वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में परोक्ष रूप से ईरान की भी एंट्री हो गई है। फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन अब इन आरोपों की जांच कर रही है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के संवेदनशील दस्तावेज साइबर घुसपैठ के जरिए चुरा लिए गए थे, साथ ही उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के प्रचार अभियान में भी सेंध लगाने का प्रयास किया गया था। राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से उम्मीदवार ट्रंप के प्रचार दल ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनके अभियान को ईरान के जरिए हैक कर लिया गया है। एफबीआई ने ट्रंप के मामले पर एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा, ‘‘हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि एफबीआई मामले की जांच कर रही है।’’
नहीं दिए गए सबूत
डोनाल्ड ट्रंप के अभियान दल की ओर से ईरान की संलिप्तता का कोई विशेष सबूत नहीं दिया गया, लेकिन यह दावा माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से 2024 में अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने के विदेशी एजेंटों के प्रयासों का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट जारी करने के तुरंत बाद आया। रिपोर्ट में जून में एक ईरानी सैन्य खुफिया इकाई द्वारा “एक पूर्व वरिष्ठ सलाहकार के ईमेल खाते में सेंध लगाकर उससे राष्ट्रपति अभियान के एक उच्च पदस्थ अधिकारी को एक वायरस वाला” मेल भेजे जाने का उदाहरण दिया गया। मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने कहा कि संदिग्ध ईरानी साइबर सेंध के इस मामले में बाइडेन और हैरिस के अभियान को भी निशाना बनाया गया और एफबीआई इसकी जांच कर रही है।
ईरान ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन से जब डोनाल्ड ट्रंप के प्रचार अभियान के दावे के बारे में पूछा गया तो उसने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया। मिशन ने बताया, ‘‘हम ऐसी रिपोर्टों पर कोई भरोसा नहीं करते।’’ मिशन ने कहा, ‘‘ईरानी सरकार के पास ना तो अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा या मकसद है और ना ही वह ऐसा करती है।’’ (एपी)
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