिए जलदाय विभाग के तत्कालीन अधिकारियों को मोटी रिश्वत देना स्वीकार किया गया है.

अकूत संपत्ति खरीदने के सबूत भी दिए गए हैं
वहीं चार्जशीट में ठेकेदार पदम चंद जैन के कार्यालय से मिली 238 सरकारी माप पुस्तिकाओं और उनसे जुड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार का पूरा लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में जल जीवन मिशन योजना में भारी भ्रष्टाचार कर रहे ठेकेदार पदम चंद जैन और जलदाय विभाग के अधिकारियों की ओर से अकूत संपत्ति खरीदने के सबूत भी दिए गए हैं.

Tags: Jaipur news, Jal Jeevan Mission scam, Rajasthan news



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