‘अस्‍पताल की तरह कोर्ट पर भी…’, CJI ने मानी बुनियादी ढांचे की कमी


हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट में इन छुट्टियों में 21 बेंचों ने सुनवाई की. कुल 4000 मामलों में से 1,172 का निपटारा इस दौरान हुआ.सीजेआई ने कोर्ट के बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया.

नई दिल्‍ली. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का मानना है कि जिस तरह भारत के लोगों का विश्‍वास अस्‍पतालों पर है, जहां वे बीमार होने की स्थिति में सही इलाज होने की उम्‍मीद लेकर पहुंचते हैं. ठीक वैसे ही लोगों की अस्‍था भारतीय न्‍याय व्‍यवस्‍था में भी है. यही वजह है कि देश में लगातार कोर्ट में आने वाले लोगों की संख्‍या बढ़ती जा रही है. चंद्रचूड़ ने पेंडिंग मामलों से निपटने के लिए कोर्ट में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर शनिवार को जोर दिया. उन्होंने माना कि अदालती मामलों की संख्या कम करने के लिए लोक अदालतों जैसे विभिन्न माध्यमों को अपनाया जा रहा है. लोगों की सुविधा के लिए अदालती फैसलों को रीजनल भाषाओं किया जा रहा है. ऐसा करने में AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद ली जा रही है.

चंडीगढ़ के पोस्‍ट ग्रेजुएट इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER) के 37वें दीक्षांत समारोह के मौके पर सीजेआई ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “अगर आप अस्पताल में देखें तो मरीजों की संख्या बढ़ती है और इसी तरह अदालतों में भी मामलों की संख्या बढ़ती है. इसके पीछे क्या कारण है? लोगों की अस्पतालों में आस्था है, इसलिए मरीजों की संख्या बढ़ती है. जैसे अस्पतालों में बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, वैसे ही अदालतों में भी बुनियादी ढांचे को बढ़ाना होगा.”





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