आखिर क्या है हेमा कमेटी रिपोर्ट? कैसे करती है काम, क्यों हो रही है चर्चा, जानें सबकुछ


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हेमा कमेटी रिपोर्ट में हुए कई चौंकाने वाले खुलासे।

नेपोटिज्म, कास्टिंग काउच और महिलाओं पर यौन शोषण के आरोपों को लेकर अक्सर फिल्म इंडस्ट्री पर सवाल उठते रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री में महिला आर्टिस्ट की एंट्री और काम करने को लेकर अक्सर कहा जाता है कि मेल एक्टर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। फीमेल कलाकारों को इंडस्ट्री में काम तो मिलता है, लेकिन अलग-अलग शर्तों के साथ। 2017-18 में मीटू मूवमेंट के बाद कई देश-विदेश की कई फीमेल कलाकारों ने इंडस्ट्री में हो रहे यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी। अब हेमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद पूरे फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मची हुई है। इन दिनों हर तरफ हेमा कमेटी की रिपोर्ट की चर्चा है, जिसमें हुए खुलासे के बाद साउथ सिनेमा के कई बड़े नाम खतरे में पड़ गए हैं। तो चलिए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं कि हेमा कमेटी की रिपोर्ट क्या है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है।

क्या है हेमा कमेटी की रिपोर्ट?

फिल्म इंडस्ट्री पर हमेशा ही आरोप लगते रहे हैं कि इंडस्ट्री में महिलाओं को काम देने के बदले उनसे कई बार अनैतिक डिमांड की जाती है। उनसे फिजिकल फेवर मांगे जाते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। मलयालम फिल्म महिला कलाकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ‘हेमा कमेटी रिपोर्ट’ लाई गई। महिला कलाकारों से होने वाली अनैतिक मांगों को लेकर इंडस्ट्री में महिला सुरक्षा से जुड़े हर बिंदु पर रिसर्च के लिए 2019 में रिटायर्ड न्यायमूर्ति हेमा की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। 

क्यों जारी करनी पड़ी हेमा कमेटी रिपोर्ट?

कमेटी का प्राथमिक कार्य मलयालम इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले यौन दुर्व्यवहार की शिकायतों की जांच करना और भविष्य में होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए उपायों का प्रस्ताव करना था। समिति के जरिए मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों द्वारा फेस किए जाने वाले मुद्दों पर अध्ययन किया गया और यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार से संबंधित जरूरी डिटेल्स की जानकारी दी गई। मूल रूप से हेमा कमेटी रिपोर्ट का यही काम है। अभी तक केरल सरकार की ओर से हेमा कमेटी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था, लेकिन आरटीआई एक्ट 2005 के चलते 19 अगस्त को केरल सरकार को साढ़े चार साल बाद 233 पन्नों की ये रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में जारी करना पड़ा। 

रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

मलयालम सिनेमा में महिलाओं की स्थिति को जारी करने वाली इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में मलयालम इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे कम से कम 17 तरह के शोषण का खुलासा हुआ है, जिससे इंडस्ट्री में काम कर रही महिलाओं को गुजरना पड़ता है। इसमें लेडीज टॉयलेट , चेंजिंग रूम जैसी सुविधा ना होने के साथ ही वेतन में भेदभाव और काम के बदले सेक्स की डिमांड जैसे तमाम तरह के शोषण का जिक्र किया गया है।

कैसे हुए समिति का गठन

हेमा कमेटी का गठन 14 फरवरी 2017 के एक केस के बाद किया गया। 14 फरवरी 2017 को मलयालम फिल्मों की एक मशहूर एक्ट्रेस अपनी कार से कोच्चि जा रही थीं। तभी उनका अपहरण कर लिया गया और उन्हीं की कार में उनके साथ दुष्कर्म किया गया। इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जिसके बाद मलयालम सिनेमा इंडस्ट्री की फीमेल कलाकारों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जुलाई में केरल हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस हेमा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। 

क्यों हो रही है चर्चा?

दरअसल, हाल ही में सामने आई हेमा कमेटी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में मलयालम सिनेमा की कई महिला कलाकारों ने बयान हैं, जिन्होंने माना कि फिल्मों में भूमिका के लिए उन्हें इंडस्ट्री के इंफ्लुएंशियल एक्टर्स, डारेक्टर और प्रोड्यूसर्स के साथ समझौता करना पड़ा। इस रिपोर्ट ने मलयालम सिनेमा के पुरुष निर्माता-निर्देशकों का महिलाओं के प्रति गलत नजरिया देखने को मिला है। रिपोर्ट से पता चलता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं से गलत फेवर मांगे जाते हैं और उन पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला जाता है। जब महिलाएं इसके लिए तैयार हो जाती हैं तो निर्माता-निर्देशक उन्हें कोड नेम भी देते हैं।

रिपोर्ट जारी करने में क्यों हुई देर

हेमा कमेटी को करीब 5 साल बाद जारी करने को लेकर काफी आलोचनाएं भी हुई। कई लोगों ने इसे शर्मनाक और शॉकिंग बताया और इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि 5 साल तक उनसे सच को छुपाए रखने की कोशिश की गई। हालांकि, केरल सरकार का तर्क है कि ये जानकारी बेहद संवेदनशील थी। मामले की गोपनीयता संबंधी चिंताओं को देखते हुए इस संवेदनशील जानकारी को अब तक पब्लिक नहीं किया गया था। यही नहीं, खुद जस्टिस हेमा ने केरल सरकार को पत्र लिखा था और सरकार से कहा था कि इस संवेदनशील रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में ना लाया जाए।

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