पूर्व पीएम शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से वहां पर भारत विरोधी भावनाएं चरम पर हैं. कट्टरपंथी ताकतें हिंदुओं पर हमले कर रही हैं. अंतरिम सरकार में भी कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव है. अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर यूनुस भी कई बार भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. अंतरिम सरकार शेख हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं को निशाना बना रही है. इन सभी स्थितियों पर भारत लगातार मौन नजर रख रहा है. वैसे पीएम नरेंद्र मोदी खुद प्रोफेसर यूनुस को कह चुके हैं कि भारत सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगी.
लेकिन, बहुत कम लोगों को पता है कि बांग्लादेश को बर्बाद और आबाद करने की चाबी भारत के पास है. लेकिन, वहां के कट्टरपंथी इस बात से अनजान हैं. भारत के पास यह एक ऐसी चाबी है जिसके दम पर वह बिना किसी मिलिट्री या सैन्य अभियान को बांग्लादेश को तबाह कर सकता है. यह चाबी भारत सरकार की तिजोरी में रखी गई है. पीएम मोदी के एक इशारे पर बांग्लादेश का काम तमाम हो सकता है.
क्या है यह चाबी
दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव पैदा होने और ढाका के भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर भारत सरकार उसके खिलाफ यह चाबी निकाल सकती है. यह चाबी है पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित फरक्का बैराज. यह गंगा नदी पर बना बैराज है. यह बांग्लादेश की सीमा से मजह 18 किमी दूर है. इस बैराज के जरिए ही भारत गंगा नदी का पानी कोलकाता बंदरगाह तक पहुंचाता है. साथ ही इस बैराज के जरिए कोलकाता और आसपास के इलाकों में पेयजल की आपूर्ति होती है. इस बैराज का निर्माण 1970 में पूरा हुआ था. इससे जरिए भारत गंगा नदी का पानी बांग्लादेश में जाने को नियंत्रित करता है. यह बैराज 2304 मीटर लंबा है. इस बैराज से करीब 42 किमी लंबी नहर के जरिए गंगा का पानी हुग्ली नदी में डायवर्ट किया जाता है.
शेख हसीना के पिता के साथ हुआ था समझौता
इस बैराज के निर्माण के बाद भारत और बांग्लादेश में पहली बार गंगा के पानी के लिए पूर्व पीएम दिवंगत इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के जनक शेख मुजीब उर रहमान के बीच 18 अप्रैल 1975 में एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत भारत गंगा में पानी की उपलब्धता के हिसाब से उसे पानी की सप्लाई करता है. इस प्रोजेक्ट के जरिए मुर्शिदाबाद के आसपास के इलाकों में 60 छोटी नहरें भी निकाली गई हैं. इस बैराज की ताकत का आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रति सेकेंड यहां से 64 हजार घन फीट पानी कोलकाता बंदरगार की और डायवर्ट किया जाता है.
बंग बंधु की हत्या और बिगड़ गए रिश्ते
बांग्लादेश में मुजीब उर रहमान की हत्या के बाद भारत के साथ उसके रिश्ते बिगड़ गए. वहां की सरकार पर कट्टरपंथियों का कब्जा हो गया था. फिर भारत ने पड़ोसी देश की कट्टरपंथी सरकार को सबक सिखाने लिए इस बैराज को बतौर एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया. भारत ने भीषण गर्मी के समय अप्रैल-मई के महीने में भी गंगा के पानी को कोलकाता की ओर डायवर्ट कर दिया. अप्रैल-मई में गंगा में पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है. इससे सैन्य शासकों के अक्ल ठिकाने आ गए. उस समय देश की बागडोर इंदिरा गांधी के हाथ में थी. इंदिरा गांधी के इस कदम से 1976 में बांग्लादेश में भीषण सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई. फिर वह 1977 में संयुक्त राष्ट्र पहुंचा और खुद को बचाने के लिए गुहार लगाने लगा. फिर दोनों देशों के बीच लंबे समय तक वार्ता चली लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
म्यान में है तलवार
अंततः 1996 में भारत और बांग्लादेश के बीच पानी के बंटवारे को लेकर 30 साल के लिए एक समझौता हुआ. हालांकि, भारत को पता है कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतें कभी भी सिर उठा सकती हैं. ऐसे में भारत ने इस समझौते में भी बिना शर्त एक न्यूनतम मात्रा में पानी की सप्लाई करने का कोई वादा नहीं किया है.
ऐसे में भारत जब चाहे तक बांग्लादेश को घुटने के बल ला सकता है. मानसून के सीजन में फरक्का बैराज से अत्याधिक पानी की सप्लाई कर वहां बाढ़ जैसी स्थिति पैदा की जा सकती है. इसी तरह गर्मी के सीजन में पानी को नियंत्रित कर सूखे जैसी स्थिति पैदा की जा सकती है. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत ने अपने इस हथियार का टेलर दिखा चुका है. ऐसे में पीएम मोदी बांग्लादेश की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. अगर वहां की कट्टरपंथी ताकतों ने ज्यादा चू-चपाट किया तो तिजोरी में रखी चाबी मात्र को निकालने की जरूरत है.
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FIRST PUBLISHED : August 14, 2024, 18:20 IST