क्या है लेटरल एंट्री, कब हुई थी शुरुआत? खड़गे ने क्यों बताया भाजपाई चक्रव्यूह


केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री (lateral Entry)  के जरिये 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा की है. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सेवाओं में लेटरल एंट्री को लेकर सियासी सरगर्मी शुरू हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती को लेकर केंद्र सरकार (Modi Government) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा. खड़गे ने दावा किया कि यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का ‘भाजपाई चक्रव्यूह’ है. इससे पहले भी कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा था. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) ने आरोप लगाया कि इससे आरक्षण व्यवस्था खत्म हो जाएगी.

आरोपों पर क्या बोली बीजेपी
कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पहले ही अपना रुख साफ कर दिया था. बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने ही लेटरल एंट्री की स्वीकृति दी थी, इस पर राहुल गांधी (Rahul gandhi) को राजनीति करना शोभा नहीं देता. उन्होंने कहा, “ दरअसल राहुल गांधी भूल जाते हैं क्या अच्छा क्या बुरा उनका काम बस विरोध करना है. चाहे वर्तमान सरकार का फैसला देश की समृद्धि और युवाओं के विकास से जुड़ा हो.” भाजपा का कहना है कि आरक्षण नियम का कड़ाई से पालन किया जाएगा.  

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