जब कोर्ट में कहा गया ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा, SG की किस बात पर मुस्कुराए जज


नई दिल्ली. तमिलनाडु के पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सेंथिल की जमानत याचिका का विरोध किया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से तीख बहस होने के बाद एक लम्हा ऐसा भी आया, जब ईडी की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता के साथ शीर्ष अदालत की बेंच पर सुनवाई कर रहे जज भी खुद को मुस्कुराने से नहीं रोक पाए.

मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद एसजी ने हल्के लहजे में कहा कि आज हम सभी के साथ ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा जैसी स्थिति हो गई क्योंकि ना तो बेंच लंच के लिए उठी और ना ही हमने लंच किया. फिर क्या था, बेंच भी उनकी इस बात पर मुस्कुराने लगी. दरअसल, केस की सुनवाई के दौरान बेंच आज भोजनावकाश के दौरान नहीं उठी थी, जिसके बाद एसजी ने इसका जिक्र कर माहौल को थोड़ा हल्का कर दिया.

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बालाजी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी एवं सिद्धार्थ लूथरा की दलीलें सुनीं. सुनवाई के दौरान मेहता ने द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता को जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए कहा कि मुकदमे में देरी पूर्व मंत्री के कारण हो रही है.

रोहतगी ने दलील दी कि बालाजी एक साल से अधिक समय से जेल में हैं और मुकदमे पर सुनवाई जल्द पूरी होने की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने बालाजी की ओर से कहा, “उस समय आरोप लगाया गया था कि मैं प्रभावशाली व्यक्ति हूं, लेकिन अब मेरे पास विभाग नहीं है. अभी मेरी सर्जरी हुई है. और क्या चाहिए?”

मद्रास हाईकोर्ट ने बालाजी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यदि उन्हें इस तरह के मामले में जमानत पर रिहा किया गया तो इससे गलत संदेश जाएगा और यह व्यापक जनहित के खिलाफ होगा. उसने कहा था कि चूंकि याचिकाकर्ता आठ महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं, इसलिए विशेष अदालत को मामले का समय सीमा के भीतर निपटारा करने का निर्देश देना उचित होगा.

मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार दिन-प्रतिदिन के आधार पर की जाएगी. बालाजी को पिछले साल 14 जून को ईडी ने कथित तौर पर पैसे लेकर नौकरी देने के मामले से जुड़े मनीलॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया था. कथित अपराध के समय बालाजी पूर्ववर्ती ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) सरकार में परिवहन मंत्री थे. ईडी ने पिछले साल 12 अगस्त को बालाजी के खिलाफ 3,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था.

Tags: Supreme Court, Tamil nadu, Tushar mehta



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