व्यापारी के दान के कपड़ों पर डिजायन हुआ नेशनल फ्लैगपूर्वी पाकिस्तान के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे तब आमार सोनार बुदबुदाते थेये गीत खूबसूरत और हरे-भरे बंगाल की बात करता है
बांग्लादेश का राष्ट्रगान बांग्ला भाषा और संस्कृत के मिले जुले शब्दों से बना है, जिसके शब्द हैं ..आमार सोनार बांग्ला…ये 1972 से इस देश का एंथेम है. बांग्लादेश का बच्चा बच्चा इसे गाता है. क्या आपको मालूम है कि इसे एक भारतीय ने लिखा था और वह हिंदू धर्म के थे लेकिन सबसे बड़ी बात ये थी उनके साहित्य ने पूरे बंगाल को बांधा हुआ था.
उसी तरह बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज जब बनाया गया तो इसका किस्सा भी रोचक है. इसका शुरुआती संस्करण ढाका में रहने वाले एक ब्यापारी द्वारा दान में दिए गए कपड़ों से बनाया गया. इसे बनाया ढाका में ही रहने वाले एक हिंदू डिजायनर ने.
फ्लैग बनाया इस शख्स ने
पहले हम आपको बता देते हैं कि बांग्लादेश का नेशनल फ्लैग किसने बनाया था. वह शख्स थे बांग्लादेशी डिज़ाइनर और वेक्सिलोग्राफ़र शिब नारायण दास. वह छात्र नेता थे. बाद में डिजाइनर और वेक्सिलोग्राफर बन गए. बांग्लादेश का जो झंडा आप देखते हैं, जिसमें हरे रंग के एक चौकोर के भीतर लाल रंग का बड़ा का गोला है, ये उन्होंने ही बनाया.
ये हैं ढाका के शिव नारायण दास, जिन्होंने बांग्लादेश का शुरुआती झंडा बनाया. बाद में इस झंडे में कुछ बदलाव किया गया.
हालांकि 1972 में जब उन्होंने ये झंडा बनाया तो इस लाल वृत्त में पीले रंग का बांग्लादेश का नक्शा भी था, जिसे बाद में हटा दिया गया, क्यों झंडे के दोनों ओर उसको एक जैसा दिखाना एक मुश्किल काम होता था. दास का निधन इसी 19 अप्रैल को 77 साल की आयु में ढाका में हुआ.
क्या कहता है ये झंडा
सीआईए वर्ल्ड फ़ैक्टबुक के मुताबिक, हरे रंग की पृष्ठभूमि बांग्लादेश के हरे-भरे एग्रीकल्चर को दिखाता है तो बीच का लाल गोला स्वतंत्रता संग्राम में बांग्लादेशियों द्वारा बहाए गए खून का प्रतीक है.
राष्ट्रगान किसने लिखा
अब आइए बात करते हैं कि बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान किसने लिखा. इसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. ये बांग्ला भाषा में है. गुरुदेव ने इसे बंग भंग के समय सन 1906 में में लिखा था जब धर्म के आधार पर अंग्रेजों ने बंगाल को दो भागों में बांट दिया था. ये गीत बंगाल के एकीकरण के लिए माहौल बनाने के लिए लिखा गया था. जब बांग्लादेश आजाद हुआ तो उसने 1972 में इस गीत की प्रथम दस पंक्तियों को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया.
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, जिनकी कविता दो देशों में राष्ट्रगान बनीं. साथ ही उनके रवींद्र संगीत पर आधारित रचना को श्रीलंका में राष्ट्रगान के तौर पर रखा गया.
दो देशों में उनकी कविता बनी राष्ट्रगान
दिलचस्प बात ये है कि रवींद्रनाथ टैगोर दुनिया में अकेले ऐसे शख्स हैं, जिनकी लिखी कविता राष्ट्रगान के तौर पर दो देशों में चुनी गई. उन्हीं के लिखे जन – गण मन को 24 जनवरी 1950 भारतीय संविधान सभा द्वारा आधिकारिक रूप से भारतीय राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया.
इसके 22 साल बाद 13 जनवरी, 1972 को टैगोर के एक पुराने गीत, “आमार सोनार बांग्ला” को आधिकारिक रूप से बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में मान्यता दी गई.
‘आमार-सोनार’ बुदबुदाते हुए लड़ी आजादी की लड़ाई
दरअसल उनके गीतों ने पूर्वी पाकिस्तान में तब बंगाली पहचान की चेतना पैदा की थी, जब पाकिस्तान के सैन्य शासक बंगाल के इस हिस्से में दमनचक्र चला रहे थे. तो उनके गीतों ने पाकिस्तानी मुस्लिम पहचान से अलग बंगाली पहचान की भावना पैदा करने में मदद की. इसके बाद जैसे-जैसे स्वायत्तता के लिए आंदोलन बढ़ता गया, टैगोर का “आमार सोनार बांग्ला” गीत लोकप्रिय हो गया, जो बेदखल बंगालियों के लिए भूमि के अर्थ का प्रतीक था.
यह गीत पहली बार बंगदर्शन के सितंबर 1905 के अंक में छपा था, जिसमें बंगाल की खूबसूरत भूमि का वर्णन किया गया था. ये बंगाली अलगाव का गीत है, जो अलग-अलग बंगाली महीनों और उनके मौसमी बदलावों को संदर्भित करता है.
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FIRST PUBLISHED : August 9, 2024, 08:02 IST