एलन मस्क की स्टारलिंक का रास्ता साफ! सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए सरकार ने बनाया नया प्लान


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सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है। अगले साल की शुरुआत में देश के करोड़ों मोबाइल यूजर्स को सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस मिलने लगेगा। दूरसंचार विभाग और दूरसंचार नियामक (TRAI) ने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए लगातार प्लानिंग कर रहे हैं। नई रिपोर्ट की मानें तो सर्विस प्रोवाइडर्स को सैटेलाइट लाइसेंस आवंटन में राहत दी जा सकती है। इसके लिए दूरसंचार विभाग नियमों में बदलाव कर सकता है।

कंप्लायेंस में राहत

स्पेक्ट्रम अलोकेशन के नियमों में बदलाव का फायदा एयरटेल, जियो, अमेजन के साथ-साथ एलन मस्क की स्टारलिंक को हो सकता है। नियमों में बदलाव होने से कंप्लायेंस में थोड़ी राहत की संभावना जताई जा रही है। नए नियम के तहत सर्विस को रिमोट मैनेजमेंट की भी अनुमति दी जा सकती है। साथ ही, फिक्स्ट सैटेलाइट टर्मिनल स्थापित करने में ढ़ील दी जा सकती है। दूरसंचार विभाग ने इन मुद्दों पर चर्चा की और चारों की प्लेयर्स को इसे शेयर किया है।

इनपुट करना होगा शेयर

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की रेस में Airtel की OneWeb, Jio की SES, Amazon की Kuiper और एलन मस्क की Starlink बनी हुई है। इन कंपनियों को एक हफ्ते में अपना इनपुट शेयर करने के लिए कहा गया है। हालांकि, अमेजन ने इसे लेकर जनवरी तक का समय मांगा है। वहीं, स्टारलिंग नियमों में बदलाव को लेकर काफी पॉजीटिव है और जल्द ही इनपुट शेयर करने की बात कही है। वहीं, अन्य कंपनियों ने भी सरकार से इसके लिए समय मांगा है। Airtel को छोड़ अन्य किसी कंपनी की तरफ से सरकार को अभी जवाब नहीं दिया गया है।

सैटेलाइट इंटरनेट पर जल्द फैसला

दूरसंचार विभाग फिलहाल सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम अलोकेशन को लेकर जल्द फैसला ले सकता है। सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में इस बात की जानकारी दी है। दूरसंचार नियामक (TRAI) ने स्पेक्ट्रम अलोकेशन की शर्तों को 15 दिसंबर तक फाइनल कर सकता है। दूरसंचार नियामक ने पिछले महीने 8 नवंबर को सर्विस प्रोवाइडर्स समेत अन्य स्टेक होल्डर्स के साथ बैठक की थी।

सरकार नए साल में सैटेलाइट सर्विस की शुरुआत करने के लिए इसके अलोकेशन में तेजी ला सकती है। रिपोर्ट्स की मानें तो जियो और एयरटेल के दबाव के बावजूद सरकार स्पेक्ट्रम का अलोकेशन एडमिनिस्ट्रेटिव तरीके से करने वाली है। इन कंपनियों ने टेरेस्टियल स्पेक्ट्रम की तरह ही स्पेक्ट्रम का अलोकेशन नीलामी प्रक्रिया से करने की मांग की थी।

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