नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट के लिए यह समझने का यह सही समय है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही यह भी कहा कि लोअर कोर्ट जमानत के मामलों में ‘सुरक्षित रवैया’ अपनाती नजर आती हैं. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि ‘बिल्कुल स्पष्ट मामलों’ में भी जमानत नहीं दिए जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिकाओं की बाढ़ आ गई है, जिससे लंबित मामलों की संख्या में भारी वृद्धि हो गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए अपने फैसले में कहा कि समय के साथ ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालय कानून के एक बहुत ही स्थापित सिद्धांत को भूल गए हैं कि सजा के रूप में जमानत को रोका नहीं जाना चाहिए. ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट जमानत देने के मामलों में सेफ खेलने का प्रयास करते हैं. यह सिद्धांत कि जमानत एक नियम है और इनकार एक अपवाद है.
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि यह ओपन एंड शट मामलों में भी जमानत न दिए जाने के कारण, इस न्यायालय में बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं भर गई हैं, जिससे बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं बढ़ रही हैं. अब समय आ गया है कि लोअर कोर्ट और हाईकोर्ट को इस सिद्धांत को पहचानना चाहिए कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है. वर्तमान मामले में, ईडी मामले के साथ-साथ सीबीआई मामले में, 493 गवाहों के नाम दिए गए हैं. इस मामले में हजारों पृष्ठों के दस्तावेज़ और एक लाख से अधिक पृष्ठों के डिजिटल दस्तावेज़ शामिल हैं. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समापन की दूर-दूर तक संभावना नहीं है.
मौलिक अधिकार से वंचित करना
कोर्ट ने कहा कि हमारे विचार में, मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की आशा में अपीलकर्ता को असीमित समय के लिए सलाखों के पीछे रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उसके मौलिक अधिकार से वंचित करना होगा. जैसा कि बार-बार देखा गया है, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक कैद में रहने को बिना सुनवाई के सजा नहीं बनने दिया जाना चाहिए. मनीष की समाज में गहरी जड़ें हैं. उसके भागने की कोई सम्भावना नहीं है. किसी भी स्थिति में, राज्य की चिंता को दूर करने के लिए शर्तें लगाई जा सकती हैं.
सबूतों से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं
जज ने कहा कि जहां तक सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना के संबंध में यह मामला काफी हद तक दस्तावेजी सबूतों पर निर्भर करता है जो अभियोजन पक्ष द्वारा पहले ही जब्त कर लिया गया है. ऐसे में सबूतों से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है. – जहां तक गवाहों को प्रभावित करने की चिंता है, अपीलकर्ता पर कड़ी शर्तें लगाकर उक्त चिंता का समाधान किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिसोदिया को 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा किए जाने का निर्देश दिया. दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को अब रद्द हो चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण और क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं को लेकर 26 फरवरी, 2023 को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.
ईडी ने उन्हें नौ मार्च, 2023 को सीबीआई की प्राथमिकी से उपजे धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था. उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को दिल्ली मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
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FIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 19:09 IST